अब वो दिन दूर नहीं जब भारत में स्नातकों यानी ग्रेजुएट्स की संख्या अमरीका से भी ज्यादा होगी.
ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकॉनोमिक को-ऑपरेशन एंड
डेवेलपमेंट यानी ओईसीडी नामक संस्था की ओर से जारी एक रिपोर्ट में अनुमान
लगाया गया है कि अगले आठ सालों यानी 2020 तक दुनिया के हर 10 स्नातकों में
से चार चीन और भारत से होंगे.
नए आंकड़े विश्व में स्नातकों की कुल तादाद में आते बदलाव के संकेत के
तौर पर देखे जा सकते हैं, जब एशिया की तेजी से मजबूत होती अर्थव्यवस्थाएं
इस क्षेत्र में भी अमरीका और पश्चिमी यूरोप के देशों को पीछे छोड़ देंगी.
पश्चिमी वर्चस्व
ओईसीडी के मुताबिक साल 2020 तक चीन में स्नातकों
की संख्या में 29 प्रतिशत तक की वृद्धि हो जाएगी. इसके मुकाबले अमरीका में
स्नातकों की संख्या में 11 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है.
ओईसीडी के मुताबिक साल 2020 तक सबसे ज्यादा
स्नातकों की संख्या के आधार पर चीन सबसे ऊपर होगा. जबकि भारत दूसने और
अमरीका तीसरे स्थान पर होगा.एक अन्य देश जहां इस संख्या में बढ़ोत्तरी का अनुमान है, वो है इंडोनेशिया.
इंडोनेशिया के पांचवें स्थान पर रहने की संभावना जताई गई है.
लेकिन यहां सवाल उठता है कि क्या उच्च शिक्षा के स्तर पर पश्चिमी साम्राज्य के वर्चस्व का अंत हो रहा है?
यदि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की दुनिया पर
विचार करें तो अमरीका, पश्चिमी यूरोप, जापान और रूस के विश्वविद्यालयों का
पूरी दुनिया पर वर्चस्व था.
बात यदि अमरीका की करें तो वो एक तरह से शिक्षा के क्षेत्र में अब तक सुपरपॉवर रहा है.
यहां तक कि साल 2000 तक भी अमरीका में लगभग चीन के
बराबर स्नातक थे और जापान जैसा छोटा-सा देश स्नातकों की संख्या के मामले
में भारत के बराबर था.
लेकिन अब स्थिति बदल रही है और स्नातकों की संख्या के मामले में चीन और भारत सबसे बड़े देश बनने जा रहे हैं.
ओईसीडी के आंकड़ों की बात करें तो स्नातकों की संख्या में बढ़ोत्तरी
दुनिया भर के औद्योगीकृत देशों में देखने को मिली है. हालांकि चीन में ये
वृद्धि दर बहुत ज्यादा है.
रोजगार
इन आंकड़ों के मुताबिक साल 2020 तक चीन में युवा
स्नातकों की संख्या उतनी हो जाएगी जितनी कि तब तक अमरीका में 25 से 64 साल
की उम्र के लोगों की कुल जनसंख्या होगी.
इस बदलते परिदृश्य में कई दिलचस्प आंकड़ें देखने
को मिलेंगे. जैसे ब्राजील में स्नातकों की संख्या जर्मनी से ज्यादा होगी,
तुर्की में स्पेन से ज्यादा और इंडोनेशिया में फ्रांस के तीन गुने स्नातक
होंगे.
लेकिन अहम सवाल ये है कि स्नातकों की बढ़ती संख्या रोजगार पर कितना असर डालेगी?
ओईसीडी के मुताबिक स्कैंडीनेवियन देशों और यूरोपीय
देशों में ये स्थिति बेहतर है लेकिन चीन और भारत जैसे देशों में ये ज्यादा
उत्साहजनक नहीं है.
हालांकि विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र के स्नातकों के लिए रोजगार की संभावना बढ़ जाती है.
दूसरी ओर, स्नातकों की संख्या और स्नातकों की गुणवत्ता भी एक बड़ा सवाल है.