दलित की मौत और मुआवजे की फाइल हो गई छूमंतर

मंडी.
प्रदेश सरकार बेशक नौकरशाही को जवाबदेह और पारदर्शी बनाने के लिए पब्लिक
अकांउटिविलिटी जैसा कानून बनाने की वाहवाही लूट रही हो लेकिन दूसरी और
सरकारी अमले की लालफीताशाही का आलम यह है कि सरकारी दफ्तर से सरकारी फाईल
गायब हो जाती है। उप तहसील बालीचौकी के धार गांव के एक दलित व्यक्ति ईश्वर
सिंह की अचानक हुई मौत के बाद मिलने वाले मुआवजे की फाईल पिछले दो साल से
गायब है।








सूचना अधिकार कानून के तहत उक्त हरिजन परिवार को न्याय दिलाने के लिए
आरटीआई एक्टिविस्ट संत राम ने जब सूचना अधिकार कानून के तहत सूचना मांगी तो
फाईल न मिलने के पर सरकारी अमले ने एक दूसरी ही फाईल तैयार कर डाली और
दलित के हक को यह कह कर दरकिनार कर दिया कि मरने वाला मानसिक रोगी था और
उसने खुदकुशी की है, इसलिए मुआवजे पर उक्त परिवार का दावा नहीं बनता। इस
फाईल के संबंध में गलत सूचना देने पर मंगलवार को सूचना आयोग के मंडी सर्किट
बेंच के दौरान मुख्य सूचना आयुक्त भीम सेन ने एसडीएम सदर और नायब तहसीलदार
औट को जुर्माना ठोंका ।










जुर्माने के साथ देना पड़ेगा हर्जाना


मुख्य सूचना आयुक्त भीम सेन ने सदर एसडीएम व सदर नायब तहसीलदार औट को एक
सप्ताह में सूचना उपलब्ध करवाने के आदेश दिए हैं। अपने फैसले में उन्होंने
कहा है कि एसडीएम व नायब तहसीलदार को प्रतिदिन २५क् रुपए के हिसाब से
जुर्माना लगाया जाएगा। उन्होंने प्रार्थी संतराम को 1 हजार रुपए जुर्माना
राशि अदा करने के भी आदेश दिए हैं।








90 दिनों तक लटकाई सूचना




आरटीआई एक्टिविस्ट संत राम ने बताया कि उन्होंने बीते साल 2 दिसंबर को
दलित वर्ग से संबंध रखने वाले ईश्वर सिंह की मौत के मुआवजे से संबंधित फाइल
के बारे में सूचना मांगी थी। एसडीएम सदर की ओर से २२ मार्च २क्१२ को
अधूरी सूचना दी गई और कहा गया कि फाईल गुम हो गई है। इस बारे में सूचना
आयुक्त के पास अपील के बाद प्रार्थी को सही व पूरी सूचना देने के आदेश हुए।
अधिकारियों की ओर से 90 दिनों तक सूचना को लटकाए रखा।








पेशी पर नहीं पहुंचे साहब




सूचना आयुक्त ने इस मामले में पहली सुनवाई 19 मार्च को की, लेकिन उस सुनवाई
में एसडीएम सदर के हाजिर न होने के कारण अगली सुनवाई 24 अप्रैल को निश्चित
हुई। मंगलवार कोहुई पेशी में भी एएसडीएम सदर व नायब तहसीलदार की ओर से
भी ऑफिस कानूनगो सुनवाई के लिए हाजिर हुए । मुख्य सूचना आयुक्त ने दोनों
अधिकारियों से एक सप्ताह में जवाब तलब किया है।










सूचना आयोग से शिकायत के बाद सूचना देने की प्रक्रिया शुरू तो हुई लेकिन 90
दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक सही सूचना नहीं मिल पाई है।


-संत राम, आरटीआई एक्टिविस्ट, बालीचौकी, जो दलित के हकों की लड़ाई लड़ रहे हैं।








एसडीएम सदर और नायब तहसीलदार औट को सूचना लटकाने के लिए प्रतिदिन 250 रूपए
के हिसाब से जुर्माना होगा और प्रार्थी को एक हजार हर्जाना भी अदा करना
होगा।


-भीमसेन, मुख्य सूचना आयुक्त हिमाचल प्रदेश।

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