टैक्स से बचने को 1540 शिक्षक बन गए कैंसर रोगी

बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों में तैनात कुछ शिक्षकों ने टैक्स बचाने के
फेर में बड़ा फर्जीवाड़ा कर डाला। दस-बीस नहीं, अब तक 1540 ऐसे शिक्षक
चिन्हित किए गए हैं जिन्होंने खुद को या पत्नी को गंभीर कैंसर रोगी बता
दिया और इलाज के नाम पर टैक्स में छूट का दावा किया। दो सौ से अधिक
शिक्षकों ने पत्नी को विकलांग बता दिया और उसके लंबे इलाज के नाम पर टैक्स
में छूट हासिल की। गंभीर बीमारी पर 60 हजार रुपये की आमदनी पर अतिरिक्त
सालाना छूट मिलती है।

सभी आवेदनों की जांच शुरू
बीएसए
दफ्तर से निदेशालय पहुंची फाइलों में एक मंडल से इतनी बड़ी संख्या में
कैंसर की बीमारी का प्रमाणपत्र देख बाबुओं को हैरानी हुई। कागजात की जांच
की गई तो सामने आया कि कुल तीन डॉक्टर हैं, जो इतने बड़े पैमाने पर बीमार
शिक्षकों का इलाज कर रहे हैं। प्राथमिक जांच में यह भी पता चला कि उनमें से
एक चिकित्सक की डिग्री ही असली नहीं है। भारी गड़बड़झाला देख विभाग ने सभी
आवेदनों की जांच शुरू करा दी है।

इलाहाबाद के 835 और प्रतापगढ़ के 471 शिक्षक
शिक्षकों
ने केवल कैंसर की बीमारी का परचा ही नहीं दिखाया, लाखों की दवा की रसीद भी
दिखा दी। प्रतापगढ़ में जिले स्तर पर ही शिक्षकों की गड़बड़ी पकड़ी गई थी।
उसके बाद अधिकारियों ने इसकी सूचना मंडल स्तर और निदेशालय स्तर पर दी।
शिकायत के बाद पूरे मंडल की फाइलों की जांच हुई। प्राथमिक जांच में
इलाहाबाद के 835 और प्रतापगढ़ के 471 शिक्षक चिन्हित किए गए जिन्होंने खुद
को कैंसर रोगी बताया है।

हेराफेरी से आयकर विभाग को करोड़ों का चूना
अधिकारियों
की मानें तो उनमें से कुछ के प्रधानाध्यापकों से पूछताछ हुई लेकिन किसी ने
ऐसी बीमारी की बात नहीं बताई। अफसरों को पूरा यकीन है कि यह तिकड़म सिर्फ
आयकर बचाने के लिए है। माना जा रहा है कि इसमें बीएसए दफ्तर से लेकर
लेखाधिकारी कार्यालय तक कई कर्मचारी भी मिले हुए हैं। शिक्षकों की इस
हेराफेरी से आयकर विभाग को करोड़ों का चूना लगा है।

जांच के बाद होगी कार्रवाई
हैरानी
यह कि प्रतापगढ़ में खुद को कैंसर रोगी बताने वाले सभी 471 शिक्षकों ने
जौनपुर के एक ही चिकित्सक से इलाज कराया। सबने उसी का पर्चा और जांच
रिपोर्ट संलग्न की है। दवाओं की खरीद में लाखों रुपये का बिल भी लगाया गया
है। निदेशालय के एक जिम्मेदार अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि
चिन्हित शिक्षकों की फाइल वित्त अधिकारी को दी गई है। जांच के बाद इस मामले
में कार्रवाई हो सकती है।

‘आयकर के लिए जमा सभी अभिलेखों का सत्यापन कराया जाएगा। दोषी मिलने पर विभाग के मानक के अनुसार कटौती की जाएगी।’
-विनय कुमार श्रीवास्तव, वित्त एवं लेखाधिकारी

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