भोपाल।
शुद्ध पेयजल मुहैया कराने में नाकाम रही प्रदेश सरकार अब गांवों में 20
पैसे प्रति लीटर की दर से शुद्ध पानी बेचेगी। इसके लिए गांवों में निजी
कंपनियों की मदद से छोटे-छोटे वाटर प्यूरीफायर प्लांट लगाए जाएंगे। ये
प्लांट लोगों को आईएसओ 10500 गुणवत्ता का पेयजल उपलब्ध कराएंगे। शुरुआती
चरण में सरकार नवाचार कार्यक्रम के तहत धार, दमोह आदि जिलों में करीब 100
प्लांट लगाकर इस स्कीम को शुरू करने जा रही है। योजना के सफल होने पर इसे
पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा।
आवास एवं पर्यावरण विभाग ने कम्युनिटी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के नाम से इस
स्कीम के लिए प्रदेश नवाचार कोष से करीब 50 लाख रुपए मंजूर कराए हैं। इसमें
एन्वायरनमेंट प्लानिंग एंड को-ऑर्डिनेशन ऑर्गेनाइजर (एप्को) को एजेंसी
बनाया गया है। एप्को ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के जरिए हाल
ही में इसके लिए टेंडर जारी कर युरेका फोब्र्स को ठेका दिया है। कंपनी गांव
की जनसंख्या के हिसाब से प्लांट की स्थापना करेगी। टेंडर शर्तो के मुताबिक
कंपनी 2000 तक की आबादी वाले गांवों में हर घंटे 500 लीटर पानी सप्लाई
करने वाले प्लांट लगाएगी।
सबसे बड़ा प्लांट 4000 लीटर प्रति घंटे की क्षमता वाला होगा। इसे 5000 की
आबादी वाले गांव में लगाया जाएगा। इनकी कीमत 5 लाख से 11 लाख रुपए प्रति
प्लांट होगी। सबसे पहले फ्लोराइड, आयरन और खारे पानी की समस्या से ग्रस्त
गांवों में ये प्लांट लगाए जाएंगे। विभाग के मुताबिक अभी ज्यादातर
बीमारियां गंदे पानी से होती हैं। इससे लोगों को स्वास्थ्य पर मोटी रकम
खर्च करना पड़ती है। लिहाजा कम खर्च में साफ पानी मिलने से लोगों का अच्छा
रिस्पॉन्स मिलने की उम्मीद है।
ऐसा होगा प्लांट का संचालन : कंपनी रिवर्स ऑस्मोसिस तकनीक वाला प्लांट
लगाएगी। आमतौर पर कंपनियां घरों के लिए इसी तकनीक पर आधारित वाटर
प्यूरीफायर बेंचती हैं। सरकार प्लांट की राशि तीन सालों में अदा करेगी।
वहीं कंपनी को इसका मेंटेनेंस व संचालन करना होगा। प्लांट के साथ एक कमरे,
पानी स्टोर करने के लिए टंकी, कैन और अटेंडर की व्यवस्था कंपनी को ही करनी
होगी। इसकी भरपाई के लिए कंपनी गांव वालों से शुद्ध पेयजल की कीमत ले सकती
है। वहीं संबंधित ग्राम पंचायत कंपनी को कच्चा पानी मुहैया कराएगी।
शुद्ध पेयजल मुहैया कराने में नाकाम रही प्रदेश सरकार अब गांवों में 20
पैसे प्रति लीटर की दर से शुद्ध पानी बेचेगी। इसके लिए गांवों में निजी
कंपनियों की मदद से छोटे-छोटे वाटर प्यूरीफायर प्लांट लगाए जाएंगे। ये
प्लांट लोगों को आईएसओ 10500 गुणवत्ता का पेयजल उपलब्ध कराएंगे। शुरुआती
चरण में सरकार नवाचार कार्यक्रम के तहत धार, दमोह आदि जिलों में करीब 100
प्लांट लगाकर इस स्कीम को शुरू करने जा रही है। योजना के सफल होने पर इसे
पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा।
आवास एवं पर्यावरण विभाग ने कम्युनिटी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के नाम से इस
स्कीम के लिए प्रदेश नवाचार कोष से करीब 50 लाख रुपए मंजूर कराए हैं। इसमें
एन्वायरनमेंट प्लानिंग एंड को-ऑर्डिनेशन ऑर्गेनाइजर (एप्को) को एजेंसी
बनाया गया है। एप्को ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के जरिए हाल
ही में इसके लिए टेंडर जारी कर युरेका फोब्र्स को ठेका दिया है। कंपनी गांव
की जनसंख्या के हिसाब से प्लांट की स्थापना करेगी। टेंडर शर्तो के मुताबिक
कंपनी 2000 तक की आबादी वाले गांवों में हर घंटे 500 लीटर पानी सप्लाई
करने वाले प्लांट लगाएगी।
सबसे बड़ा प्लांट 4000 लीटर प्रति घंटे की क्षमता वाला होगा। इसे 5000 की
आबादी वाले गांव में लगाया जाएगा। इनकी कीमत 5 लाख से 11 लाख रुपए प्रति
प्लांट होगी। सबसे पहले फ्लोराइड, आयरन और खारे पानी की समस्या से ग्रस्त
गांवों में ये प्लांट लगाए जाएंगे। विभाग के मुताबिक अभी ज्यादातर
बीमारियां गंदे पानी से होती हैं। इससे लोगों को स्वास्थ्य पर मोटी रकम
खर्च करना पड़ती है। लिहाजा कम खर्च में साफ पानी मिलने से लोगों का अच्छा
रिस्पॉन्स मिलने की उम्मीद है।
ऐसा होगा प्लांट का संचालन : कंपनी रिवर्स ऑस्मोसिस तकनीक वाला प्लांट
लगाएगी। आमतौर पर कंपनियां घरों के लिए इसी तकनीक पर आधारित वाटर
प्यूरीफायर बेंचती हैं। सरकार प्लांट की राशि तीन सालों में अदा करेगी।
वहीं कंपनी को इसका मेंटेनेंस व संचालन करना होगा। प्लांट के साथ एक कमरे,
पानी स्टोर करने के लिए टंकी, कैन और अटेंडर की व्यवस्था कंपनी को ही करनी
होगी। इसकी भरपाई के लिए कंपनी गांव वालों से शुद्ध पेयजल की कीमत ले सकती
है। वहीं संबंधित ग्राम पंचायत कंपनी को कच्चा पानी मुहैया कराएगी।