खसरे के मामलों की होगी खोज

फरीदाबाद। स्वास्थ्य विभाग, प्रदेश में 2010 के बाद सामने आए खसरे के
मामलों की खोज करेगा। इसके लिए प्रदेश में एक सर्वे भी किया जाएगा।
पूरे
भारत में प्रतिवर्ष 70-80 हजार बच्चे खसरे की बीमारी से मौत के मुंह में
समां जाते हैं। केंद्र सरकार ने वर्ष 2010 में भारत में खसरे की बीमारी से
बच्चाें को बचाने के लिए एक अभियान की शुरूआत की थी, जिसके तहत 10 वर्ष
तक की आयु के बच्चों को खसरे का टीका लगाया गया। इस अभियान की शुरूआत
हरियाणा के फरीदाबाद से की गई थी। फरीदाबाद के बाद प्रदेश के अन्य जिलों
में भी यह अभियान चलाकर 10 वर्ष तक की आयु के बच्चाें को खसरे का टीका
लगाया गया था। यह अभियान बडे़ स्तर पर चलाया गया था, जिसके तहत जिले के
करीब पांच लाख बच्चाें को टीके लगाए गए थे।
अब विश्व स्वास्थ्य संगठन
इस अभियान की स्थिति जानने के लिए एक सर्वे कराने की तैयारी कर रहा है। इस
सर्वे में यह पता लगाया जाएगा कि 2010 के बाद प्रदेश में कितने बच्चे खसरे
की बीमारी से पीड़ित हुए। ताकि अभियान की सार्थकता का पता चल सके। इसके
लिए अप्रैल के अंतिम सप्ताह में डब्ल्यूएचओ के अधिकारी एक मीटिंग करेंगे,
जिसमें सर्वे की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
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केंद्र
सरकार ने इस वर्ष को नियमित टीकाकरण घोषित किया है। जिसके तहत खसरे अभियान
की हकीकत जानने के लिए सर्वे कर यह पता लगाया जाएगा कि इसका कितना असर
बच्चाें पर हुआ। जिससे स्थिति स्पष्ट हो सके कि किस क्षेत्र में अभियान के
बाद भी बच्चे खसरे से पीड़ित हुए।
-डॉ. संजीव तंवर, टीकाकरण अधिकारी, विश्व स्वास्थ्य संगठन

क्या हैं खसरे के लक्षण
-बुखार के साथ शरीर पर लाल दाने निकल आना।
-खांसी व आंखों से पानी आना आदि।

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