जयपुर. राजस्थान
के लिए उत्साहजनक खबर है कि राज्य ने बेरोजगारी दूर करने की दिशा में
राष्ट्रीय स्तर पर उल्लेखनीय सफलता अर्जित की है। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार
मंत्रालय के चंडीगढ़ स्थित लेबर ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार देश के सबसे
कम बेरोजगारी दर वाले राज्यों मं गुजरात और छत्तीसगढ़ के बाद राजस्थान का
स्थान है।
ब्यूरो की ओर से ‘रोजगार एवं बेकारी पर किए गए दूसरे वार्षिक सर्वे
2011-12’ की रिपोर्ट में देश के 81 हजार ग्रामीण और 47 हजार शहरी परिवारों
पर सर्वे किया गया था। इसके अनुसार राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में एक
हजार लोगों में से 16 लोग ही बेरोजगार है, जबकि शहरी क्षेत्र में यह संख्या
20 है। रिपोर्ट के अनुसार राज्य में शहरी लोगों की बजाय ग्रामीण लोगों के
पास अधिक रोजगार की उपलब्धता है।
रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में एक हजार लोगों में से 30 महिलांए
ही बेरोजगार है। शहरी क्षेत्र में यह संख्या 64 है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत
की ओर से रोजगारोन्मुखी नीतियों के परिणाम स्वरूप राजस्थान समाज के पिछड़े
वर्गो को रोजगार के समान अवसर मुहैया कराने में भी आगे है।
एससी, एसटी, ओबीसी के लोगों में बेरोजगारी की दर सामान्य वर्ग की तुलना में
कम है। राज्य में औसत प्रति हजार लोगों में से एससी के 9, एसटी के 11 और
ओबीसी के 13 लोग ही बेरोजगार हैं। वहीं सामान्य वर्ग में एक हजार में से 35
लोग बेरोजगार हैं। ग्रामीण क्षेत्र में एक हजार में से 246 महिलाओं के पास
रोजगार है, जबकि इसकी तुलना में 751 पुरुषों के पास रोजगार है।
के लिए उत्साहजनक खबर है कि राज्य ने बेरोजगारी दूर करने की दिशा में
राष्ट्रीय स्तर पर उल्लेखनीय सफलता अर्जित की है। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार
मंत्रालय के चंडीगढ़ स्थित लेबर ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार देश के सबसे
कम बेरोजगारी दर वाले राज्यों मं गुजरात और छत्तीसगढ़ के बाद राजस्थान का
स्थान है।
ब्यूरो की ओर से ‘रोजगार एवं बेकारी पर किए गए दूसरे वार्षिक सर्वे
2011-12’ की रिपोर्ट में देश के 81 हजार ग्रामीण और 47 हजार शहरी परिवारों
पर सर्वे किया गया था। इसके अनुसार राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में एक
हजार लोगों में से 16 लोग ही बेरोजगार है, जबकि शहरी क्षेत्र में यह संख्या
20 है। रिपोर्ट के अनुसार राज्य में शहरी लोगों की बजाय ग्रामीण लोगों के
पास अधिक रोजगार की उपलब्धता है।
रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में एक हजार लोगों में से 30 महिलांए
ही बेरोजगार है। शहरी क्षेत्र में यह संख्या 64 है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत
की ओर से रोजगारोन्मुखी नीतियों के परिणाम स्वरूप राजस्थान समाज के पिछड़े
वर्गो को रोजगार के समान अवसर मुहैया कराने में भी आगे है।
एससी, एसटी, ओबीसी के लोगों में बेरोजगारी की दर सामान्य वर्ग की तुलना में
कम है। राज्य में औसत प्रति हजार लोगों में से एससी के 9, एसटी के 11 और
ओबीसी के 13 लोग ही बेरोजगार हैं। वहीं सामान्य वर्ग में एक हजार में से 35
लोग बेरोजगार हैं। ग्रामीण क्षेत्र में एक हजार में से 246 महिलाओं के पास
रोजगार है, जबकि इसकी तुलना में 751 पुरुषों के पास रोजगार है।