रांची.झारखंड की राजधानी रांची से 25 किमी दूर कतरपा गांव। पारा
42-43 डिग्री। खेत सूख गए। कुएं का पानी भी। भरी दोपहर में सफेद साड़ी पहने
65 साल की फूलचीभी देवी अन्य महिलाओं के साथ एक निजी कुआं गहरा करने में
जुटी हैं। दो जून की रोटी जो चाहिए। सरकारी योजनाओं की विफलता का
जीता-जागता उदाहरण।
कहती हैं अंगूठा तो कई जगह लगवाया, लेकिन आज तक
पैसा नहीं मिला। कोई कह गया पेंशन दिलवा दूंगा, तो कोई रोजगार की गारंटी
देता था। हकीकत सामने है। पति काम नहीं कर सकता। एक बेटा अलग हो गया है।
दूसरे बेटे की मजदूरी से घर नहीं चलता। पेट पालना है। इसलिए बैलों की जगह
काम कर रही हूं। रोज नौ घंटे।