भूमि अधिग्रहण पर सुलगा रेवाड़ी, हाईवे के दोनों तरफ बहा खून

रेवाड़ी/बावल. भूमि अधिग्रहण को लेकर एनएच-आठ पर आसलवास गांव में
किसानों और पुलिस के बीच एक बार फिर जमकर खूनी संघर्ष हुआ। रविवार को
किसानों की आक्रामकता को देखते हुए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े, पानी
की बौछार की, लाठीचार्ज और फायरिंग भी की। एक बार तो पुलिस ने किसानों पर
काबू पा लिया, लेकिन जब ग्रामीणों ने पत्थरबाजी शुरू की और घरों से लाठियां
लेकर आगे बढ़े तो पुलिसकर्मियों को भागना पड़ा।

इस दौरान जहां
सैकड़ों की तादाद में किसान और पुलिसकर्मी घायल हो गए, वहीं चार बसें,
दर्जनभर मोटरसाइकिलें, एक ट्राला, एक फायर ब्रिगेड की गाड़ी और गढ़ी बोलनी
चौकी आग के हवाले कर दी गई। देर शाम तक स्थिति बेहद तनावपूर्ण बनी हुई थी।
मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने पांच जिलों से करीब ढाई हजार
पुलिस जवान व आईटीबीपी के जवान बुलाए हैं।

पुलिस ने हशनवास से कसौला
चौक हाइवे को सील कर दिया है। दूसरी तरफ किसान मौके पर ही लंगर लगाकर आगे
की रणनीति तैयार करने में जुट गए हैं। रात करीब 8 बजे सीएम भूपेंद्र सिंह
हुड्डा के तरफ से भेजे प्रतिनिधि के आश्वासन पर किसानों ने रात में हाइवे
से कब्जा हटाने को कहा है, लेकिन महासभा जारी रखेंगे।

महापंचायत के बाद बिगड़ी स्थिति

रेवाड़ी
जिले के 21 गांवों में करीब 3700 एकड़ जमीन अधिग्रहण के विरोध रविवार को
अधिग्रहण संघर्ष समिति की ओर से आसलवास गांव में महापंचायत का आयोजन किया
गया। इसमें देशभर से किसान नेताओं को बुलाया गया। तय समय पर सुबह दस बजे
में महापंचायत की कार्रवाई शुरू हुई। वक्ताओं ने साफ कहा कि वे जान दे
देंगे पर जमीन का एक टुकड़ा तक नहीं देंगे।

संघर्ष समिति ने भी साफ
तौर पर चेतावनी दी कि यदि एक बजे तक सरकार की ओर से उनसे बातचीत नहीं की
जाती है तो वे कोई भी कठोर कदम उठा सकते हैं। महापंचायत के इस फरमान के बाद
भी प्रशासन की ओर से कोई भी अधिकारी बातचीत के लिए नहीं आया, लेकिन पुलिस
की ओर से पूरी तैयारी शुरू कर दी गई। आंसू गैस, फायर ब्रिगेड सहित बड़ी
तादाद में फोर्स को महापंचायत स्थल पर बुला लिया गया।

एक बजते ही
महापंचायत में किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्ग जाम करने का निर्णय लिया गया।
हजारों की तादाद में ग्रामीण जैसे ही हाइवे को जाम करने के लिए कूच करने
लगे पुलिस ने लाठीचार्ज शुरू कर दिया गया। देखते ही देखते ग्रामीणों पर
आंसू गैस, पानी की बौछार शुरू कर दी गई। ग्रामीणों को पुलिस ने गांव तक
खदेड़ दिया, लेकिन कुछ देर बाद ही माहौल एकदम से बदल गया।

किसान
घरों से लाठियां निकाल लाए और पुलिस पर हमला बोल दिया। पुलिस मौके से भागनी
शुरू हो गई। ग्रामीणों और पुलिस के बीच जमकर लाठीचार्ज, पत्थरबाजी हुई।
माहौल बिगड़ता देखकर पुलिस ने फायरिंग की। कुछ लोगों को गोलियां भी लगीं।
पुलिस के भागते ही ग्रामीणों ने हाइवे पर कब्जा जमा लिया और वाहनों को आग
लगाने लगे।

इसमें देशभर से किसान नेताओं को बुलाया गया। तय समय पर
सुबह दस बजे में महापंचायत की कार्रवाई शुरू हुई। वक्ताओं ने साफ कहा कि वे/> जान दे देंगे पर जमीन का एक टुकड़ा तक नहीं देंगे। संघर्ष समिति ने भी साफ
तौर पर चेतावनी दी कि यदि एक बजे तक सरकार की ओर से उनसे बातचीत नहीं की
जाती है तो वे कोई भी कठोर कदम उठा सकते हैं।

महापंचायत के इस फरमान
के बाद भी प्रशासन की ओर से कोई भी अधिकारी बातचीत के लिए नहीं आया, लेकिन
पुलिस की ओर से पूरी तैयारी शुरू कर दी गई। आंसू गैस, फायर ब्रिगेड सहित
बड़ी तादाद में फोर्स को महापंचायत स्थल पर बुला लिया गया। एक बजते ही
महापंचायत में किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्ग जाम करने का निर्णय लिया गया।

हजारों की तादाद में ग्रामीण जैसे ही हाइवे को जाम करने के लिए कूच
करने लगे पुलिस ने लाठीचार्ज शुरू कर दिया गया। देखते ही देखते ग्रामीणों
पर आंसू गैस, पानी की बौछार शुरू कर दी गई। ग्रामीणों को पुलिस ने गांव तक
खदेड़ दिया, लेकिन कुछ देर बाद ही माहौल एकदम से बदल गया।

किसान
घरों से लाठियां निकाल लाए और पुलिस पर हमला बोल दिया। पुलिस मौके से भागनी
शुरू हो गई। ग्रामीणों और पुलिस के बीच जमकर लाठीचार्ज, पत्थरबाजी हुई।
माहौल बिगड़ता देखकर पुलिस ने फायरिंग की। कुछ लोगों को गोलियां भी लगीं।
पुलिस के भागते ही ग्रामीणों ने हाइवे पर कब्जा जमा लिया और वाहनों को आग
लगाने लगे।

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