इंदौर, 6 जुलाई (एजेंसी)। देश में 2011 के दौरान पुलिसकर्मियों के खिलाफ
शिकायतें मिलने के मामले में सूबों और केंद्र शासित प्रदेशों की फेहरिस्त
में दिल्ली अव्वल रहा, जबकि उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश इस सूची में क्रमश:
दूसरे और तीसरे पायदान पर हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की सालाना रिपोर्ट ‘भारत में
अपराध 2011’ के मुताबिक, दिल्ली में पुलिस कर्मियों के खिलाफ सर्वाधिक
12,805 शिकायतें मिलीं।
उत्तर प्रदेश में पिछले साल ‘खाकीधारियों’ के
खिलाफ मिली शिकायतों की संख्या 11,971 है, जबकि मध्यप्रदेश में पुलिस वालों
के खिलाफ 10,683 शिकायतें मिलीं। 2011 के दौरान देशभर में पुलिसकर्मियों
के खिलाफ कुल 61,765 शिकायतें मिलीं, जो 2010 के मुकाबले 5.7 फीसद ज्यादा
हैं। 2010 में देश में पुलिस कर्मियों के खिलाफ 58,438 शिकायतें मिली थीं।
बहरहाल, पुलिस कर्मियों के खिलाफ की गई कुल शिकायतों में से 28,789
शिकायतें या तो झूठी निकलीं या इनमें आरोपों की पुष्टि नहीं हो सकी। यानी
पुलिस कर्मियों के खिलाफ की गई हर सौ शिकायतों में से करीब 47 शिकायतें
आखिरकार झूठ का पुलिंदा साबित हुर्इं।
पिछले साल ‘खाकीधारियों’ के खिलाफ की गई 21,672 शिकायतों पर जांच की प्रक्रिया शुरू की गई। इनमें से 21,144 शिकायतों पर विभागीय जांच शुरू की गई। 282 शिकायतों पर मजिस्ट्रेटी जांच की गई, जबकि
246 शिकायतों पर न्यायिक जांच हुई। इन शिकायतों पर जांच और आरोप तय किए
जाने के बाद 2011 में 1,229 पुलिस वालों के खिलाफ अदालतों में मुकदमे चलाए
गए। इनमें से 439 पुलिस कर्मियों के खिलाफ दायर मुकदमों में सुनवाई पूरी
हुई। इसके बाद अदालतों ने 392 खाकीधारियों को आरोपों से बरी कर दिया, जबकि
47 पुलिस कर्मियों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई गई। अब बात पिछले साल
पुलिस कर्मियों के खिलाफ की गई शिकायतों पर हुई विभागीय जांच के नतीजों की।
पुलिस कर्मियों के खिलाफ विभागीय जांंच के 21,144 मामलों में 26,736 पुलिस
कर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई।
देश में 2011 के दौरान
15,090 पुलिस कर्मियों के खिलाफ विभागीय जांच पूरी हुई। इस जांच के आधार
पर 873 पुलिस कर्मियों को सेवा से बर्खास्त या बाहर कर दिया गया। बिहार में
सर्वाधिक 252 पुलिस कर्मियों को सेवा से बर्खास्त या बाहर किया गया। इस
सूची में दिल्ली और उत्तर प्रदेश क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे, जहां
विभागीय जांच के आधार पर 162 और 108 पुलिस वालों को नौकरी से हाथ धोना
पड़ा।