ये संभव हुआ है राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कारपोरेशन की वजह से। कारपोरेशन ने दवा कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ाकर दवाओं को मरीजों के लिए सस्ता बना दिया है। कारपोरेशन के प्रबन्ध निदेशक डा.शमित शर्मा ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के समक्ष सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने के लिए कारपोरेशन की कार्यप्रणाली को दिखाया।
एनेक्सी में मुख्यमंत्री कार्यालय में अफसरों के बीच उन्होंने बताया कि कैसे 1600 रुपए की एंटीबायटिक दस फीसदी तक दाम में मिल रही है। इसके लिए उन्होंने जेनरिक दवाएं खरीदने की सिफारिश की। उन्होंने बताया कि जो दवाएं ब्राण्ड नाम से महंगी मिलती हैं, वही दवा जेनरिक नाम से सस्ते में भी मिल जाती है। उन्होंने बताया कि दवाओं के बढ़ते दाम से इलाज आम आदमी की पहुंच में नहीं है। वहीं सरकार खुद चाहे तो अच्छी कंपनियां भी महंगी दवाएं जेनरिक नाम से सस्ते में वही दवा दे सकती हैं। ऐसा राजस्थान में संभव हो रहा है। इससे गरीबों को न तो दवा केलिए अपने खेत बेचने पड़ रहे हैं और न ही गहने गिरवी रखने पड़ रहे हैं।
यही नहीं सरकार ने खुद की सस्ती दवा की दुकानें भी अस्पतालों के इर्द-गिर्द खुलवा रखी हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कुछ और राज्यों के माडलों का अध्ययन भी कर लें। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने दवाओं की खरीद के लिए कारपोरेशन बनाने पर सहमति बना ली है। इसके लिए जल्दी ही अफसरों का एक दल तमिलनाडु जाएगा। वहीं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि प्रदेश में प्रतिष्ठित कंपनियों की 22 दवाएं खरीदने का फैसला लिया गया है।
उन्होंने कहा कि ब्राण्डेड दवाएं बनाने वाली कंपनियों की जेनरिक दवाओं और मामूली कंपनियों की जेनरिक दवाओं का अंतर पहचानना जरूरी है। सरकार ने हर मरीज तक दवा पहुंचाने के लिए 360 करोड़ की दवा खरीदने की व्यवस्था की है। वहीं मुख्य सचिव जावेद उस्मानी ने कहा कि दवाओं की खरीद के लिए एक साइंटिफिक मैनेजमेंट जरूरी है। दवा खरीद के लिए ऐसी व्यवस्था विकसित की जाए कि घटिया दवाएं आपूर्ति करने वाली कंपनियों के टेंडर स्वीकृत न हों। उन्होंने कहा कि सरकारी खरीद के लिए आयी दवा बनाने वाली कंपनियों की दवा कतई न खरीदी जाए। इस मौके पर मुख्य सचिव जावेद उस्मानी, प्रमुख सचिव संजय अग्रवाल, मिशन निदेशक एनआरएचएम मुकेश मेश्राम, महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य डा.राम जी लाल भी मौजूद थे।