* जनसंख्या की वृद्धि दर 23 फीसदी, मनोरोगियों की 116 फीसदी
रांची :
झारखंड में पिछले 11 सालों में मनोरोगियों की संख्या में पांच गुना से अधिक
की वृद्धि हुई है. मनोरोगियों की वृद्धि दर 116 फीसदी के करीब है. यह
राज्य की जनसंख्या वृद्धि दर से पांच गुना अधिक है. पुरुष मनोरोगियों की
संख्या में वृद्धि दर पांच गुना से कुछ नीचे है. जबकि महिला मनोरोगियों में
यह दर सात गुना से अधिक है.
2001-02 में राज्य सरकार के मनोचिकित्सकीय संस्थान रिनपास के ओपीडी में
इलाज के लिए 16175 मरीज आये थे. इनमें 12031 पुरुष और 4144 महिला मनोरोगी
थे. 2011-12 में यह संख्या बढ़ कर 86578 हो गयी. इनमें 59509 पुरुष और
27069 महिलाएं शामिल हैं.
मनोवैज्ञानिक भी मानते हैं कि ऐसी बीमारीवालों की संख्या बढ़ी है. इसके
कई कारण हैं. इनमें सबसे महत्वपूर्ण बढ़ता तनाव और भाग-दौड़ भरी जिंदगी है.
अधिक नशा करना और शिक्षा तय ऊंचाइयों तक हासिल नहीं कर पाना भी इसका मुख्य
कारण है.
युवा तेजी से हो रहे शिकार
चिंता की बात यह है कि सबसे अधिक संख्या
में युवा मनोरोग का शिकार हो रहे हैं. इलाज कराने आनेवालों में बड़ी संख्या
21 से 40 वर्ष की उम्र के लोगों की है. चिकित्सकों का कहना है कि 50-60
फीसदी मरीजों की उम्र 21 से 40 साल के बीच होती है. महिलाओं में यह उम्र
कुछ ज्यादा है.
– क्या है कारण
* लोगों की भाग-दौड़ भरी जिंदगी है
* एक हद से ज्यादा पाने की चाहत
* विपरीत परिस्थिति में नियंत्रण नहीं रखना
* खान-पान का विपरीत असर
* अधिक नशा करना
* शिक्षा तय ऊंचाइयों तक हासिल नहीं कर पाना
– बचाव के उपाय
*कम से कम तनाव लेना चाहिए
* जीवन जीने की कला का इसमें काफी महत्वपूर्ण योगदान है. जो व्यक्ति जीवन की हर पहलू को इंज्वाय करेगा, उसे मानसिक तनाव नहीं होगा
* वैसे लक्ष्ण दिखने पर तुरंत चिकित्सकों से संपर्क कर इलाज शुरू करना चाहिए. इसका तुरंत फायदा दिखता है
– दुकान को भी बरबाद कर दिया
हजारीबाग में संजीव की दवा दुकान थी.
अच्छी चलती थी. उसे कोरेक्स पीने की आदत हो गयी. इसके बाद व जुआ खेलने लगा.
ऐसी लत लगी कि उसकी मानसिक स्थिति खराब हो गयी. दुकान भी बरबाद हो गयी.
परिजन उसे अस्पताल लेकर आये.
– अब लोग मनोरोग का इलाज कराने से नहीं भागते. इसका अच्छा परिणाम भी दिख रहा है. मरीज ठीक होकर जा भी रहे हैं.
डॉ अमूल रंजन सिंह, निदेशक, रिनपास