दुनिया की खाद्य फैक्ट्री बन सकता है भारत

देश में कृषि क्षेत्र का आधार बहुत बड़ा है। यदि इसमें तेजी से सुधारात्मक
कदम उठाए गए तो यह दुनिया की खाद्य फैक्ट्री बन सकता है। उद्योग संगठन
सीआईआई की ओर से आयोजित ‘फूड एंड बेव समिट 2012’ में देश के कृषिगत आधार और
खाद्य प्रसंस्करण सेक्टर में विकास की संभावनाओं पर चर्चा की गई।

खाद्य
प्रसंस्करण मंत्रालय के सचिव राकेश केकर ने कहा कि सरकार खाद्य प्रसंस्करण
सेक्टर के विकास को लेकर गंभीर है। इस सेक्टर में कई तरह के विकासात्मक
कदम सरकार की ओर से उठाए गए है। 2006 और 2012 के बीच इस सेक्टर की औसत
वृद्धि दर 8 फीसदी आंकी गई, जो विनिर्माण सेक्टर की विकास दर से अधिक रही।

उन्होंने
कहा कि मंत्रालय की ओर चलाई जा रही योजनाओं में राज्यों की भूमिका को अधिक
से अधिक बढ़ाया जा रहा है। इस सेक्टर की समस्याओं के बारे में उन्होंने
कहा कि अधिकांश समस्याओं का समाधान किया जा चुका है। मुख्य समस्या जमीन को
लेकर है। राज्य सरकार के साथ

मिलकर चलाई जा रही अधिकांश योजनाएं पूरी होने की कगार पर हैं। कोल्ड चेन के विस्तार का कार्य तेजी से चल रहा है।

अब
तक आठ कोल्ड चेन बनकर तैयार हो चुके हैं। जबकि इस वित्त वर्ष के अंत तक 15
और बनकर तैयार हो जाएंगे। फूड एंड बेव 2012 के चेयरमैन पिरज खंबात्ता ने
कहा कि फूड प्रोसेसिंग सेक्टर ग्रामीण भारत के विकास और संपन्नता के लिए
महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जैसेकि उसने शहरी भारत के लिए किया है।

उन्होंने
कहा कि हम कृषि प्रधान देश हैं और हम खाद्य प्रसंस्करण सेक्टर का विस्तार
कर सकते हैं। छोटे और मझोले उद्योगों के लिए यह सेक्टर काफी लाभकारी है।
हमें डिफेंस की बजाय खाद्य सुरक्षा की ज्यादा जरूरत है। फूड प्रोसेसिंग
महंगाई को नियंत्रित करने भी मददगार साबित हो सकता है।

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