उत्‍तर प्रदेश में लगेंगे आलू आधारित उद्योग

सरकार ने आलू किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए प्रदेश में आलू आधारित उद्योग लगवाने की पहल शुरू की है। सरकार की कोशिश है कि उ.प्र. में हो रहे 30 से 40 लाख टन अतिरिक्त आलू को उद्योगों में खपाया जा सके। जिससे बाजार में इसका दाम स्थिर रहे और किसानों को नुकसान न उठाना पडे़।

इस सिलसिले में कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक रंजन ने बड़े व प्रमुख उद्यमियों के साथ विचार-विमर्श किया। उन्होंने उद्यमियों की समस्याएं समझीं। साथ ही उनसे अपने उद्योग लगाने के लिए 15 दिन में प्रस्ताव मांगें हैं। उद्यमियों ने सरकार से उद्योग लगाने के लिए करों में छूट, आसानी से बिजली का कनेक्शन और बगैर बाधा की उसकी आपूर्ति की शर्त रखी है। अगर सब कुछ योजनानुसार आगे बढ़ा तो भविष्य में आलू किसानों को अपना आलू सड़क किनारे न फेंकना पड़ेगा और न जलाना पड़ेगा।

पोटैटो कन्क्लेव के नाम से आयोजित इस कार्यक्रम में सरकार की तरफ से उप निदेशक उद्यान धर्मेन्द्र पाण्डेय ने बताया कि प्रदेश में प्रतिवर्ष औसतन 135-140 लाख टन आलू पैदा होता है। इसमें 100 लाख टन आलू तो खप जाता है लेकिन 30-40 लाख टन आलू बच जाता है। इसलिए प्रदेश में आलू आधारित उद्योग लगाने के लिए भरपूर संभावनाएं हैं।

कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक रंजन ने आश्वस्त किया कि जो निवेशक उ.प्र. में आलू आधारित उद्योग लगाने को उत्सुक हैं वे अपने प्रस्ताव 15 दिन में सरकार को दे दें। सरकार उन्हें हर संभव सहायता प्रदान करेगी। उन्होंने उद्यमियों को बताया कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आलू किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए प्रदेश में आलू आधारित उद्योग लगाने वालों को पूरी सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया है।

उन्होंने उद्योगपतियों को यह आश्वासन भी दिया कि सरकार प्रदेश में औद्योगिक माहौल बनाना चाहती है। इसके लिए न सिर्फ उद्योगपतियों की सहायता की जाएगी बल्कि उन्हें उद्योग लगाने के लिए बहुत ज्यादा दौड़भाग न करनी पड़े, इस पर ध्यान दिया जाएगा। कृषि उत्पादन आयुक्त ने आश्वस्त किया कि प्रदेश में जल्द ही नई खाद्य प्रसंस्करण नीति लागू कर दी जाएगी। इस नीति में उद्योगपतियों की चिंताओं को शामिल करते हुए उनके समाधान की व्यवस्था की गई है।

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