चेन्नई, पांच जुलाई (एजेंसी) रिजर्व बैंक ने देश में दूरदराज ग्रामीण
क्षेत्रों तक बैंकिंग सेवायें पहुंचाने के लिये बैंकों से कम लागत वाली
छोटी ग्राम शाखा का कारगर माडल विकसित करने को कहा है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर डी. सुब्बाराव ने कल शाम यहां इंडियन ओवरसीज बैंक के
एक कार्यक्रम में कहा ‘‘मेरा मानना है कि गांव में खोली जाने वाली एक
किफायती बैंक शाखा के माडल पर काम करने की आवश्यकता है।’’
उन्होंने कहा
‘‘मैं इससे पहले भी कई मौकों पर यह कह चुका हुं कि बैंकों को वित्तीय
समावेश के लिये दायित्व मानकर नहीं बल्कि इसे एक संभावना मानकार काम करना
चाहिये ताकि व्यवस्था के निचले तबके तक लाभ पहुंचाया जा सके।’’
सुब्बाराव ने कहा कि रिजर्व बैंक आने वाले दिनों में बैंकों के बीच एक प्रतिस्पर्धा देखने की उम्मीद करता है, यह
प्रतिस्पर्धा गांवों में एक छोटी, कम कर्मचारियों और कम खर्च वाली बैंक
शाखा की मिशाल पेश करने के लिये होगी।
दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों तक
बैंकिंग सेवायें पहुंचाने के लिये वर्ष 2010 में एक कार्ययोजना तैयार की गई
जिसके तहत 2,Þ000 से अधिक आबादी वाले गांवों को औपचारिक बैंकिंग तंत्र से
जोड़ने का लक्ष्य रखा गया। इसके तहत देशभर में ऐसे 74,000 गांवों की पहचान
की गई। विभिन्न बैंकों को इन गांवों में मार्च 2012 तक बैंकिंग सेवायें
उपलब्ध कराने को कहा गया।
ज्यादातर बैंकों ने इस लक्ष्य को हासिल कर
लिया और ताजा आंकड़ों के अनुसार देशभर में इन गांवों में 1,10,000 बैंको ने
‘व्यवसायिक प्रतिनिधि’ तैनात किये हैं।
क्षेत्रों तक बैंकिंग सेवायें पहुंचाने के लिये बैंकों से कम लागत वाली
छोटी ग्राम शाखा का कारगर माडल विकसित करने को कहा है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर डी. सुब्बाराव ने कल शाम यहां इंडियन ओवरसीज बैंक के
एक कार्यक्रम में कहा ‘‘मेरा मानना है कि गांव में खोली जाने वाली एक
किफायती बैंक शाखा के माडल पर काम करने की आवश्यकता है।’’
उन्होंने कहा
‘‘मैं इससे पहले भी कई मौकों पर यह कह चुका हुं कि बैंकों को वित्तीय
समावेश के लिये दायित्व मानकर नहीं बल्कि इसे एक संभावना मानकार काम करना
चाहिये ताकि व्यवस्था के निचले तबके तक लाभ पहुंचाया जा सके।’’
सुब्बाराव ने कहा कि रिजर्व बैंक आने वाले दिनों में बैंकों के बीच एक प्रतिस्पर्धा देखने की उम्मीद करता है, यह
प्रतिस्पर्धा गांवों में एक छोटी, कम कर्मचारियों और कम खर्च वाली बैंक
शाखा की मिशाल पेश करने के लिये होगी।
दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों तक
बैंकिंग सेवायें पहुंचाने के लिये वर्ष 2010 में एक कार्ययोजना तैयार की गई
जिसके तहत 2,Þ000 से अधिक आबादी वाले गांवों को औपचारिक बैंकिंग तंत्र से
जोड़ने का लक्ष्य रखा गया। इसके तहत देशभर में ऐसे 74,000 गांवों की पहचान
की गई। विभिन्न बैंकों को इन गांवों में मार्च 2012 तक बैंकिंग सेवायें
उपलब्ध कराने को कहा गया।
ज्यादातर बैंकों ने इस लक्ष्य को हासिल कर
लिया और ताजा आंकड़ों के अनुसार देशभर में इन गांवों में 1,10,000 बैंको ने
‘व्यवसायिक प्रतिनिधि’ तैनात किये हैं।