रोहतक.
हाईकोर्ट के सख्त आदेशों के बावजूद ‘अपना घर’ की बीमार व लाचार लड़कियों
को पीजीआई प्रशासन उपचार के नाम पर केवल तारीख पर तारीख दे रहा है। सोमवार
को भिवानी से रोहतक लाई गई लड़कियों को एक बार फिर जांच के बाद वापस भिवानी
भेज दिया गया। तर्क दिया कि अब पुलिस ही लड़कियों को लेकर आए, तभी उपचार
शुरू होगा।
इससे पहले सोमवार सुबह करीब नौ बजे एचआईवी पीड़ित व दो
मानसिक रूप से बीमार लड़कियों को बाल सेवा आश्रम भिवानी के कर्मचारी पीजीआई
लेकर पहुंचे। तीन घंटे में मनोरोग विभाग के तीन सदस्यीय पैनल में शामिल
डा.कृष्ण, डा.हितेश खुराना व एक महिला डाक्टर ने मेडिकल जांच की। जांच के
बाद पैनल ने स्पष्ट किया कि लड़कियों का उपचार अब तभी शुरू हो पाएगा, जब
पुलिस उन्हें लेकर आएगी।
इसके बाद एचआईवी पीड़ित लड़की को ओपीडी में ले
जाया गया, जहां कुछ सामान्य टेस्ट तो जरूर हुए, लेकिन डाक्टरों ने उसे
दाखिल करने का जोखिम नहीं लिया। इसके बाद वापस भिवानी भेज दिया गया। पिछले
दो सप्ताह में ऐसा पांचवीं बार हुआ है, लेकिन पीजीआई व प्रशासन का इस ओर
कोई ध्यान नहीं गया है।
मुंह से आ रहा खून, फिर भी दाखिल नहीं की
बाल
सेवा आश्रम के मैनेजर धर्मदेव का कहना है कि एचआईवी पीड़ित 18 वर्षीय
लड़की के मुंह से खून आ रहा है। 13 जून से अब तक वे पांच बार उसे दो अन्य
लड़कियों सहित पीजीआई रोहतक लेकर आ चुके हैं, लेकिन अभी तक उपचार शुरू नहीं
हो सका है। सोमवार को भी तीन डाक्टरों ने जांच पड़ताल कर वापस भेज दिया।
पर्याप्त सुविधाएं नहीं
मनोरोग विभाग में पर्याप्त संसाधन व सुविधाओं का अभाव है। स्टाफ की कमी के कारण ज्यादा मरीजों को दाखिल नहीं किया जा सकता।
राजीव गुप्ता,मनोरोग विभागाध्यक्ष।
हाईकोर्ट के सख्त आदेशों के बावजूद ‘अपना घर’ की बीमार व लाचार लड़कियों
को पीजीआई प्रशासन उपचार के नाम पर केवल तारीख पर तारीख दे रहा है। सोमवार
को भिवानी से रोहतक लाई गई लड़कियों को एक बार फिर जांच के बाद वापस भिवानी
भेज दिया गया। तर्क दिया कि अब पुलिस ही लड़कियों को लेकर आए, तभी उपचार
शुरू होगा।
इससे पहले सोमवार सुबह करीब नौ बजे एचआईवी पीड़ित व दो
मानसिक रूप से बीमार लड़कियों को बाल सेवा आश्रम भिवानी के कर्मचारी पीजीआई
लेकर पहुंचे। तीन घंटे में मनोरोग विभाग के तीन सदस्यीय पैनल में शामिल
डा.कृष्ण, डा.हितेश खुराना व एक महिला डाक्टर ने मेडिकल जांच की। जांच के
बाद पैनल ने स्पष्ट किया कि लड़कियों का उपचार अब तभी शुरू हो पाएगा, जब
पुलिस उन्हें लेकर आएगी।
इसके बाद एचआईवी पीड़ित लड़की को ओपीडी में ले
जाया गया, जहां कुछ सामान्य टेस्ट तो जरूर हुए, लेकिन डाक्टरों ने उसे
दाखिल करने का जोखिम नहीं लिया। इसके बाद वापस भिवानी भेज दिया गया। पिछले
दो सप्ताह में ऐसा पांचवीं बार हुआ है, लेकिन पीजीआई व प्रशासन का इस ओर
कोई ध्यान नहीं गया है।
मुंह से आ रहा खून, फिर भी दाखिल नहीं की
बाल
सेवा आश्रम के मैनेजर धर्मदेव का कहना है कि एचआईवी पीड़ित 18 वर्षीय
लड़की के मुंह से खून आ रहा है। 13 जून से अब तक वे पांच बार उसे दो अन्य
लड़कियों सहित पीजीआई रोहतक लेकर आ चुके हैं, लेकिन अभी तक उपचार शुरू नहीं
हो सका है। सोमवार को भी तीन डाक्टरों ने जांच पड़ताल कर वापस भेज दिया।
पर्याप्त सुविधाएं नहीं
मनोरोग विभाग में पर्याप्त संसाधन व सुविधाओं का अभाव है। स्टाफ की कमी के कारण ज्यादा मरीजों को दाखिल नहीं किया जा सकता।
राजीव गुप्ता,मनोरोग विभागाध्यक्ष।