जल स्रोतों के अस्तित्व पर संकट

देहरादून। अनियोजित विकास राज्य में जल स्रोतों के लिए संकट बनकर खड़ा हो
गया है। आलम यह है कि उत्तराखंड के 53 हजार 566 वर्ग किलोमीटर के भौगोलिक
क्षेत्र में जलीय भूमि केवल 1.94 प्रतिशत ही शेष रही है। उत्तराखंड स्पेस
एप्लिकेशन सेंटर (यू-सैक) ने सेटेलाइट के जरिए यह तस्वीर दिखाई है। ‘नेशनल
वेटलैंड इनवेंटरी एंड एसेसमेंट’ प्रोजेक्ट के तहत राज्य में कुल 994
प्राकृतिक जल स्रोत चिन्हित किए गए, जिनमें से 816 आकार में बेहद छोटे थे।
इनमें 29 जलीय क्षेत्र तीन हजार मीटर से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र में स्थित
हैं। सर्वाधिक 16 चमोली, जबकि 11 स्रोत पिथौरागढ़ जिले में चिन्हित किए
गए।

जल स्रोतों की स्थिति :
झीलें—31
जलाशय–10
तालाब—-730
रिवर वेली (नदियों के किनारे बने पानी के गड्ढे)–150

जिला भौगोलिक क्षेत्र जलीय भूमि भौगोलिक क्षेत्र का
वर्ग किमी में हेक्टयर में जिलावार प्रतिशत
——————————————–
अल्मोड़ा——–3090—3326—1.08
बागेश्वर——–2310—2187—0.95
चमोली———7692—3240—0.42
चंपावत———1781—3222—1.81
देहरादून———3088–10432—3.38
हरिद्वार———-2360–12480—5.29
नैनीताल——–3853—13835—3.59
पौड़ी———–5438—14631—2.69
पिथौरागढ़——–7110—6023—0.85
रूद्रप्रयाग——–1896—1702—0.90
टिहरी———–4085—4173—1.02
उधम सिंह नगर—2912—20099—6.90
उत्तरकाशी——-7951—-8532—1.07

यह हैं परेशानी की वजह :
-लगातार बढ़ रही मानव जनसंख्या
-लैंड यूज/कवर में बड़े पैमाने पर बदलाव
-वाटर शेड का अनुचित उपयोग
-परियोजनाओं का अनियोजित विकास

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