कुही. तहसील की राजोला गुट ग्राम पंचायत का आगरगांव सौ प्रतिशत आदिवासी गांव आज भी विकास से कोसों दूर है।
इस गांव में प्राथमिक शाला के लिए स्वतंत्र इमारत नहीं होने से बच्चों को
गाय के गोठे में बैठकर शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है। यह गांव मूलभूत
सुविधाओं से पूरी तरह वंचित हैं। इसका खामियाजा भुगतने के बाद भी आदिवासी
चुपचाप हैं। इनकी सुनने वाला कोई नहीं है। यहां प्रकाश आत्राम के स्वामित्व
के गोठे में शिक्षक छोटे-छोटे बच्चों को शिक्षा का पाठ पढ़ाते हैं।
सर्वशिक्षा अभियान संपूर्ण महाराष्ट्र में चलाया जा रहा है फिर भी आगरगांव
को इससे दूर क्यों रखा जा रहा है? ऐसा सवाल आदिवासियों ने उपस्थित किया है।
कुही शहर की उत्तर दिशा में 15 किमी दूर जंगल क्षेत्र में नाग व कन्हान
नदी के संगम पर आगरगांव बसा हुआ है। प्रतिवर्ष इन दोनों नदियों में आने
वाली बाढ़ के कारण इस गांव में काफी नुकसान होता है। यहां 46 आदिवासी
परिवार निवास करते हैं, लेकिन शासन-प्रशासन की उदासीनता से यहां विकास का
नामोनिशान नहीं है।
विकास के लिये यहां के नागरिक लड़ रहे हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पा
रही है। उल्लेखनीय है कि यह गांव जिस ग्राम पंचायत में आता है उसी गांव के
अरुण हटवार पंचायत समिति सभापति थे। बावजूद आगरगांव विकास से कोसों दूर
है। उसके पहले उनके घर के सदस्य इस गांव व क्षेत्र का नेतृत्व करते आ रहे
हैं। चिचघाट उपसा सिंचन योजना स्थल को भेंट देने जब विधायक सुधीर पारवे आए
थे तब उन्होंने इस गांव का दौरा किया था। उस समय नागरिकों ने यहां की अनेक
समस्याएं श्री पारवे के सामने रखी थीं, लेकिन आज तक उसका कोई लाभ नहीं हुआ
है।
यहां के लोगों को पीने के पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ता है। मकानों के
लिये आज तक स्वामित्व के पट्टे तक नहीं मिले हैं। पहले प्राथमिक सिक्षा के
लिये बच्चों को सालवा या चापेगड़ी के जंगल में जाना पड़ता था। इसमें उनकी
जान को खतरा होने से बच्चों ने शाला में जाना बंद कर दिया। फलस्वरूप
प्रशासन ने यहां कक्षा 1 से 4थी तक की शिक्षा उपलब्ध कराने की सुविधा दी,
लेकिन शाला इमारत निर्माण कार्य में अनेक बाधाएं आईं। परिणामस्वरूप गांव के
प्रकाश आत्राम ने अपना जानवरों का गोठा शाला के लिये दिया। आज इसी गोठे
में कक्षा 1 से 4थी तक के बच्चे शिक्षा ले रहे हैं। यह गाय का गोठा काफी
जर्जर है। बारिश के मौसम में इसके गिरने की संभावना है। इसमें बच्चोंकी
जान को खतरा बना हुआ है।
यहां के आंगनवाड़ी केंद्र भी इसी प्रकार गाय के गोठे में चल रहे हैं। यहां
के एक भी परिवार को घरकुल योजना का लाभ नहीं मिला है। सरकार की ओर से दिए
जाने वाले व्यक्तिगत लाभ की योजनाओं का एक भी लाभार्थी को लाभ नहीं मिलता
है। यहां शाला व आंगनवाड़ी के लिये स्वतंत्र इमारत हेतु निधि उपलब्ध कराने
की मांग प्रकाश आत्राम, वसंता कंगाले, शामराव कुंभरे, सुभाष कन्नाके,
लक्ष्मी कंगाली, अर्चना आत्राम, अनिता उइके, सटुबाई कंगाली, नर्मदा कुंभरे,
शांता कंगाली, भाऊराव आत्राम आदि ने विधायक सुधीर पारवे से की है।
राजस्व विभाग इमारत के लिए जगह दे : शिक्षा विभाग
आगरगांव में शाला के लिए स्वतंत्र इमारत के बारे में तहसील के शिक्षा विभाग
के एक जिम्मेदार अधिकारी से पूछने पर उन्होंने बताया कि राजस्व विभाग की
ओर से यहां जगह का पट्टा उपलब्ध कराया गया तो शाला इमारत जल्द ही खड़ी हो
