अहमदाबाद।
हाल ही में भारतीय नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में यह
बात सामने आई है कि गुजरात सरकार का राजकोषीय घाटा 15074 करोड़ तथा राजस्व
घाटा 5076 करोड़ हो गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि अदाणी ग्रुप को
लाभ पहुंचाने के लिए जनता के पैसों की बर्बादी की गई। 175 घोटालों की
जानकारी होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।
गुजरात विधानसभा में पेश कैग की इसी रिपोर्ट के बाद गुजरात सरकार में
उथल-पुथल मच गई है। राज्य सरकार ने उच्च अधिकारियों को आदेश दिए हैं कि कैग
की रिपोर्ट के अनुसार सरकार को जो भी नुकसान हुआ, इसके लिए कौन जिम्मेदार
है, जांच की जाए। सरकार के इसी आदेश के बाद अधिकारियों की नींद उड़ गई है।
बताया जा रहा है कि मोदी सरकार भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई
करने का मन बना चुकी है।
उल्लेखनीय है कि कैग की यह रिपोर्ट वर्ष 2010-2011 की है। रिपोर्ट में
राज्य सरकार की माली हालत की आलोचना की गई है। रिपोर्ट में बताया गया कि
2010-11 में राज्य सरकार ने अपने निगमों में 7.56 प्रतिशत की दर से कर्ज
लेकर 34,496 करोड़ रुपए का निवेश किया। इस पर सरकार को सिर्फ 0.33 प्रतिशत
के हिसाब से महज 114.43 करोड़ लाभ की मद में मिले।
कोई सामान्य व्यक्ति भी इस तरह का हानिकारक निवेश नहीं करता जैसा कि सरकार
ने किया। कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार के ध्यान में मार्च-2011 तक
175 घोटाले आ चुके थे। इनकी राशि 8.54 करोड़ होती है। ध्यान में आने के बाद
भी कोई उचित कार्रवाई नहीं की गई। कैग अधिकारियों ने कहा कि इन घोटालों
में विभागीय जांच होनी चाहिए।
हाल ही में भारतीय नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में यह
बात सामने आई है कि गुजरात सरकार का राजकोषीय घाटा 15074 करोड़ तथा राजस्व
घाटा 5076 करोड़ हो गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि अदाणी ग्रुप को
लाभ पहुंचाने के लिए जनता के पैसों की बर्बादी की गई। 175 घोटालों की
जानकारी होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।
गुजरात विधानसभा में पेश कैग की इसी रिपोर्ट के बाद गुजरात सरकार में
उथल-पुथल मच गई है। राज्य सरकार ने उच्च अधिकारियों को आदेश दिए हैं कि कैग
की रिपोर्ट के अनुसार सरकार को जो भी नुकसान हुआ, इसके लिए कौन जिम्मेदार
है, जांच की जाए। सरकार के इसी आदेश के बाद अधिकारियों की नींद उड़ गई है।
बताया जा रहा है कि मोदी सरकार भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई
करने का मन बना चुकी है।
उल्लेखनीय है कि कैग की यह रिपोर्ट वर्ष 2010-2011 की है। रिपोर्ट में
राज्य सरकार की माली हालत की आलोचना की गई है। रिपोर्ट में बताया गया कि
2010-11 में राज्य सरकार ने अपने निगमों में 7.56 प्रतिशत की दर से कर्ज
लेकर 34,496 करोड़ रुपए का निवेश किया। इस पर सरकार को सिर्फ 0.33 प्रतिशत
के हिसाब से महज 114.43 करोड़ लाभ की मद में मिले।
कोई सामान्य व्यक्ति भी इस तरह का हानिकारक निवेश नहीं करता जैसा कि सरकार
ने किया। कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार के ध्यान में मार्च-2011 तक
175 घोटाले आ चुके थे। इनकी राशि 8.54 करोड़ होती है। ध्यान में आने के बाद
भी कोई उचित कार्रवाई नहीं की गई। कैग अधिकारियों ने कहा कि इन घोटालों
में विभागीय जांच होनी चाहिए।