बीमारू राज्यों में भी पिछड़े हम, आए नए आंकड़े

भोपाल। बिजली-पानी
को मुद्दा बनाकर सत्ता पर काबिज हुई भाजपा सरकार जनता को यह दोनों
सुविधाएं मुहैया कराने में असफल साबित हुई है। राज्य सरकार की सर्वोच्च
प्राथमिकता में होने के बावजूद न केवल प्रदेश में बिजली की उपलब्धता कम हुई
बल्कि इस सेक्टर में प्रदेश का परफार्मेंस अन्य बीमारू राज्यों से भी कम
है। यही नहीं प्रदेश सरकार जनता को पानी भी मुहैया नहीं करवा पाई।




जनगणना के ताजा आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक दशक में राष्ट्रीय स्तर पर
पानी और बिजली की उपलब्धता में 18.53 प्रतिशत और 20.43 प्रतिशत की वृद्धि
हुई है जबकि मप्र में यह -7.55 प्रतिशत और -4.14 प्रतिशत घट गई।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बार-बार दोहराते हैं कि प्रदेश विकास के पथ
पर अग्रसर है और बीमारू राज्यों की सूची से बाहर आ गया है, लेकिन आंकड़ों
के मुताबिक बिजली-पानी के मामले में प्रदेश की स्थिति अन्य बीमारू राज्यों
से भी बदतर है।




पिछली जनगणना में प्रदेश की 70 प्रतिशत जनता का सहारा बिजली थी, जो 2011
में 67.1 प्रतिशत रह गई। हालांकि सरकारी अफसर तर्क देते हैं कि जनगणना के
आंकड़े आनुपातिक हैं। जनसंख्या बढ़ने से वृद्धि नहीं दिख पाती, लेकिन ऐसा
कहने में वे यह भूल जाते हैं कि जनसंख्या तो पूरे देश में बढ़ रही है।




देश के पांच बीमारू राज्यों की कैसी है स्थिति




कहां पर बिजली का क्या हाल




राज्य–200१–2011–वृद्धि प्रति. में


मप्र–70–67.10–4.14


राजस्थान–54.70–67–22.49


ओडिशा–26.90–43–59.85


उप्र–31.90–36.80–15.36


बिहार–10.30–16.40–59.22


राष्ट्रीय–55–67.20–20.43




नल से पानी पहुंचने की स्थिति




राज्य–200१–2011–वृद्धि प्रति. में


राजस्थान–35.27–40.60–15.11


उप्र–21.70–27.30–15.19


मप्र–25.31–23.40–7.55


ओडिशा–8.73–13.80–58.08


बिहार–3.74–4.40–17.65


राष्ट्रीय–36.70–43.50–18.53

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