गांवों में कैसे बनेंगे घर, नीति ही नहीं

रांची : गांवों में किसी भी तरह का निर्माण सरकार की नजर में अवैध है.
यहां तक की सरकार ग्रामीणों को गांवों में घर बनाने की स्वीकृति भी नहीं
देती. सिर्फ उन्हीं इलाकों में नक्शों की स्वीकृति दी जाती है, जो नगर
निकाय के क्षेत्र में पड़ते हैं.

पिछले तीन सालों में सरकार ग्रामीण इलाकों और कस्बों के लिए नीति नहीं
बना सकी. इसका सीधा असर विकास कार्यो पर पड़ रहा है. इन इलाकों में
प्रस्तावित टाउनशिप या बहुमंजिली इमारतों का निर्माण संभव नहीं हो पा रहा
है. इन क्षेत्रों का विकास रुक गया है.

* बीडीओ, सीओ को स्वीकृति देने की मनाही
2009 के पूर्व तक ग्रामीण
क्षेत्रों में बीडीओ या सीओ प्रस्तावित निर्माण के नक्शे की पावती
(रिसिविंग) रख कर निर्माण की अनुमति दे देते थे. पावती की रसीद बैंकों में
भी मान्य थी.

इसी रसीद के आधार पर बैंक लोन भी स्वीकृत कर देते थे. पर 2009 में नगर
विकास विभाग ने बीडीओ या सीओ से ली गयी पावती की रसीद को अवैध घोषित कर
दिया. बैंकों ने भी ग्रामीण क्षेत्रों में गृह निर्माण के लिए लोन पर
अघोषित पाबंदी लगा दी.

जीआरडीए को शक्ति दी, फिर वापस ले लिया : वर्ष 2009 के अंतिम महीने में
नगर विकास विभाग के तत्कालीन सचिव अरुण कुमार सिंह ने ग्रेटर रांची
डेवलपमेंट अथॉरिटी (जीआरडीए) को निकाय क्षेत्रों से बाहर पड़नेवाले इलाकों
में नक्शा स्वीकृति का अधिकार दिया था.

इसके बाद राज्य भर से जीआरडीए में लगभग आधा दर्जन नक्शे स्वीकृति के लिए
जमा किये गये. हालांकि किसी भी नक्शे को स्वीकृत नहीं किया गया. करीब तीन
माह बाद नगर विकास विभाग ने जीआरडीए से यह शक्ति वापस ले ली. इसके बाद
ग्रामीण क्षेत्रों में निर्माण की अनुमति के संबंध में अब तक कुछ नहीं किया
गया.

– क्या कहते हैं अधिकारी
ग्रामीण क्षेत्रों में किसी तरह के निर्माण
के संबंध में फिलहाल कोई नियमावली नहीं है. इस पर काम चल रहा है. पंचायती
राज विभाग को नियमावली बनाने का जिम्मा दिया गया है. नियमावली तैयार होने
के बाद निर्माण की अनुमति दी जा सकेगी.
– एके प्रभाकर, विशेष सचिव, ग्रामीण विकास विभाग

* ग्रामीण क्षेत्र नगर विकास विभाग की परिधि से बाहर हैं. इन क्षेत्रों
में प्रस्तावित निर्माण को शहरी निकायों की ओर से स्वीकृति नहीं दी जा
सकती. गांवों का विकास ग्रामीण विकास विभाग का विषय है. ग्रामीण विकास
विभाग को इस संबंध में कोई निर्णय लेना चाहिए. वैसे राज्य सरकार भी मामले
में हस्तक्षेप कर सकती है.
– गजानंद राम, टाउन प्लानर, नगर विकास विभाग

* क्या कहते हैं लोग
हम पिछले दो सालों से शहरी क्षेत्र के बाहर
निर्माण की स्वीकृति हासिल करना चाह रहे हैं. जिला परिषद से लेकर नगर विकास
विभाग तक सैकड़ों चक्कर काट चुके हैं. कहीं से भी निर्माण की अनुमति नहीं
मिल रही है. हमारा प्रोजेक्ट लटक गया है. बैंक से लोन भी नहीं मिल रहा है. –
अजय चौधरी, विकास डेवलपर्स, धनबाद

* घर बनाने के लिए बैंक से लोन लेना चाहता हूं. लोन देने के लिए बैंक
सरकार से स्वीकृत नक्शे की मांग कर रहा है.मैंने जिला परिषद के कई चक्कर
लगाये हैं. जीआरडीए में भी आवेदन दिया है. पिछले दो-तीन सालों से नक्शा पास
कराने की कोशिश कर रहा हूं. अब तक नक्शा पर कोई सुनवाई नहीं हुई है.
– सुकेश साहू, ग्रामीण कतारीबेड़ा, कांके

– क्या हो रहा है असर
इन इलाकों में प्रस्तावित टाउनशिप या बहुमंजिली
इमारतों का निर्माण संभव नहीं हो पा रहा है. इन क्षेत्रों का विकास रुक
गया है. रांची के अलावा जमशेदपुर, धनबाद, बोकारो, सरायकेला-खरसांवा समेत कई
जिलों के मुख्य शहरों के आस-पास निर्माण के प्रस्ताव लंबित हैं.

– ग्रामीणों को होम लोन नहीं
राज्य में शहरी निकायों से बाहर
रहनेवालों को बैंकों से होम लोन भी नहीं मिल पा रहा है. बैंक सरकारी एजेंसी
द्वारा स्वीकृत नक्शे की मांग करते हैं. नक्शा स्वीकृत नहीं होने के कारण
ग्रामीण बैंकों में होम लोन के लिए आवेदन नहीं दे पा रहे हैं.

इसके अलावा सरकार कृषि योग्य भूमि का स्वाभाव बदल जाने पर भी उसमें
निर्माण की स्वीकृति नहीं दे रही है. इस कारण शहरी निकायों के क्षेत्र में
भी कई नक्शों पर कोई निर्णय नहीं लिया जा रहा है. आरआरडीए और माडा जैसी
एजेंसियों ने कई बार इस संबंध में नगर विकास विभाग से निर्देश मांगा है.
हालांकि अब तक विभाग ने अपना रुख साफ नहीं किया है.

* निकाय के बाहर के क्षेत्रों में हुए निर्माण सरकार की नजर में अवैध
* तीन सालों से कोई फैसला नहीं, ग्रामीणों को परेशानी

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