निचले स्तर पर भ्रष्टाचार का बोलबाला है. सतर्कता के बावजूद किसान क्रेडिट
कार्ड में अब भी बिचौलयों का राज है.
उन्होंने नसीहत दी कि जनता को समयसीमा के अंदर बैंकिंग सुविधा उपलब्ध
कराने के लिए सिटीजन चार्टर बनाया जाना चाहिए. वरीय अधिकारी गांवों में
जाएं और शाखा स्तर पर जनता की परेशानियों को देखें व सुनें. वह बुधवार को
राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति की 40 वीं त्रैमासिक बैठक को संबोधित कर रहे थे.
मुख्यमंत्री ने बैंक अधिकारियों से कड़े शब्दों में कहा, आप दिमाग की
खिड़की-दरवाजा खोल कर अपने अंदर लोगों की शिकायत सुनने की प्रवृत्ति
जगाइयेगा, तो इसका लाभ बैंक व जनता को दोनों को मिलेगा.
बैंकिंग संस्थानों में माइक्रो मैनेजमेंट का अभाव है. इसे सुधारा जाना
चाहिए. राज्य में लोक सेवा का अधिकार कानून लागू किया है. अब प्रमाणपत्र के
लिए किसी को घूस नहीं देना पड़ता है. साथ ही तय समयसीमा में काम भी हो
जाता है. इसी तरह का प्रयोग बैंकिंग कामकाज में किया जाना चाहिए.
अगर सिटीजन चार्टर को लागू कर दिया जायेगा, तो बैंकों में निचले स्तर पर
फैला भ्रष्टाचार खत्म हो जायेगा. सरकार ने डेढ़ लाख करोड़ का कृषि रोड मैप
बनाया है. इसका उद्देश्य राज्य में इंद्रधनुषी क्रांति को बढ़ावा देना है.
इसमें बैंकों की अहम भूमिका है. इसके लिए राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति की
विशेष बैठक होनी चाहिए और इससे पूर्व राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ
कार्यशाला होनी चाहिए.
विकास दर में बैंकों की भूमिका नहीं
मुख्यमंत्री ने राज्य की तेज
विकास दर की चर्चा करते हुए कहा कि इसमें बैंकों की कोई भूमिका नहीं है.
लोगों की आमदनी बढ़ी है, इसलिए विकास दर बढ़ी है. उन्होंने बैंकों की
शाखाओं में कर्मियों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया और कहा कि सिंगल ऑफिसर
ब्रांच के कारण जनता को समय पर बैंकिंग का लाभ नहीं मिल रहा है.
उन्होंने सेवायात्रा की चर्चा करते हुए कहा कि पहले गांवों में लाल
बत्तीवाली गाड़ी देखने को अभ्यस्त थे, अब वे जहां भी जाते हैं, पीली
बत्तीवाली गाड़ी को देख लोग अचंभे में पड़ जाते हैं. अधिकारी गांवों में
जाते हैं और वहां की जमीनी हकीकीत से रू- ब- रू हो रहे हैं. इससे जनता की
समस्या का ऑन स्पॉट समाधान हो जाता है.
कहां हैं 30 लाख केसीसी होल्डर : मोदी
उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार
मोदी ने कहा कि बैंकिंग सेक्टर में सुधार की गुंजाइश है. बैंक मित्र का
कंसेप्ट तो लागू किया गया है, पर इसकी क्या उपलब्धि है, इसकी समीक्षा की
जानी चाहिए.
यह मॉडल कई राज्यों में फेल हो गया है. इसमें सुधार होना चाहिए. एसीपी व
केसीसी की सतत निगरानी के बावजूद हम लक्ष्य से पीछे रह गये. ऋण के लिए अगर
कोई आवेदन देता है, उसे प्राप्ति रसीद दी जानी चाहिए, जो नहीं दिया जा रहा
है. 48 लाख किसानों को केसीसी कार्ड दिये गये, जिनमें 18 लाख का नवीकरण
हुआ है. आखिर 30 लाख केसीसी होल्डर हैं कहां. इसे खोजा जाना चाहिए.
बैठक को सहकारिता मंत्री रामाधार सिंह, पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री
गिरिराज सिंह,नगर विकास मंत्री प्रेम कुमार, मुख्य सचिव नवीन कुमार, विकास
आयुक्त एके सिन्हा, एसएलबीसी के स्टेट को -ऑर्डिनेटर और एसबीआइ के चीफ
जेनरल मैनेजर जीवन दास नारायण, एसएनबीसी के अधिकारी सतीश कुमार सिंह समेत
कई ने संबोधित किया.
– नसीहत
* सुनें जनता की बात, दूर करें लोगों की परेशानी
* पारदर्शिता व माइक्रो मैनेजमेंट को दें विशेष तरजीह
* बिहार में इंद्रधनुषी क्रांति अभियान में बैंकर करें सहयोग
* समयसीमा के अंदर बैंकिंग सुविधा उपलब्ध कराने के लिए बने सिटीजन चार्टर
– केसीसी धारकों को स्मार्ट कार्ड
एसएलबीसी की बैठक में तय हुआ कि
किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) धारकों को अब पासबुक की बजाये स्मार्ट कार्ड
दिया जायेगा. यह एटीएम के समान होगा. केसीसी कैंप में कर्ज मंजूर किये जाने
की जगह आवेदन लिये जायेंगे. केसीसी कार्ड अब तीन के बजाये पांच साल तक वैध
रहेंगे. सरकारी योजनाओं में कर्ज के लिए जो आवेदक बैंक में आवेदन देंगे,
उन्हें प्राप्ति रसीद मिलेगी.
– एजुकेशन लोन के लिए जिलों में कैंप
बैठक में मुख्यमंत्री ने
एजुकेशन लोन में बैंकों की सुस्ती की चर्चा करते हुए कहा कि अब एकेडेमिक
सत्र शुरू होनेवाला है. कैंप लगा कर एजुकेशन लोन बांटा जाना चाहिए.
एसएलबीसी की बैठक में तय हुआ कि इसके लिए जिला स्तर पर कैंप लगाये जायेंगे.
पांच हजार से अधिक आबादी वाले गांवों में कामचलाऊ शाखाएं खोलने पर भी
सहमति बनी. मुख्यमंत्री ने सूबे में सीडी रेशियो मात्र 35 फीसदी रहने पर
चिंता जतायी और छोटे उद्योगों को भी लोन देने की सलाह दी.