‘कौन तुम्हारी जमीन ले रहा है, जाओ जोत लो जमीन’

रांची।झामुमो
सुप्रीमो शिबू सोरेन ने रविवार को नगड़ी के किसानों से कहा कि वे अपनी
जमीन जोत लें। महापंचायत को संबोधित करते हुए दिशोम गुरु ने अपने खास अंदाज
में कहा, ‘कौन तुम्हारी जमीन ले रहा है।’ गुरुजी की ओर से भरी सभा में दिए
गए इस वक्तव्य को आंदोलनकारियों ने सरकार की ओर से सकारात्मक संकेत माना
है। हालांकि सरकार के भू-राजस्व मंत्री मथुरा महतो ने शिबू के बयान के बाद
स्पष्ट किया कि सरकार ने अभी नगड़ी के सवाल पर कोई फैसला नहीं किया है।
शिबू के बयान के साथ ही आईआईएम, लॉ विवि और ट्रिपल आईटी के लिए जमीन
अधिग्रहण के मामले पर चल रहे विवाद में एक नया मोड़ आ गया है।

 

बारिश बन गई बाधक

 

नगड़ी
में जमीन अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन चला रहे कुछ समूहों ने गुरु जी की सभा
के बीच ही बाउंड्री वाल को पूरी तरह से ध्वस्त करने की योजना बना रखी थी।
दीवारों से निकले छड़ों को ही काटकर बाकायदा सांवल बनवाकर उन्हें दीवार के
पास ही रखा गया था।

 

इसके अलावा गुरु जी को उत्साहित कर उनसे
मौके पर ही धान का बीज डलवाने की योजना थी, लेकिन आकाश में घने बादल छाते
ही गुरुजी ने जल्दी-जल्दी कार्यक्रम निबटाने को कहा और संक्षिह्रश्वत भाषण
खत्म करते ही मंच से नीचे उतर गए।

 

शिबू नहीं कर सके वादा

 

शिबू
सोरेन के मंच पर आते ही जमीन बचाओ संघर्ष समिति के कार्यकर्ताओं ने उन्हें
मांगों की फेहरिस्त सौंपी। इन मांगों में प्रमुख रूप से धरने के दौरान लू
लगने से मरीं तीन महिलाओं के आश्रितों को मुआवजा देने, जेल में बंद
ग्रामीणों को रिहा करने, बाउंड्री वाल ढहाने के आरोप में किए मुकदमे को
वापस लेने जैसी मांगें शामिल थीं, लेकिन गुरुजी ने इन पर कुछ भी बोलने से
परहेज किया।

 

अभी कुछ तय नहीं : मंत्री

 

मंत्री
मथुरा महतो ने स्पष्ट किया कि सरकार ने नगड़ी की जमीन पर अभी कोई बात नहीं
की है। सरकार की ओर से बनाई गई कमेटी गांव वालों से बात करेगी। इसके बाद
ही नगड़ी पर सरकार कुछ तय करेगी। मंत्री शिबू सोरेन के बयान पर प्रतिक्रिया
दे रहे थे। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि यह सरकार नगड़ी के साथ अन्याय
नहीं होने देगी।

 

सरकार के लिए संकट

 

ञ्च
मामला कोर्ट में विचाराधीन। सीधा कोई निर्णय लेने में दिक्कत। ञ्च जनता और
सरकार के लिए सबसे बड़ी दिक्कत सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप नहीं करना है।
ञ्च हाईकोर्ट भी समाधान चाहता है, पर कानूनी दायरे में।

 

क्या है विकल्प

 

ञ्च
सरकार कोर्ट में ग्रामीणों के पक्ष में सौंपे रिपोर्ट, अन्य स्थान पर जमीन
चयन करे। ञ्च हाईकोर्ट को जमीनी हकीकत के बारे में बताए। ञ्च किसानों को
नई दर पर अधिग्रहण की राशि लेने के लिए मनाए।

 

कमेटी के सामने रखी जाएंगी ये मांगें

 

ञ्च
227 एकड़ जमीन वापस कर गजट में प्रकाशित किया जाए। ञ्च जेल में बंद चार
आंदोलनकारियों को सरकार बिना शर्त रिहा करे। ञ्च आंदोलनकारियों पर से सरकार
सामूहिक मुकदमा वापस ले। ञ्च घटनास्थल से पुलिस की तैनाती हटाई जाए।

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