गुमला. कल तक आर्थिक संकट से जूझ रही गुमला प्रखंड के पसंगा
गांव की 50 वर्षीय एतवारी देवी आज खुश है। खुशी की वजह आम की बेहतर पैदावार
और उससे मिल रहा लाभ है। एतवारी की तरह गुमला जिले के 900 गरीब आदिवासी
महिला पुरुष भी खुश हैं। जिनकी आर्थिक स्थिति आज सुधर गई है। यह सब संभव
हुआ है आम की खेती से। जिले के पालकोट, घाघरा, गुमला व रायडीह प्रखंड में
मेसो प्रोटोटाइप व मनरेगा योजना के तहत आम का पौधा लगाया गया है। प्रदान
संस्था ने ग्रामीणों को आम का पौधा लगाने के लिए जागरूक किया था।
आज इन चारों प्रखंडों में 1327 एकड़ में आम्रपाली व मल्लिका आम के पौधे
लगाए गए हैं। 2255 लाभुकों इससे जुड़े हैं। इसमें 900 लाभुकों को इसका सीधा
मुनाफा मिल रहा है। इस वर्ष 300 टन से भी अधिक आम का पैदावार हुआ है।
इसमें प्रति लाभुकों को हजारों रुपए का मुनाफा हुआ हैं। आम गुमला के अलावा
रांची में बेचा जा रहा है। यहां तक कि कई किसानों ने रिलायंस फ्रेश बिग
बाजार को भी आम बेचा है। रांची के कई थोक विक्रेता आम खरीदने गुमला पहुंच
रहे हैं। प्रदान संस्था के टीम लीडर राजीव रंजन ने बताया कि इस क्षेत्र के
किसान मेहनती है। अभी और 150 एकड़ खेत में आम के पौधे लगाए जा रहे हैं।
गांव की 50 वर्षीय एतवारी देवी आज खुश है। खुशी की वजह आम की बेहतर पैदावार
और उससे मिल रहा लाभ है। एतवारी की तरह गुमला जिले के 900 गरीब आदिवासी
महिला पुरुष भी खुश हैं। जिनकी आर्थिक स्थिति आज सुधर गई है। यह सब संभव
हुआ है आम की खेती से। जिले के पालकोट, घाघरा, गुमला व रायडीह प्रखंड में
मेसो प्रोटोटाइप व मनरेगा योजना के तहत आम का पौधा लगाया गया है। प्रदान
संस्था ने ग्रामीणों को आम का पौधा लगाने के लिए जागरूक किया था।
आज इन चारों प्रखंडों में 1327 एकड़ में आम्रपाली व मल्लिका आम के पौधे
लगाए गए हैं। 2255 लाभुकों इससे जुड़े हैं। इसमें 900 लाभुकों को इसका सीधा
मुनाफा मिल रहा है। इस वर्ष 300 टन से भी अधिक आम का पैदावार हुआ है।
इसमें प्रति लाभुकों को हजारों रुपए का मुनाफा हुआ हैं। आम गुमला के अलावा
रांची में बेचा जा रहा है। यहां तक कि कई किसानों ने रिलायंस फ्रेश बिग
बाजार को भी आम बेचा है। रांची के कई थोक विक्रेता आम खरीदने गुमला पहुंच
रहे हैं। प्रदान संस्था के टीम लीडर राजीव रंजन ने बताया कि इस क्षेत्र के
किसान मेहनती है। अभी और 150 एकड़ खेत में आम के पौधे लगाए जा रहे हैं।