रायपुर. पैसों
के लालच में जरूरत न होते हुए भी महिलाओं के गर्भाशय निकालने वाले
डॉक्टरों की करतूत स्वास्थ्य विभाग के सामने उजागर हो गई। गुरुवार को विभाग
के डॉक्टरों ने अभनपुर के मानिकचौरी, हसदा और डोंगीतराई गांवों में पीड़ित
महिलाओं की जांच की। इस दौरान 25-30 साल की ऐसी कई महिलाएं मिलीं, जिनके
गर्भाशय केवल पैसे कमाने के लिए निकाले गए।
डॉक्टर इस बात से भी हैरान थे कि किसी भी महिला को यह तक नहीं बताया गया कि
ऑपरेशन के बाद उनका हार्मोनल सिस्टम बिगड़ जाएगा और कमजोरी व दर्द की
शिकायत होगी। डॉक्टर एक-दो दिन में अपनी रिपोर्ट शासन को भेजेंगे। जांच में
पता चला कि गर्भाशय निकालने के लिए की गई सर्जरी में निर्धारित मापदंडों
का पालन नहीं किया गया। किसी भी महिला का ऑपरेशन करने के पहले उसकी एंडो
मैटरियल बायोप्सी नहीं की गई। इस जांच के जरिये यह पता चलता कि उनकी तकलीफ
का इलाज सर्जरी से दूर होगा या नहीं।
जिला अस्पताल और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में पदस्थ
महिला चिकित्सकों डॉ. चंद्रकला चंद्रवंशी और मीना सैमुअल ने यह स्वीकार
किया कि ज्यादातर ऑपरेशन 20-25 हजार रुपए फीस कमाने के लिए कर दिए गए।
दोनों डॉक्टर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल के
निर्देश पर जांच के लिए मानिकचौरी, हसदा और डोंगीतराई गांव गए थे।
दैनिक भास्कर की टीम ने रायपुर-राजिम रोड पर स्थित अभनपुर के इन तीनों
गांवों का सर्वे कर राज्य के कई शहरों व गांवों में चल रहे इस गोरखधंधे को
उजागर किया है। इसी वजह से स्वास्थ्य विभाग की टीम भी उन्हीं गांव में जांच
के लिए पहुंची। जांच में यह भी सामने आया कि ज्यादातर महिलाओं के पास
रिपोर्ट कार्ड नहीं हैं। शासकीय डॉक्टरों ने रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत करने
वाली महिलाओं के साथ उन महिलाओं का भी बयान
जांच में सामने आए सनसनीखेज तथ्य
आपरेशन के पहले महिलाओं का एचआईवी टेस्ट नहीं कराया गया।
किसी भी महिला की एंडो मैटरियल बायोप्सी नहीं की गई।
पिछड़ावर्ग में सिकलिन की गंभीर समस्या है। किसी भी महिला का
यह टेस्ट भी नहीं कराया गया।
सर्जरी के बाद किस तरह की दिक्कत और परेशानी पैदा होगी। इस बारे में किसी भी महिला को नहीं बताया गया।
महिलाएं अंधेरे में रहीं। उन्हें लगा कि आपरेशन उनकी समस्या का अंतिम विकल्प है। इस वजह से उन्होंने आपरेशन करवा लिया।
के लालच में जरूरत न होते हुए भी महिलाओं के गर्भाशय निकालने वाले
डॉक्टरों की करतूत स्वास्थ्य विभाग के सामने उजागर हो गई। गुरुवार को विभाग
के डॉक्टरों ने अभनपुर के मानिकचौरी, हसदा और डोंगीतराई गांवों में पीड़ित
महिलाओं की जांच की। इस दौरान 25-30 साल की ऐसी कई महिलाएं मिलीं, जिनके
गर्भाशय केवल पैसे कमाने के लिए निकाले गए।
डॉक्टर इस बात से भी हैरान थे कि किसी भी महिला को यह तक नहीं बताया गया कि
ऑपरेशन के बाद उनका हार्मोनल सिस्टम बिगड़ जाएगा और कमजोरी व दर्द की
शिकायत होगी। डॉक्टर एक-दो दिन में अपनी रिपोर्ट शासन को भेजेंगे। जांच में
पता चला कि गर्भाशय निकालने के लिए की गई सर्जरी में निर्धारित मापदंडों
का पालन नहीं किया गया। किसी भी महिला का ऑपरेशन करने के पहले उसकी एंडो
मैटरियल बायोप्सी नहीं की गई। इस जांच के जरिये यह पता चलता कि उनकी तकलीफ
का इलाज सर्जरी से दूर होगा या नहीं।
जिला अस्पताल और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में पदस्थ
महिला चिकित्सकों डॉ. चंद्रकला चंद्रवंशी और मीना सैमुअल ने यह स्वीकार
किया कि ज्यादातर ऑपरेशन 20-25 हजार रुपए फीस कमाने के लिए कर दिए गए।
दोनों डॉक्टर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल के
निर्देश पर जांच के लिए मानिकचौरी, हसदा और डोंगीतराई गांव गए थे।
दैनिक भास्कर की टीम ने रायपुर-राजिम रोड पर स्थित अभनपुर के इन तीनों
गांवों का सर्वे कर राज्य के कई शहरों व गांवों में चल रहे इस गोरखधंधे को
उजागर किया है। इसी वजह से स्वास्थ्य विभाग की टीम भी उन्हीं गांव में जांच
के लिए पहुंची। जांच में यह भी सामने आया कि ज्यादातर महिलाओं के पास
रिपोर्ट कार्ड नहीं हैं। शासकीय डॉक्टरों ने रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत करने
वाली महिलाओं के साथ उन महिलाओं का भी बयान
जांच में सामने आए सनसनीखेज तथ्य
आपरेशन के पहले महिलाओं का एचआईवी टेस्ट नहीं कराया गया।
किसी भी महिला की एंडो मैटरियल बायोप्सी नहीं की गई।
पिछड़ावर्ग में सिकलिन की गंभीर समस्या है। किसी भी महिला का
यह टेस्ट भी नहीं कराया गया।
सर्जरी के बाद किस तरह की दिक्कत और परेशानी पैदा होगी। इस बारे में किसी भी महिला को नहीं बताया गया।
महिलाएं अंधेरे में रहीं। उन्हें लगा कि आपरेशन उनकी समस्या का अंतिम विकल्प है। इस वजह से उन्होंने आपरेशन करवा लिया।