चंडीगढ़. कर्ज
जाल में फंसे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बाद पंजाब के
मुख्यमंत्री परकाश सिंह बादल ने भी कर्ज में राहत की मांग उठा दी है। बादल
ने पंजाब की स्थिति और उसकी देश को देन का जिक्र कर प्रधानमंत्री के सामने
अपना पक्ष रखा है।
12वें वित्तीय आयोग की सिफारिशों के बाद पंजाब, पश्चिमी बंगाल और केरल को
कर्ज के दबाव से निकालने के लिए केंद्र सरकार ने सेक्रेटरी एक्सपेंडिचर की
अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था और इन राज्यों को जल्द से जल्द कर्ज
के दबाव से कैसे मुक्त किया जा सकता है इस पर रिपोर्ट देने को कहा था
लेकिन दो साल बीत जाने के बावजूद सेक्रेटरी एक्सपेंडिचर ने अभी तक कोई
रिपोर्ट नहीं दी है। ममता बनर्जी 20 हजार करोड़ रुपए का विशेष पैकेज मांग
चुकी हैं और राज्य पर चढ़े कर्ज का ब्याज कुछ सालों के लिए आगे डालने की
बात कह रही हैं।
सोमवार को प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को लिखे पत्र में बादल ने कहा है कि
पंजाब एक सीमांत प्रांत है और राज्य 1986 से पहले कैश सरप्लस था लेकिन 15
साल तक आतंकवाद से जूझने के कारण पंजाब की अधिकांश इंडस्ट्री पलायन कर गई।
उन्होंने कहा, इस मौके पर केंद्र को पंजाब को कोई आर्थिक पैकेज देना चाहिए
था लेकिन केंद्र ने पंजाब को न देकर पंजाब के पड़ोसी पहाड़ी राज्यों को दे
राज्य के हितों को और नुकसान पहुंचाया। लिहाजा बची खुची इंडस्ट्री भी इन
राज्यों में पलायन कर गई।
सचिव से मिलेंगे सतीश चंद्रा
प्रमुख वित्त सचिव सतीश चंद्रा ने भी केंद्रीय सेक्रेटरी एक्सपेंडिचर सुमित
बोस से मिलने के लिए समय मांगा है ताकि वह पंजाब का केस रख सकें। दरअसल
सतीश चंद्रा ने मंगलवार को योजना आयोग के अधिकारियों से राज्य की वार्षिक
योजना को लेकर मीटिंग करनी है ऐसे में उनसे मिलकर पंजाब का केस भी रखना
चाहते हैं। पिछले आठ महीनों से तीनों राज्यों को कर्ज में राहत देने के
मामले में कोई मीटिंग नहीं हुई है। अंतिम मीटिंग अक्तूबर महीने में हुई थी।
वार्षिक योजना 12800 करोड़ संभव
पंजाब की वार्षिक योजना 12800 करोड़ रुपए की हो सकती है। इस संबंधी योजना
आयोग के अधिकारियों के साथ मंगलवार को पंजाब के वित्त और योजना आयोग के
अधिकारियों की बैठक है। नई वार्षिक योजना पिछले साल के मुकाबले 1300 करोड़
रुपए अधिक होगी। पिछली वार्षिक योजना 64 फीसदी पूरी हुई थी।
जाल में फंसे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बाद पंजाब के
मुख्यमंत्री परकाश सिंह बादल ने भी कर्ज में राहत की मांग उठा दी है। बादल
ने पंजाब की स्थिति और उसकी देश को देन का जिक्र कर प्रधानमंत्री के सामने
अपना पक्ष रखा है।
12वें वित्तीय आयोग की सिफारिशों के बाद पंजाब, पश्चिमी बंगाल और केरल को
कर्ज के दबाव से निकालने के लिए केंद्र सरकार ने सेक्रेटरी एक्सपेंडिचर की
अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था और इन राज्यों को जल्द से जल्द कर्ज
के दबाव से कैसे मुक्त किया जा सकता है इस पर रिपोर्ट देने को कहा था
लेकिन दो साल बीत जाने के बावजूद सेक्रेटरी एक्सपेंडिचर ने अभी तक कोई
रिपोर्ट नहीं दी है। ममता बनर्जी 20 हजार करोड़ रुपए का विशेष पैकेज मांग
चुकी हैं और राज्य पर चढ़े कर्ज का ब्याज कुछ सालों के लिए आगे डालने की
बात कह रही हैं।
सोमवार को प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को लिखे पत्र में बादल ने कहा है कि
पंजाब एक सीमांत प्रांत है और राज्य 1986 से पहले कैश सरप्लस था लेकिन 15
साल तक आतंकवाद से जूझने के कारण पंजाब की अधिकांश इंडस्ट्री पलायन कर गई।
उन्होंने कहा, इस मौके पर केंद्र को पंजाब को कोई आर्थिक पैकेज देना चाहिए
था लेकिन केंद्र ने पंजाब को न देकर पंजाब के पड़ोसी पहाड़ी राज्यों को दे
राज्य के हितों को और नुकसान पहुंचाया। लिहाजा बची खुची इंडस्ट्री भी इन
राज्यों में पलायन कर गई।
सचिव से मिलेंगे सतीश चंद्रा
प्रमुख वित्त सचिव सतीश चंद्रा ने भी केंद्रीय सेक्रेटरी एक्सपेंडिचर सुमित
बोस से मिलने के लिए समय मांगा है ताकि वह पंजाब का केस रख सकें। दरअसल
सतीश चंद्रा ने मंगलवार को योजना आयोग के अधिकारियों से राज्य की वार्षिक
योजना को लेकर मीटिंग करनी है ऐसे में उनसे मिलकर पंजाब का केस भी रखना
चाहते हैं। पिछले आठ महीनों से तीनों राज्यों को कर्ज में राहत देने के
मामले में कोई मीटिंग नहीं हुई है। अंतिम मीटिंग अक्तूबर महीने में हुई थी।
वार्षिक योजना 12800 करोड़ संभव
पंजाब की वार्षिक योजना 12800 करोड़ रुपए की हो सकती है। इस संबंधी योजना
आयोग के अधिकारियों के साथ मंगलवार को पंजाब के वित्त और योजना आयोग के
अधिकारियों की बैठक है। नई वार्षिक योजना पिछले साल के मुकाबले 1300 करोड़
रुपए अधिक होगी। पिछली वार्षिक योजना 64 फीसदी पूरी हुई थी।