पंजाब से यूपी तक किसानों की कमाई का जरिया बना पॉपुलर ट्री

अमेरिका से आया पॉपुलर ट्री अब उत्तर भारत में पंजाब के अमृतसर से लेकर उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र बहराइच तक छा गया है। कमाई का मुख्य जरिया होने से किसान इस पेड़ को हाथों-हाथ ले रहे हैं। निजी क्षेत्र भी इस पेड़ के उत्पादन के लिए पीपीपी मोड में उतर गया है। कैश ट्री के तौर पर मशहूर हो चुके इस पेड़ से उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में हरियाली कवर भी बढ़ रहा है।

इससे देश के मौजूदा 23.81 फीसदी वन क्षेत्र को 33 फीसदी तक बढ़ाने का लक्ष्य तय कर चुके केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की भी उम्मीदें बढ़ गई हैं। मंत्रालय का मानना है कि कम से कम इसी के बहाने मैदानों में हरियाली क्षेत्र बढ़ रहा है। कई दशक पहले जिस तरह यूकेलिप्टस का पेड़ देश भर में छाया गया था, आज वही स्थिति पॉपुलर ट्री की है।

हालांकि यूकेलिप्टस से भूमिगत जल का स्तर बहुत नीचे चला गया और उससे पीछा छुड़ा लिया गया। लेकिन पॉपुलर ट्री के साथ ऐसा नहीं है। आज प्लाइवुड और स्पोर्ट्स के लिए सबसे ज्यादा मांग पॉपुलर ट्री की है। इसलिए किसानों के अलावा कई नामी कंपनियां भी इस पेड़ को लेकर मैदान में उतर आई हैं। पंजाब से लेकर उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र में ऐसी सैकड़ों फर्में हैं जो जमीन खरीदकर अनाज उगाने की बजाए इसी पेड़ की खेती में लगी हैं।

विमको में जनरल मैनेजर डा. आरसी धीमान के अनुसार मात्र पांच-छह साल में यह पेड़ नकदी देने लगता है। भारी मांग होने से किसानों को इसके लिए बाजार तलाशने की जरूरत नहीं पड़ती है। विमको की ओर से पीपीपी मोड में पॉपुलर ट्री की खेती को बढ़ावा देने में जुटे डॉ. धीमान कहते हैं कि इसके साथ खेतों में बाकी अनाज भी आसानी से पैदा हो जाता है।

इसी पॉपुलर पेड़ के कारण पंजाब हरियाली बढ़ाने के मामले में देश में सबसे अग्रणी राज्य बनकर सामने आया है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की तैयार ‘इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट’ 2011 के अनुसार पंजाब में वर्ष 2009 की तुलना में 27 वर्ग किमी वन क्षेत्र की वृद्धि हुई।

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