चुनाव बाद किसानों को मिलेगा व्यापार मंडल का लाभ

पटना : चुनाव के बाद राज्य में व्यापार मंडल सहकारी समितियां पटरी पर
होंगी. किसानों को व्यापार मंडल के माध्यम से अपना अनाज बेचने में सुविधा
होगी, वहीं आवश्यकतानुसार बंधक व्यापार का भी लाभ मिलेगा. प्रखंड स्तर पर
व्यापार मंडल के माध्यम से विकास कार्य भी कराये जा सकेंगे. व्यापार मंडल
को हिस्सा पूंजी के अनुरूप सरकारी सहायता और ऋण भी मिलेगा.

क्या है व्यापार मंडल
व्यापार मंडल सहयोग समितियां प्रखंड स्तर पर
व्यापार के लिए सहकारी समिति है. कृषि कार्य में काम आनेवाली वस्तुओं खाद,
बीज और कीटनाशक आदि का खरीद-बिक्री और किसानों द्वारा उत्पादित वस्तुओं का
व्यापार इसी के माध्यम से करना है. व्यापार मंडल राज्य स्तर पर गठित
बिस्कोमान से संबद्ध होते हैं. पैक्स व्यापार मंडल के सदस्य होते हैं.

बिस्कोमान की आर्थिक स्थिति खराब होने का असर व्यापार मंडल पर भी पड़ा.
अभी राज्य में कुल 521 व्यापार मंडल गठित हैं. बिहार राज्य निर्वाचन
प्राधिकार द्वारा चुनाव के बाद पैक्स की तरह ही व्यापार मंडलों के माध्यम
से भी किसानों के धान व गेहूं की खरीद होगी. लगभग 10 वर्षो से व्यापार मंडल
में बंधक व्यापार बंद है. बंधक व्यापार में किसान अनाज को व्यापार मंडल
में रख कर कीमत की 75 प्रतिशत राशि प्राप्त कर सकता था.

अध्यक्ष सहित 13 सदस्य
व्यापार मंडल में एक अध्यक्ष और 12
कार्यकारिणी सदस्य होते हैं. व्यापार मंडल सदस्यों में दो ग्रुप होते हैं.
प्रथम समूह में सहकारी समितियों से जुड़े सदस्य और दूसरे समूह में
व्यक्तिगत किसान होते हैं. अध्यक्ष पद दोनों वर्गो में किसी को मिल सकता
है.

कार्यकारिणी सदस्य में सहकारी समिति वर्ग से आठ सदस्य होते हैं. इसमें
दो महिलाओं, एक पिछड़ा व एक अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए सीटें रिजर्व हैं.
चार सदस्य सामान्य वर्ग के हो सकते हैं. व्यक्तिगत समूह में दो अनुसूचित
जाति और दो सदस्य सामान्य वर्ग के होते हैं.

* चुनाव के बाद व्यापार मंडल की गतिविधियां बढ़ेंगी. किसानों को व्यापार
मंडल का समुचित लाभ मिलेगा. व्यापार मंडल के माध्यम से किसानों को अनाज के
बदले आवश्यक राशि उपलब्ध हो सकेगी.
अशोक कुमार झा, संयुक्त निबंधक, सहकारिता विभाग, बिहार सरकार

* खाद, बीज व कीटनाशक की खरीद-बिक्री
* बंधक व्यापार के माध्यम से किसानों को आवश्यक राशि उपलब्ध कराना
* किसानों द्वारा उत्पादित वस्तुओं की बिक्री की व्यवस्था करना
* उपलब्ध राशि के अनुकूल विकास कार्य में सहभागिता करना
* चावल और दाल मिलों की स्थापना

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