सकती है। यहां शाला की इमारत के लिये निधि मंजूर की गयी है।
इस गांव में प्राथमिक शाला के लिए स्वतंत्र इमारत नहीं होने से बच्चों को
गाय के गोठे में बैठकर शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है। यह गांव मूलभूत
सुविधाओं से पूरी तरह वंचित हैं। इसका खामियाजा भुगतने के बाद भी आदिवासी
चुपचाप हैं। इनकी सुनने वाला कोई नहीं है। यहां प्रकाश आत्राम के स्वामित्व
के गोठे में शिक्षक छोटे-छोटे बच्चों को शिक्षा का पाठ पढ़ाते हैं।
सर्वशिक्षा अभियान संपूर्ण महाराष्ट्र में चलाया जा रहा है फिर भी आगरगांव
को इससे दूर क्यों रखा जा रहा है? ऐसा सवाल आदिवासियों ने उपस्थित किया है।
कुही शहर की उत्तर दिशा में 15 किमी दूर जंगल क्षेत्र में नाग व कन्हान
नदी के संगम पर आगरगांव बसा हुआ है। प्रतिवर्ष इन दोनों नदियों में आने
वाली बाढ़ के कारण इस गांव में काफी नुकसान होता है। यहां 46 आदिवासी
परिवार निवास करते हैं, लेकिन शासन-प्रशासन की उदासीनता से यहां विकास का
नामोनिशान नहीं है।
विकास के लिये यहां के नागरिक लड़ रहे हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पा
रही है। उल्लेखनीय है कि यह गांव जिस ग्राम पंचायत में आता है उसी गांव के
अरुण हटवार पंचायत समिति सभापति थे। बावजूद आगरगांव विकास से कोसों दूर
है। उसके पहले उनके घर के सदस्य इस गांव व क्षेत्र का नेतृत्व करते आ रहे
हैं। चिचघाट उपसा सिंचन योजना स्थल को भेंट देने जब विधायक सुधीर पारवे आए
थे तब उन्होंने इस गांव का दौरा किया था। उस समय नागरिकों ने यहां की अनेक
समस्याएं श्री पारवे के सामने रखी थीं, लेकिन आज तक उसका कोई लाभ नहीं हुआ
है।
यहां के लोगों को पीने के पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ता है। मकानों के
लिये आज तक स्वामित्व के पट्टे तक नहीं मिले हैं। पहले प्राथमिक सिक्षा के
लिये बच्चों को सालवा या चापेगड़ी के जंगल में जाना पड़ता था। इसमें उनकी
जान को खतरा होने से बच्चों ने शाला में जाना बंद कर दिया। फलस्वरूप
प्रशासन ने यहां कक्षा 1 से 4थी तक की शिक्षा उपलब्ध कराने की सुविधा दी,
लेकिन शाला इमारत निर्माण कार्य में अनेक बाधाएं आईं। परिणामस्वरूप गांव के
प्रकाश आत्राम ने अपना जानवरों का गोठा शाला के लिये दिया। आज इसी गोठे
में कक्षा 1 से 4थी तक के बच्चे शिक्षा ले रहे हैं। यह गाय का गोठा काफी
जर्जर है। बारिश के मौसम में इसके गिरने की संभावना है। इसमें बच्चोंकी
जान को खतरा बना हुआ है।
यहां के आंगनवाड़ी केंद्र भी इसी प्रकार गाय के गोठे में चल रहे हैं। यहां
के एक भी परिवार को घरकुल योजना का लाभ नहीं मिला है। सरकार की ओर से दिए
जाने वाले व्यक्तिगत लाभ की योजनाओं का एक भी लाभार्थी को लाभ नहीं मिलता
है। यहां शाला व आंगनवाड़ी के लिये स्वतंत्र इमारत हेतु निधि उपलब्ध कराने
की मांग प्रकाश आत्राम, वसंता कंगाले, शामराव कुंभरे, सुभाष कन्नाके,
लक्ष्मी कंगाली, अर्चना आत्राम, अनिता उइके, सटुबाई कंगाली, नर्मदा कुंभरे,
शांता कंगाली, भाऊराव आत्राम आदि ने विधायक सुधीर पारवे से की है।
राजस्व विभाग इमारत के लिए जगह दे : शिक्षा विभाग
आगरगांव में शाला के लिए स्वतंत्र इमारत के बारे में तहसील के शिक्षा विभाग
के एक जिम्मेदार अधिकारी से पूछने पर उन्होंने बताया कि राजस्व विभाग की
ओर से यहां जगह का पट्टा उपलब्ध कराया गया तो शाला इमारत जल्द ही खड़ी हो
सकती है। यहां शाला की इमारत के लिये निधि मंजूर की गयी है।