मुंबई। राज्य
सरकार ने किसानों को खेती के आधुनिक तरीकों के बारे में प्रशिक्षित करने
के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सरकार इन किसानों को अध्ययन के लिए
विदेश भेजने में आने वाले खर्च के कुछ हिस्से का भुगतान अपने पास से करेगी।
साल
की शुरुआत में 172 किसानों का दल महाराष्ट्र से यूरोप गया था। अम्सटर्डम
में उन्होंने डेयरियों में पनीर उत्पादन यूनिटों में काम देखा और फिर
जर्मनी में सौर ऊर्जा पर आधारित हरित घरों को भी देखा। इस अध्ययन यात्रा का
आधा खर्च राज्य सरकार ने उठाया था। अगला दल इस महीने के आखिर में यूरोप
जाएगा।
इस योजना के लिए 10
करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। सरकार की योजना किसानों को दक्षिणी
अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड
भेजने की भी है।
कृषि
मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटील ने कहा कि किसान खेती की नई तकनीकों के
साथ-साथ मार्केटिंग की रणनीतियां, स्थानीय कृषि के तरीके, उनकी प्रोसेसिंग
और संरक्षण के तरीके भी सीख रहे हैं। किसानों ने बूंद-बूंद रिसाव से सिंचाई
की तकनीक सीखने के लिए ब्राजील और इजराइल जाने की भी इच्छा जताई है।
इस
अध्ययन यात्रा पर जाने के लिए किसानों का चुनाव पहले आओ, पहले पाओ के आधार
पर होता है। इसके लिए आवेदन क्षेत्रीय कार्यालय में जमा कराने होते हैं।
कृषि विभाग के दो अधिकारी और किसानों की मदद के लिए एक अनुवादक इस दल के
साथ जाते हैं। अब राज्य सरकार कृषि कॉलेजों से कृषि विशेषज्ञों को भी साथ
लेने की सोच रही है।