कोलकाता, 28 जून (एजेंसी) एक सर्वेक्षण से पता चला है कि बच्चों के लिए
मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के दो साल बाद भी
पश्चिम बंगाल के ग्रामीण इलाकों में इसका क्रियान्वयन एक चुनौती बना हुआ
है।
चाइल्ड राइट एंड यू :क्राई: और पश्चिम बंगाल शिक्षा नेटवर्क द्वारा कराये
गये सर्वेक्षण में कहा गया है, ‘‘पश्चिम बंगाल के कई जिलों में व्यापक भूमि
सर्वेक्षण के बाद यह पाया गया है कि हालांकि यह कानून लागू है फिर भी
सुविधा से वंचित बच्चों को अक्सर उनके अधिकार नहीं दिये जाते हैं ।’’
मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के दो साल बाद भी
पश्चिम बंगाल के ग्रामीण इलाकों में इसका क्रियान्वयन एक चुनौती बना हुआ
है।
चाइल्ड राइट एंड यू :क्राई: और पश्चिम बंगाल शिक्षा नेटवर्क द्वारा कराये
गये सर्वेक्षण में कहा गया है, ‘‘पश्चिम बंगाल के कई जिलों में व्यापक भूमि
सर्वेक्षण के बाद यह पाया गया है कि हालांकि यह कानून लागू है फिर भी
सुविधा से वंचित बच्चों को अक्सर उनके अधिकार नहीं दिये जाते हैं ।’’
नेटवर्क ने दो माह के सघन
सर्वेक्षण के बाद अपनी रिपोर्ट में कहा कि नौ जिलों में 1210 बच्चों ने
शिक्षा पूरी करने के पहले ही स्कूल छोड़ दिया ।
उसने कहा, ‘‘जहां तक शिक्षा के अधिकार कानून को लागू करने की बात है, ये आंकड़े बताते हैं कि पश्चिम बंगाल में सब ठीक नहीं है ।’’
जिन
जिलों में सर्वेक्षण कराया गया उनमें दक्षिणी और उत्तरी-24 परगना जिला,
पूर्वी मिदनापुर, हुगली, वर्द्धमान , बांकुरा, मुर्शिदाबाद, माल्दा और
उत्तरी दिनाजपुर शामिल हैं ।