भोपाल, 13 अप्रैल (एजेंसी) मध्यप्रदेश में पिछले दस सालों में बाल विवाह के प्रकरणों में 87 प्रतिशत की कमी आई है।
यह खुलासा हाल ही में प्रकाशित भारत सरकार की सेम्पल रजिस्ट्रेशल
सर्वे रिपोर्ट 2010 .ंएसआरएस सर्वे.ं में किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार
मध्यप्रदेश में वर्ष 2001 में 25.3 प्रतिशत की तुलना में वर्ष 2010 में
केवल 3.3 प्रतिशत बालिकाओं के बाल विवाह .ं18 वर्ष से कम उम्र में विवाह.ं
के प्रकरण सामने आये।
इस प्रकार वर्ष 2001 की तुलना में वर्ष 2010 में बाल विवाह के प्रकरणों में 87 प्रतिशत की कमी आयी।
महिला-बाल विकास राज्य मंत्री .ंस्वतंत्र प्रभार.ं रंजना बघेल ने इसे
विभाग के सघन प्रयासों का परिणाम बताते हुए कहा कि महिला-बाल विकास विभाग
बाल विवाह की रोकथाम के लिए निरंतर प्रयासरत है। प्रतिवर्ष अक्षय तृतीया के
मौके पर बाल विवाह रोकथाम अभियान चलाया जाता है। इस अभियान से जन-जागरूकता
बढ़ी है और लोगों में बाल विवाह रोकथाम कानून के प्रति भय भी बना है।
रंजना
बघेल ने कहा कि हम मध्यप्रदेश से बाल विवाह की समस्या का अंत करना चाहते
है। उन्होंने बताया कि महिला-बाल विकास विभाग बाल विवाह रोकथाम के लिए इस
साल भी जागरूकता अभियान चलाने जा रहा है।
उन्होने आम नागरिकों से
विभाग द्वारा चलाए जा रहे अभियान में सहयोग करने की अपील करते हुए कहा कि
वे अपने आसपास होने वाले बाल विवाह की सूचना तत्काल स्थानीय कलेक्टर या
पुलिस को दें।
प्रदेश में बाल विवाह की रोकथाम के लिए बाल विवाह रोकथाम
अधिनियम 2006 बनाया गया है। इस अधिनियम के तहत राज्य सरकार द्वारा सभी
जिला कलेक्टर को उनके जिले के लिए बाल विवाह रोकथाम अधिकारी बनाया गया है।
इस अधिनियम के तहत दो वर्ष तक का कठोर कारावास या एक लाख रुपए तक का
जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। अधिनियम के तहत सभी अपराध संज्ञानात्मक और
गैर-जमानती होंगे।
यह खुलासा हाल ही में प्रकाशित भारत सरकार की सेम्पल रजिस्ट्रेशल
सर्वे रिपोर्ट 2010 .ंएसआरएस सर्वे.ं में किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार
मध्यप्रदेश में वर्ष 2001 में 25.3 प्रतिशत की तुलना में वर्ष 2010 में
केवल 3.3 प्रतिशत बालिकाओं के बाल विवाह .ं18 वर्ष से कम उम्र में विवाह.ं
के प्रकरण सामने आये।
इस प्रकार वर्ष 2001 की तुलना में वर्ष 2010 में बाल विवाह के प्रकरणों में 87 प्रतिशत की कमी आयी।
महिला-बाल विकास राज्य मंत्री .ंस्वतंत्र प्रभार.ं रंजना बघेल ने इसे
विभाग के सघन प्रयासों का परिणाम बताते हुए कहा कि महिला-बाल विकास विभाग
बाल विवाह की रोकथाम के लिए निरंतर प्रयासरत है। प्रतिवर्ष अक्षय तृतीया के
मौके पर बाल विवाह रोकथाम अभियान चलाया जाता है। इस अभियान से जन-जागरूकता
बढ़ी है और लोगों में बाल विवाह रोकथाम कानून के प्रति भय भी बना है।
रंजना
बघेल ने कहा कि हम मध्यप्रदेश से बाल विवाह की समस्या का अंत करना चाहते
है। उन्होंने बताया कि महिला-बाल विकास विभाग बाल विवाह रोकथाम के लिए इस
साल भी जागरूकता अभियान चलाने जा रहा है।
उन्होने आम नागरिकों से
विभाग द्वारा चलाए जा रहे अभियान में सहयोग करने की अपील करते हुए कहा कि
वे अपने आसपास होने वाले बाल विवाह की सूचना तत्काल स्थानीय कलेक्टर या
पुलिस को दें।
प्रदेश में बाल विवाह की रोकथाम के लिए बाल विवाह रोकथाम
अधिनियम 2006 बनाया गया है। इस अधिनियम के तहत राज्य सरकार द्वारा सभी
जिला कलेक्टर को उनके जिले के लिए बाल विवाह रोकथाम अधिकारी बनाया गया है।
इस अधिनियम के तहत दो वर्ष तक का कठोर कारावास या एक लाख रुपए तक का
जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। अधिनियम के तहत सभी अपराध संज्ञानात्मक और
गैर-जमानती होंगे।