बारिश का बढ़ा इंतजार, 15 दिन से ज्यादा लेट हो सकता है मानसून- डूंगर सिंह की रिपोर्ट

जयपुर.प्रदेश में इस बार मानसून के तय समय से एक माह से भी
ज्यादा देरी से आने के आसार बन रहे हैं। 1 जून को केरल पहुंचा मानसून
पश्चिमी उप्र में प्रवेश करते ही कमजोर पड़ गया। अब एक सप्ताह तक बंगाल
की खाड़ी और अरब सागर में से कहीं भी नए मौसमी तंत्र के विकसित होने के
संकेत नहीं मिल रहे। उसके बाद तंत्र बनेगा तो भी राजस्थान तक पहुंचने में
15 से 25 दिन लग जाएंगे। ऐसे में 15 जुलाई से पहले किसी चमत्कार के बिना
मानसून के बादल पहुंचने संभव नहीं हैं।

मौसम विभाग के निदेशक एस एस सिंह का कहना है कि मौसम विभाग, दिल्ली 4
जुलाई को फिर से मानसून का रिव्यू करेगा, तभी ठीक से पता चल सकेगा कि 15
जुलाई के बाद प्रदेश में कब दस्तक देगा। प्रदेश में मानसून के प्रवेश करने
की सामान्य तिथि 21 जुलाई है। मौसम विभाग के अनुसार इस बार पहले फेज की
तरह दूसरे फेज के बादल भी देश के दक्षिणी और उत्तर-पूर्वी हिस्से तक
पहुंचते-पहुंचते बिखर गए तो राजस्थान अकाल की चपेट में आ सकता है। जुलाई
बीतने के बाद बारिश आई भी तो पछेती फसलों के सिवाय किसी फसल के होने के
आसार नहीं रहेंगे।


पहले फेज के बादल सात दिन जमे रहे, बिखर गए


सात दिन पहले मानसून के पहले फेज के बादल वेरावल, सूरत, जबलपुर,
वाराणसी, गौरखपुर पहुंच गए थे। लेकिन विंड पैटर्न 360 डिग्री घूमा हुआ होने
से बादल सात दिन तक इन स्थानों पर अटक कर बिखर गए। मानसून वहीं ठंडा पड़
गया।


..तो सात दिन पहले बरस जाते बदरा


पिछले 10 दिन से राजस्थान सहित उत्तर भारत में हवा का रुख बदला हुआ है।
हमारे यहां मानसून तभी पहुंच सकता है जब हवा पूर्व से पश्चिमी की ओर चले।
लेकिन पिछले 10 दिन से हवा पश्चिमी से पूर्व की ओर बह रही है। यदि पुरवाई
चलती तो बादल आज से सात दिन पहले ही बरस चुके होते।


आगे क्या?


मौसम विभाग के निदेशक एस एस सिंह का कहना है कि अगले एक सप्ताह तक बंगाल
की खाड़ी या अरब सागर में नया मौसमी तंत्र बनने की संभावना नहीं है। इस
बार बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर दोनों शाखाओं का मानसून कमजोर है। दुबारा
तंत्र बना भी तो जुलाई के दूसरे सप्ताह में केरल, चेन्नई से मानसून के
राजस्थान पहुंचने में समय लगेगा।


प्रदेश के प्रमुख तीन बांधों की वर्तमान स्थिति बांध का नाम …
वर्तमान गेज .. वर्तमान पानी की मात्रा राणा प्रताप सागर … 349.75 मीटर
.. 2330.56 एमक्यूएम माही बजाज सागर.. 269.90 मीटर… 936.58 एमक्यूएम
जवाई बांध … 7.3 मीटर… 40.40 एमक्यूएम


(एमक्यूएम: मिलियन क्यूबिक मीटर) बीसलपुर में एक साल का पानी


बीसलपुर बांध का गेज बुधवार को 310.44 मीटर था। इसमें अभी तक 344.66
मिलियन क्यूबिक मीटर पानी स्टोर है। रोजाना जयपुर को 35.6 करोड़(356
एमएलडी) तथा अजमेर को 23 करोड़ (230 एमएलडी) लीटर पानी की सप्लाई की जा रही
है। इस मांग के अनुसार बीसलपुर दोनों शहर को एक साल तक पानी पिला सकेगा।
पिछले साल मानसून से पहले बीसलपुर का गेज 306.65 मीटर था, जबकि अब 310 मीटर
से ज्यादा है।


60 फीसदी तक पैदावार गिर जाएगी


‘यदि मानसून 15 जुलाई के बाद आएगा तो यह पूर्ण अकाल नहीं तो तीन चौथाई
अकाल निश्चित है। 30 फीसदी तक बुवाई का रकबा गिर जाएगा। 60 फीसदी तक फसलों
की पैदावार गिर जाएगी। 15 जुलाई तक खेती नहीं हुई तो बाद में अगस्त सितंबर
में होने वाली बारिश भी कुछ काम की नहीं रहेगी। इसका असर दालों की कीमतों
पर पड़ेगा। खरीफ की नमी रबी की पैदावार के काम आती है। इसलिए खरीफ के साथ
रबी की सरसों आदि पैदावार भी बुरी तरफ प्रभावित हो सकती है।’


सुरजीतसिंह, निदेशक, विकास अध्ययन संस्थान जयपुर


कारण क्या?


> उत्तरी अरब सागर में मई में ही बारिश हो गई। इस कारण मौसमी तंत्र
की नमी समय से पहले ही खत्म हो गई और एक जून को केरल से देश में प्रवेश
करने वाला मानसून धीमा पड़ गया।


> बंगाल की खाड़ी से उठने वाले मानसून की दिशा भी इस बार उत्तर-पूर्व
के पहाड़ों की तरफ हो गई। इससे मानसून कोलकाता से आगे पश्चिम की तरफ बढ़ने
की बजाय असम, मणिपुर की ओर बढ़ गया।


> जो कमजोर मानसून आगे बढ़ रहा था, वह भी पुरवाई नहीं चलने से
राजस्थान की ओर नहीं बढ़ा। > हर बार बारिश से पहले पछुआ हवा 5-10 दिन
चलती है, इस बार तय समय से 15 दिन ज्यादा चल गई, जो बादलों के मार्ग में
बाधा बन गई।


(सुखाड़िया विवि उदयपुर के भूगोल विभाग के प्रो. नरपतसिंह राठौड़ के अनुसार)


समय पर बारिश होती तो..


यदि मानसून सामान्य रहता तो 27 जून तक जयपुर में 38.30 मिमी बारिश होती।
लेकिन अब तक 1.43 मिमी हुई है। यह सामान्य से 97% कम है। प्रदेश में 41.57
मिमी बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन अब तक 11.77 मिमी बारिश ही हुई है जो
सामान्य से 72% कम है।


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