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वर्षीय शिवकरण ने अपनी पगड़ी उतारकर जेडीसी के सामने रख दी। उन्होंने कहा
कि 200 साल पुरानी ढाणियां, कुएं हटाए जा रहे हैं और बिल्डरों को फायदा
पहुंचाने के लिए रिंग रोड मोड़ी जा रही है। मुकदमे चलाए जा रहे हैं। इससे
वे डरने वाले नहीं है। गोली चला दो, लेकिन किसान 360 मीटर में रोड नहीं
बनने देंगे।
जयपुर.रिंग रोड क्षेत्र भले रावला-घड़साना बने चाहे भट्टा परसौल और
सिंगूर। जयपुर के गांवों के किसान गोलियां खाने को तैयार हैं, लेकिन जेडीए
की नीति के अनुसार 360 मीटर जमीन किसी सूरत में नहीं देंगे। यदि जेडीए को
360 मीटर रोड बनानी है तो खुद का खजाना भरने की बजाय 25 फीसदी की जगह सवा
41 फीसदी विकसित जमीन किसानों को दे।
नहीं तो बाजार भाव से मुआवजा देकर केवल 90 मीटर में रिंग रोड बनाए, शेष 135
मीटर चौड़े डवलपमेंट कॉरिडोर किसान खुद विकसित कर लेंगे। किसानों को सरकार
बिना ब्याज कर्जा देती है। यह खरी-खरी किसानों ने जेडीए कमिश्नर (अतिरिक्त
प्रभार) एनसी गोयल को सोमवार को सुनाई। जेडीसी सुबह खेतों, ढाणियों में
पहुंचे तथा किसानों को रग टटोली कि आखिर वे रिंग रोड का विरोध क्यों कर रहे
हैं?
ठेठ गंवाई अंदाज में जब गोयल ने ग्रामीणों से पूछा कि आप क्या चाहते हो? तो
अचरावाला गांव के शिवनाथ का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने सीना ठोकते हुए कहा
कि अब जेडीए किसानों को उल्लू बनाना बंद करे। किसान समझ गए हैं रिंग रोड
की गणित। अब जेडीए को 360 मीटर चौड़ी रोड बनानी है तो 25 फीसदी से काम नहीं
चलेगा। पूरा सवा 41 फीसदी विकसित जमीन चाहिए। गोयल ने कहा कि चार जगह
उन्होंने किसानों को सुना।
अब झगड़ा रोड की चौड़ाई का नहीं है। झगड़ा यह है कि 135 मीटर चौड़े कॉरिडोर
कौन बनाए। जेडीए या किसान? जेडीए को केवल 10 फीसदी बचत हो रही है। यदि
किसानों को घाटा हुआ तो जेडीए उनका अहित नहीं करेगा। जेडीए इसका आकलन कर
खर्च किसानों के समक्ष रख देगा। रिंग रोड बहुत महत्वाकांक्षी परियोजना है,
किसान इसमें सहयोग करेंगे तो उनकी जमीनों के दाम तेजी से बढ़ेंगे। इससे
पहले जेडीसी ने चिमनपुरा, पीपला भरतसिंह में सभा की। उन्होंने जयसिंहपुरा
खोर स्थित शिव धर्म कांटे से शुरू किए गए 3 किलोमीटर में रोड के काम को
देखा।
वर्षीय शिवकरण ने अपनी पगड़ी उतारकर जेडीसी के सामने रख दी। उन्होंने कहा
कि 200 साल पुरानी ढाणियां, कुएं हटाए जा रहे हैं और बिल्डरों को फायदा
पहुंचाने के लिए रिंग रोड मोड़ी जा रही है। मुकदमे चलाए जा रहे हैं। इससे
वे डरने वाले नहीं है। गोली चला दो, लेकिन किसान 360 मीटर में रोड नहीं
बनने देंगे।
जयपुर.रिंग रोड क्षेत्र भले रावला-घड़साना बने चाहे भट्टा परसौल और
सिंगूर। जयपुर के गांवों के किसान गोलियां खाने को तैयार हैं, लेकिन जेडीए
की नीति के अनुसार 360 मीटर जमीन किसी सूरत में नहीं देंगे। यदि जेडीए को
360 मीटर रोड बनानी है तो खुद का खजाना भरने की बजाय 25 फीसदी की जगह सवा
41 फीसदी विकसित जमीन किसानों को दे।
नहीं तो बाजार भाव से मुआवजा देकर केवल 90 मीटर में रिंग रोड बनाए, शेष 135
मीटर चौड़े डवलपमेंट कॉरिडोर किसान खुद विकसित कर लेंगे। किसानों को सरकार
बिना ब्याज कर्जा देती है। यह खरी-खरी किसानों ने जेडीए कमिश्नर (अतिरिक्त
प्रभार) एनसी गोयल को सोमवार को सुनाई। जेडीसी सुबह खेतों, ढाणियों में
पहुंचे तथा किसानों को रग टटोली कि आखिर वे रिंग रोड का विरोध क्यों कर रहे
हैं?
ठेठ गंवाई अंदाज में जब गोयल ने ग्रामीणों से पूछा कि आप क्या चाहते हो? तो
अचरावाला गांव के शिवनाथ का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने सीना ठोकते हुए कहा
कि अब जेडीए किसानों को उल्लू बनाना बंद करे। किसान समझ गए हैं रिंग रोड
की गणित। अब जेडीए को 360 मीटर चौड़ी रोड बनानी है तो 25 फीसदी से काम नहीं
चलेगा। पूरा सवा 41 फीसदी विकसित जमीन चाहिए। गोयल ने कहा कि चार जगह
उन्होंने किसानों को सुना।
अब झगड़ा रोड की चौड़ाई का नहीं है। झगड़ा यह है कि 135 मीटर चौड़े कॉरिडोर
कौन बनाए। जेडीए या किसान? जेडीए को केवल 10 फीसदी बचत हो रही है। यदि
किसानों को घाटा हुआ तो जेडीए उनका अहित नहीं करेगा। जेडीए इसका आकलन कर
खर्च किसानों के समक्ष रख देगा। रिंग रोड बहुत महत्वाकांक्षी परियोजना है,
किसान इसमें सहयोग करेंगे तो उनकी जमीनों के दाम तेजी से बढ़ेंगे। इससे
पहले जेडीसी ने चिमनपुरा, पीपला भरतसिंह में सभा की। उन्होंने जयसिंहपुरा
खोर स्थित शिव धर्म कांटे से शुरू किए गए 3 किलोमीटर में रोड के काम को
देखा।