नागपुर। तीन साल तक दोनों हाथ से धन बरसाने के बाद सरकार अब गरीबों के लिए बनी ‘जनश्री बीमा योजना’ से धीरे-धीरे हाथ खींच रही है।
सरकार
कितना धन बांट चुकी है, इसका अंदाजा इस बात से चलता है कि नागपुर मंडल में
इसके लगभग 5 लाख बीमा धारक हैं। गत वर्ष 1 लाख 70 हजार 4 सौ बच्चों को
छात्रवृत्ति बांटी गई है।
एनजीओ के माध्यम से योजना
उल्लेखनीय
है कि सरकार ने गरीबों के उत्थान के लिए ‘जनश्री बीमा योजना’ शुरू की थी।
इसका काम एनजीओ को दिया गया था। योजनांतर्गत समूह में बीमा कराया जाता है।
बीमा राशि का क्लेम लेने का तरीका काफी आसान होने से एनजीओ ने इसमें काफी
दिलचस्पी ली।
रायपुर में
धांधली उजागर होने के बाद से सरकार इस योजना से धीरे-धीरे हाथ खींच रही है।
सरकार सबसे पहले क्लेम एनजीओ को देने की परंपरा बंद की। उसके बाद
छात्रवृत्ति 100 फीसदी बच्चों को देने की बजाय 15 फीसदी बच्चों के लिए कर
दी गई है।
नहीं मिल रही छात्रवृत्ति
इधर
‘जनश्री बीमा योजना’ में लगे एक एनजीओ ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि
पिछले 8-9 माह से छात्रवृत्ति नहीं मिल रही है। पहले आसानी से छात्रवृत्ति
व डेथ क्लेम मिल जाते थे।
अब
सारे दस्तावेज देने के बावजूद लाभ देने में हाथ खींचे जा रहे हैं। जो
एनजीओ कार्यालय के चक्कर काटते हैं, उनके काम जल्दी हो रहे हैं।
छात्रवृत्ति नहीं मिलने से गरीब बच्चों का नुकसान भी हो रहा है।
‘जनश्री’ की तोड़ ‘आम आदमी’
सरकार
ने इसकी तोड़ के लिए ‘आम आदमी बीमा योजना’ शुरू की है। इसमें एनजीओ का दखल
बिल्कुल नहीं रखा गया है। तहसीलदार गरीबों के नाम सीधे जिलाधीश कार्यालय
के मार्फत एलआईसी को भेजते हैं। यहां से आनेवाले नामों का ही बीमा कराया
जाता है। ‘आम आदमी बीमा योजना’ की संख्या जनश्री बीमा योजना से काफी कम है।
क्या है ‘आम आदमी बीमा योजना’
गरीबी
रेखा के नीचे जीवनयापन करनेवाले लोगों के लिए बनी ‘आम आदमी बीमा योजना’ की
सूची तहसीलदार तैयार करता है। एक साल का 200 रु. प्रिमियम है।
इसका
पूरा प्रिमियम केंद्र सरकार जमा करती है। जनश्री के जो फायदे हैं, वे सब
इसमें निहित हैं। सरकारी अधिकारियों को इसकी जिम्मेदारी देने से अनुचित लाभ
लेने की संभावना कम है।
खामियों के कारण रोकी छात्रवत्ति
पेंशन
एण्ड ग्रुप स्कीम (पीएंडजीएस) विभाग के नागपुर मंडल प्रबंधक एस. आर. दास
ने कहा कि खामियों के चलते छात्रवृत्ति नहीं दी जा रही है। जिस एनजीओ ने
पूरी जानकारी सीडी में नहीं दी और जिनका प्रोग्राम यहां मैच नहीं हो रहा,
उन्हें छात्रवृत्ति नहीं दी जा रही है।
खामी
रहने पर कंप्यूटर डाटा स्वीकार नहीं करता, जिन्हें छात्रवृत्ति नहीं मिली,
उन्हें कार्यालय आकर खामियां दूर करनी चाहिए और सभी जरूरी जानकारी सीडी
में देना चाहिए। उन्होंने कहा कि 1 अप्रैल 2011 से 31 मार्च 2012 तक 1 लाख
70 हजार 4 सौ बच्चों को छात्रवृत्ति दी गई है।