लखनऊ. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए
आदेश दिया है कि यदि गोदामों में रखा गेहूं सड़ता है तो उसकी भरपाई सरकारी
कर्मचारी और अधिकारियों के वेतन से की जाए। कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते
हुए टिप्पणी की कि उत्तर प्रदेश गरीब राज्य है। लोगो को दो वक्त की रोटी
नसीब तक नही है, लेकिन सरकार को न तो गेहूं के जलने की फिक्र है और न ही
सडऩे की चिंता।
पूर्वांचल से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहली बारिश में ही हजारों
टन गेहूं सड़ रहा है। गेहूं की पैदावार इस साल भी ठीक हुई है, लेकिन यह
अनाज आम लोगों तक पहुंचने की जगह सरकारी लापरवाही के चलते सड़ रहा है।
सरकार के लाख दावों के बाद भी न तो भंडारण का कोई उचित इंतजाम है और न
ही क्रय केंद्रों से खरीद ही हो रही है। इससे पहले गेहूं के सडऩे की बात को
लेकर सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को फटकार लगा चुका है। कोर्ट ने केंद्र
को गोदामों में रखा अनाज गरीबों में बांटने की भी सलाह दी थी।