सोनीपत. किसानों ने अथक प्रयास किया और प्रकृति ने साथ दिया। इससे गेहूं की बंपर पैदावार हुई।
सरकारी एजेंसियों ने खरीद भी की। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार करीब 32
फीसदी अधिक गेहूं खरीदा गया। इससे सरकारी गोदाम ही नहीं खुले में गेहूं
रखने के लिए बनाए गए स्टॉक सेंटर फुल होने से जिले की मंडियों में भी खुले
में लाखों टन गेहूं स्टोर किया गया है, लेकिन इस गेहूं को सुरक्षित रखने के
पुख्ता प्रबंध नहीं हो पा रहे हैं। मानसून सिर पर है। कुछ दिनों से बादल
घिर रहे हैं और कुछ स्थानों पर बूंदा-बांदी भी हो रही है। ऐसे में गेहूं
भीगने का खतरा बना हुआ है।
कहीं गोलमाल तो..
जिले में यदि तेज बरसात होती है तो खुले में रखे गेहूं के कट्टों में अनाज
सड़ सकता है। स्वाभाविक ही है कि सरकार को इससे मोटी चपत लगेगी, पर फायदा
किसका होगा? इस बात की चर्चा सरकारी विभागों व आढ़तियों में जोरों पर है।
क्योंकि कोई तो है इस गेहूं को अभी तक तिरपाल नसीब नहीं होने दे रहा। यदि
बरसात हुई तो एकाएक इतने ढेरों को ढकना संभव नहीं। ऐसे में अब सवाल उठ रहे
हैं कि कहीं गेहूं को भिगोकर खराब होने की आड़ में अच्छे को भी गोलमाल करने
की कोशिश हो सकती है।
आढ़तियों को आशंका
वैसे तो कोई आढ़ती अधिकारियों से टकराव नहीं लेना चाहता। इसलिए खुलकर बोल
भी नहीं रहा है, लेकिन तरीके उन्हें सब पता हैं। उनका कहना है कि यदि सौ टन
गेहूं खराब होता हो तो पांच सौ टन की रिपोर्ट अधिकारी तैयार करते हैं। इस
तरह से चार सौ टन अच्छा गेहूं भी सड़े गेहूं के भाव में खुर्द-बुर्द कर
दिया जाता है। अब जब लाखों टन गेहूं खुले में हैं तो क्या हाल होगा, यह
अनुमान बरसात से पहले नहीं लगाना वे कठिन बताते हैं।
सरकारी एजेंसियों ने खरीद भी की। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार करीब 32
फीसदी अधिक गेहूं खरीदा गया। इससे सरकारी गोदाम ही नहीं खुले में गेहूं
रखने के लिए बनाए गए स्टॉक सेंटर फुल होने से जिले की मंडियों में भी खुले
में लाखों टन गेहूं स्टोर किया गया है, लेकिन इस गेहूं को सुरक्षित रखने के
पुख्ता प्रबंध नहीं हो पा रहे हैं। मानसून सिर पर है। कुछ दिनों से बादल
घिर रहे हैं और कुछ स्थानों पर बूंदा-बांदी भी हो रही है। ऐसे में गेहूं
भीगने का खतरा बना हुआ है।
कहीं गोलमाल तो..
जिले में यदि तेज बरसात होती है तो खुले में रखे गेहूं के कट्टों में अनाज
सड़ सकता है। स्वाभाविक ही है कि सरकार को इससे मोटी चपत लगेगी, पर फायदा
किसका होगा? इस बात की चर्चा सरकारी विभागों व आढ़तियों में जोरों पर है।
क्योंकि कोई तो है इस गेहूं को अभी तक तिरपाल नसीब नहीं होने दे रहा। यदि
बरसात हुई तो एकाएक इतने ढेरों को ढकना संभव नहीं। ऐसे में अब सवाल उठ रहे
हैं कि कहीं गेहूं को भिगोकर खराब होने की आड़ में अच्छे को भी गोलमाल करने
की कोशिश हो सकती है।
आढ़तियों को आशंका
वैसे तो कोई आढ़ती अधिकारियों से टकराव नहीं लेना चाहता। इसलिए खुलकर बोल
भी नहीं रहा है, लेकिन तरीके उन्हें सब पता हैं। उनका कहना है कि यदि सौ टन
गेहूं खराब होता हो तो पांच सौ टन की रिपोर्ट अधिकारी तैयार करते हैं। इस
तरह से चार सौ टन अच्छा गेहूं भी सड़े गेहूं के भाव में खुर्द-बुर्द कर
दिया जाता है। अब जब लाखों टन गेहूं खुले में हैं तो क्या हाल होगा, यह
अनुमान बरसात से पहले नहीं लगाना वे कठिन बताते हैं।