रांची.
नगड़ी में जमीन अधिग्रहण के मसले पर भू-राजस्व मंत्री मथुरा महतो ने
सोमवार को कहा कि नगड़ी के लोगों के साथ सरकार ने अन्याय किया है। वहां के
ग्रामीणों की मांगें जायज हैं। वे उनके आंदोलन का नैतिक समर्थन करते हैं और
उनकी जमीन लौटाने के पक्ष में हैं। मथुरा महतो प्रोजेक्ट भवन स्थित अपने
कार्यालय में दैनिक भास्कर से बात कर रहे थे। मंत्री ने कहा कि वैसे भी जिस
उद्देश्य के लिए जमीन का अधिग्रहण होता है, अगर वह उद्देश्य पूरा न हो तो
फिर अधिग्रहण का औचित्य खत्म हो जाता है। नगड़ी में जमीन अधिग्रहण का
उद्देश्य परिवर्तित हो गया है, लिहाजा ग्रामीणों की मांग पर हम गंभीर हैं।
राज्य सरकार के मंत्री होने के नाते हम सीएम से मिल कर इन सब मुद्दों पर
उन्हें सहमत कराने का प्रयास करेंगे।
उस वक्त भी सहमत नहीं थे ग्रामीण
झामुमो विधायक मथुरा ने स्वयं सवाल उछाला कि क्या कोई 60 वर्ष पुराने रेट
पर अपनी जमीन दे सकता है। नगड़ी में जमीन का अधिग्रहण वर्ष 1957 में हुआ।
जिन लोगों की जमीन ली गई, उनमें से 90 प्रतिशत लोगों ने इस फैसले का विरोध
करते हुए रुपए लेने से इनकार कर दिया था। जाहिर है कि उस समय भी ग्रामीण
सरकार के फैसले से असहमत थे।
विस्फोटक हुई स्थिति
आज एक बार फिर स्थिति विस्फोटक हो गई है। अब यह कहना कि 1957 के रेट में
ब्याज जोड़कर ग्रामीणों को पैसे दिए जाएं। घोर अन्याय है। ऐसा नहीं होना
चाहिए।
कृषि भूमि न ली जाए
मथुरा महतो ने कहा कि खेती योग्य जमीन का अधिग्रहण नहीं होना चाहिए। झारखंड
में वैसे भी कृषि भूमि की कमी है। किसी भी प्रोजेक्ट में ऐसी जमीन का
अधिग्रहण नहीं होना चाहिए।
किसानों से हो बात
मंत्री ने कहा, नगड़ी के लोगों से बात करनी चाहिए। अगर वे वर्तमान दर पर
जमीन देना चाहते हैं, तो सरकार जमीन की कीमत तय करे। यदि वे वर्तमान दर पर
भी जमीन देने को तैयार नहीं हैं, तो जोर-जबर्दस्ती नहीं होनी चाहिए।
नगड़ी में जमीन अधिग्रहण के मसले पर भू-राजस्व मंत्री मथुरा महतो ने
सोमवार को कहा कि नगड़ी के लोगों के साथ सरकार ने अन्याय किया है। वहां के
ग्रामीणों की मांगें जायज हैं। वे उनके आंदोलन का नैतिक समर्थन करते हैं और
उनकी जमीन लौटाने के पक्ष में हैं। मथुरा महतो प्रोजेक्ट भवन स्थित अपने
कार्यालय में दैनिक भास्कर से बात कर रहे थे। मंत्री ने कहा कि वैसे भी जिस
उद्देश्य के लिए जमीन का अधिग्रहण होता है, अगर वह उद्देश्य पूरा न हो तो
फिर अधिग्रहण का औचित्य खत्म हो जाता है। नगड़ी में जमीन अधिग्रहण का
उद्देश्य परिवर्तित हो गया है, लिहाजा ग्रामीणों की मांग पर हम गंभीर हैं।
राज्य सरकार के मंत्री होने के नाते हम सीएम से मिल कर इन सब मुद्दों पर
उन्हें सहमत कराने का प्रयास करेंगे।
उस वक्त भी सहमत नहीं थे ग्रामीण
झामुमो विधायक मथुरा ने स्वयं सवाल उछाला कि क्या कोई 60 वर्ष पुराने रेट
पर अपनी जमीन दे सकता है। नगड़ी में जमीन का अधिग्रहण वर्ष 1957 में हुआ।
जिन लोगों की जमीन ली गई, उनमें से 90 प्रतिशत लोगों ने इस फैसले का विरोध
करते हुए रुपए लेने से इनकार कर दिया था। जाहिर है कि उस समय भी ग्रामीण
सरकार के फैसले से असहमत थे।
विस्फोटक हुई स्थिति
आज एक बार फिर स्थिति विस्फोटक हो गई है। अब यह कहना कि 1957 के रेट में
ब्याज जोड़कर ग्रामीणों को पैसे दिए जाएं। घोर अन्याय है। ऐसा नहीं होना
चाहिए।
कृषि भूमि न ली जाए
मथुरा महतो ने कहा कि खेती योग्य जमीन का अधिग्रहण नहीं होना चाहिए। झारखंड
में वैसे भी कृषि भूमि की कमी है। किसी भी प्रोजेक्ट में ऐसी जमीन का
अधिग्रहण नहीं होना चाहिए।
किसानों से हो बात
मंत्री ने कहा, नगड़ी के लोगों से बात करनी चाहिए। अगर वे वर्तमान दर पर
जमीन देना चाहते हैं, तो सरकार जमीन की कीमत तय करे। यदि वे वर्तमान दर पर
भी जमीन देने को तैयार नहीं हैं, तो जोर-जबर्दस्ती नहीं होनी चाहिए।