पटना. इंसेफ्लाइटिस के कारणों का पता लगाने के लिए केंद्रीय
विशेषज्ञ टीम ने मुजफ्फरपुर से पीडि़त बच्चों के रक्त और सेरेब्रो स्पाइनल
फ्लूइड का नमूना लिया।
नमूना लेनेवाली पूणे के राष्ट्रीय विषाणु संस्थान (एनआईवी) और नेशनल सेंटर
फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) की टीम ने शनिवार को पटना में स्वास्थ्य
विभाग के प्रधान सचिव व्यासजी से मुलाकात की। व्यासजी ने बताया कि
राष्ट्रीय विषाणु संस्थान से दस दिनों में जांच रिपोर्ट मिलेगी। पता चलेगा
कि बीमारी किन कारणों से हुई। उन्होंने बताया कि मई से अब तक इस बीमारी से
169 बच्चों की मौत हो चुकी है। 92 इलाजरत हैं। कुल 458 मामले सामने आए हैं।
पूर्व में ही दस जिलों को इंसेफ्लाइटिस यानि मस्तिष्क ज्वर आक्रांत घोषित
करते हुए डॉक्टरों की छुट्टियां रद्द की गई है।
मस्तिष्क ज्वर आक्रांत जिलों में डॉक्टरों की गश्ती दल घूमेगी। पटना में
23, सीतामढ़ी में 17, नालंदा में 25, नवादा में 14 और गया में 24 गश्ती
दलों की ड्यूटी लगी है। मुजफ्फरपुर समेत दूसरे जिलों में भी गश्ती दल तैनात
की गई है। प्रत्येक गश्ती दल के साथ एक एंबुलेंस होगा।
48 डॉक्टरों की तैनाती
पीएमसीएच के जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को देखते हुए सरकार ने वैकल्पिक
व्यवस्था शुरू किया है। 75 डॉक्टरों की मांग के विरुद्ध 48 की तैनाती
शनिवार को की गई। प्रधान सचिव व्यासजी ने पटना के सीनियर एसपी को ड्यूटी पर
तैनात डॉक्टरों और अस्पतालकर्मियों की सुरक्षा के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने बताया कि सरकार जूनियर डॉक्टरों से बातचीत को तैयार है। शनिवार को
पीएमसीएच प्राचार्य के स्तर पर वार्ता विफल होने के बाद प्रधान सचिव ने
बातचीत का न्योता दिया है। साथ ही कहा कि जरूरत पडऩे पर सरकार कार्रवाई से
पीछे नहीं हटेगी।
मुजफ्फरपुर में शनिवार को फिर 17 बच्चे मरे, मृतकों की संख्या 154 हुई
मुजफ्फरपुर. मस्तिष्क ज्वर का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा। प्रतिदिन
बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है। शनिवार को फिर इस बीमारी ने 17 बच्चों
को अपने आगोश में ले लिया। इसके बाद उत्तर बिहार में मरने वाले बच्चों की
कुल संख्या 154 पहुंच गई है। उधर मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन डॉ. ज्ञान भूषण
एवं दिल्ली से आई एनसीएफडीसी की टीम के साथ स्वास्थ्य सचिव ब्यास जी की
अध्यक्षता में मैराथन बैठक हुई। सिविल सर्जन ने बताया कि बैठक में बीमारी
का इलाज ढूंढने पर गहन विचार-विमर्श किया गया। जानकारी के मुताबिक शनिवार
को एसकेएमसीएच में 17 एवं केजरीवाल में 16 बच्चों को भर्ती कराया गया।
इनमें एसकेएमसीएच में 11 एवं केजरीवाल में चार बच्चों ने दम तोड़ दिया।
वहीं शहर के निजी नर्सिंग होम में दो बच्चों ने इंसेफ्लाइटिस के कारण दम
तोड़ दिया।
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