कुमारखंड, मधेपुरा, निप्र : बडे़ बच्चों को सरकार ने भले ही पढ़ाई करने
के लिए सुबह का समय निर्धारित कर दिया हो लेकिन छोटे बच्चों को कड़ी धूप में
पढ़ने के लिए बुलाना उन्हें सजा देने के समान अभिभावकों को लग रहा है।
मामला आंगनबाड़ी केंद्रों पर पढ़ने वाले तीन से वर्ष के बच्चों का है।
जिन्हें केंद्रों पर पढ़ने के लिए पूर्वाह्न नौ बजे जाना पड़ता है। इस
दौरान बच्चा केंद्र पर अपराह्न एक बजे तक रहता है। जबकि पांच से 15 वर्ष तक
के बच्चों को प्राथमिक विद्यालय आने के लिए सुबह साढे़ छह से पूर्वाह्न
साढे़ 11 बजे तक का समय निर्धारित कर रखा है। अभिभावकों का कहना है कि यह
सरासर बच्चों के साथ अन्याय है। वहीं सीडीपीओ कुमारी सुरभि कहती है कि समाज
कल्याण विभाग की ओर से समय परिवर्तन के सिलसिले में कोई निर्देश जारी नहीं
किया जाता तब तक समय को बदला नहीं जा सकता। वहीं दूसरी ओर समय नहीं बदले
जाने से छोटे बच्चों को कड़ी धूप में पढ़ाई करना पड़ रहा है। इस दौरान गर्मी
के चलते बच्चों का बुरा हाल है। कई माताओं ने तो बच्चों को केंद्र पर इस डर
के चलते भेजना बंद कर दिया है कि कहीं उनका लाडला बीमार न पड़ जाए। बहरहाल
समाज कल्याण विभाग को इस समस्या की दिशा में शीघ्र कदम उठाते हुए समय में
परिवर्तन कर देना चाहिए
दौरान बच्चा केंद्र पर अपराह्न एक बजे तक रहता है। जबकि पांच से 15 वर्ष तक
के बच्चों को प्राथमिक विद्यालय आने के लिए सुबह साढे़ छह से पूर्वाह्न
साढे़ 11 बजे तक का समय निर्धारित कर रखा है। अभिभावकों का कहना है कि यह
सरासर बच्चों के साथ अन्याय है। वहीं सीडीपीओ कुमारी सुरभि कहती है कि समाज
कल्याण विभाग की ओर से समय परिवर्तन के सिलसिले में कोई निर्देश जारी नहीं
किया जाता तब तक समय को बदला नहीं जा सकता। वहीं दूसरी ओर समय नहीं बदले
जाने से छोटे बच्चों को कड़ी धूप में पढ़ाई करना पड़ रहा है। इस दौरान गर्मी
के चलते बच्चों का बुरा हाल है। कई माताओं ने तो बच्चों को केंद्र पर इस डर
के चलते भेजना बंद कर दिया है कि कहीं उनका लाडला बीमार न पड़ जाए। बहरहाल
समाज कल्याण विभाग को इस समस्या की दिशा में शीघ्र कदम उठाते हुए समय में
परिवर्तन कर देना चाहिए