न पाठशाला, न स्वच्छ पानी, ये है मजदूरों की कहानी

राजेश छौंकर, नूंह : मई दिवस को मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है।
अपनी मागों को लेकर आए दिन प्रदर्शन करते मजदूरों की स्थिति मेवात में
अच्छी नहीं कही जा सकती। इनके लिए न स्वच्छ पानी की व्यवस्था है न ही इनके
बच्चों के लिए पाठाशाला की।

नहीं है शौचालय व पेयजल व्यवस्था

मेवात में 90 फीसदी भट्ठों पर मजदूरों के लिए शौचालय आदि की व्यवस्था
नहीं है। इससे महिलाओं को खासी परेशानी होती है। इसके अलावा जिले के अधिकाश
भट्ठों पर पेयजल की स्थाई व्यवस्था नहीं है। दूषित व खारे पानी से मजदूरों
में तेजी से बीमारिया पनप रही हैं।

बंद है भट्ठा पाठशाला

ईट भट्ठों पर मजदूरों के बच्चों को क, ख, ग सिखाने के लिए चलाई गई भट्ठा
पाठशाला की योजना भी मेवात में दम तोड़ चुकी है। बिना शिक्षा के नाबालिग
बच्चे भी ईट भट्ठों पर मजदूरी करते देखे जा सकते है।

नहीं राशन कार्ड

सरकार की ओर से मजदूरों को सस्ते दामों पर राशन उपलब्ध कराने की योजना भी मेवात में खटाई में पड़ती नजर आ रही है।

महिलाओं व बच्चों के स्वास्थ्य की अनदेखी

नियम के मुताबिक भट्ठा मजदूरों के स्वास्थ्य जाच मालिकों द्वारा
व्यवस्था की जानी चाहिए। लेकिन मेवात में यह व्यवस्था किसी भी भट्ठे पर नजर
नहीं आती।

बंधुआ मजदूरी का आरोप

जिले में चल रहे ईट भट्ठों पर इन दिनों काम बंद पड़ा है। फिर भी अधिकाश
मालिकों ने मजदूरों को घर जाने की छुट्टी नहीं दी है। जिसका मुख्य कारण है
उनकी मजदूरी न मिलना।

श्रम कार्यालय में पड़ी है तीस से अधिक दरख्वास्तें

जिला मुख्यालय स्थित श्रम अधिकारी कार्यालय में मजदूरों की मागों को
लेकर तीस अधिक दरख्वास्तें लंबित पड़ी है। जिनमें मजदूरों ने भट्ठा मालिकों
तथा ठेकेदारों पर शोषण के आरोप लगाए है।

मजदूर नेताओं की जुबानी

मजदूरों के हितों के लिए कार्य कर रहे संगठन सीआइटीयू के प्रदेश अध्यक्ष
कामरेड सतबीर सिंह के अनुसार वैसे तो पूरे प्रदेश में ही मजदूरों के हकों
का हनन किया जा रहा है, लेकिन मेवात में तो मजदूरों के हकों की बात करना ही
बेमानी है। क्या कहते है अधिकारी

श्रम विभाग के वित्तायुक्त सरबन सिंह ने दूरभाष पर बताया कि मेवात में
श्रमिकों को जो भी परेशानिया आ रही है, उनको लेकर वे जिला प्रशासन से
बातचीत करेगे।

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