नयी दिल्ली : भारत में वित्तीय साक्षरता जल्द ही स्कूली सिलेबस का
हिस्सा होगी. केंद्र सरकार ने 50 करोड़ भारतीयों को अगले पांच सालों में
वित्तीय साक्षर बनाने का लक्ष्य रखा है. इसके तहत बुनियादी शिक्षा में
करेंसी, बचत, कर्ज की जरूरत, बैंकिंग, निवेश, शेयर ट्रेडिंग, वित्तीय
घोटाले, रीयल एस्टेट जैसे विषय शामिल होंगे.
वित्तीय साक्षरता की इस मुहिम में सरकार अनपढ़ों, गृहणियों, असंगठित
क्षेत्र के श्रमिकों को भी शामिल करेगी. वित्तीय साक्षरता के मसले पर
रिजर्व बैंक के गवर्नर की अध्यक्षता में वित्तीय स्थायित्व व विकास परिषद
(एफएसडीसी) ने एक समिति गठित की थी. इस समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को
सौंप दी है. इस पर विचार-विमर्श कर अंतिम नीति जारी की जायेगी. रिपोर्ट में
अगले पांच वर्षो के भीतर 50 करोड़ भारतीयों को पूरी तरह से वित्तीय साक्षर
बनाने का लक्ष्य रखा गया है.
प्राथमिक शिक्षा के बाद के पाठ्यक्रम में इससे जुड़े विषय शामिल किये
जायेंगे. इसकी तैयारी में जुटा मानव संसाधन मंत्रलय वित्त मंत्रलय की भी
मदद लेगा, ताकि पूरे देश में वित्तीय साक्षरता का एक ही पाठ्यक्रम लागू हो.
सुनिश्चित किया जायेगा कि यह छोटे बच्चों और किशोरों के व्यक्तित्व में
वित्तीय क्षेत्र के महत्व को शामिल कर सके. मसलन, यह पाठ्यक्रम यह बतायेगा
कि किन परिस्थितियों में कर्ज लेना चाहिए. बेहतर निवेश का फैसला कब लेना
चाहिए. इसके अलावा बुजुर्गो व अनपढ़ों को वित्तीय तौर पर साक्षर बनाने के
लिए अलग से अभियान चलाने का भी रोडमैप दिया गया है. इसमें गैर-सरकारी
संगठनों और समाचार माध्यमों की बड़े पैमाने पर मदद ली जायेगी. इसकी रणनीति
रिजर्व बैंक, शेयर बाजार नियामक सेबी, बीमा नियामक इरडा, पेंशन क्षेत्र का
रेगुलेटर पीएफआरडीए संयुक्त तौर पर तैयार करेंगे. इसमें उद्योग चेंबरों की
भी भूमिका होगी.