भोपाल। प्रदेश
में 14.91 लाख परिवार ऐसे हैं जिसके पास अपना घर नहीं है। वे किराए के
मकान में रह रहे है। यह स्थिति तब है जब प्रदेश में बड़े पैमाने पर
कालोनियां विकसित हुई। सरकारी एजेंसियां हाउसिंग बोर्ड व विकास प्राधिकरण
भी लोगों को आशियाना उपलब्ध कराने मैदान में हैं। बावजूद इसके पिछले दस
सालों में नए मकानों का आंकड़ा पचास लाख से अभी बहुत दूर है। संयुक्त
परिवारों की संस्कृति भी खत्म होती जा रही है।
ये तथ्य जनगणना 2011 के तहत मकान सूचीकरण एवं मकानों की गणना के संबंध में
सोमवार को जारी रिपोर्ट से सामने आए। राज्य के जनगणना निदेशक सचिन सिन्हा
के मुताबिक रिपोर्ट में पिछले एक दशक की तुलना की गई है।
44 लाख से ज्यादा नए घर बने
– पिछले दस साल में 44 लाख 79 नए मकान बन गए। वृद्धि – 32 प्रतिशत
– 71.8 फीसदी दंपत्तियों के पास एक कमरे का मकान
– रहने योग्य मकानों की संख्या 43.6 प्रतिशत
-राज्य के 71.2 प्रतिशत घरों में टायलेट नहीं है।
23 प्रतिशत घरों में पहुंच रहा पानी
अग्रणी राज्यों की कतार में शामिल होने की हसरत रखने वाले मप्र में 23.3
प्रतिशत परिवारों को घर में नल के जरिए पानी मिल रहा। ये स्थिति तब है जब
राज्य और केंद्र सरकार घर-घर में पानी पहुंचाने की योजनाओं का क्रियान्वित
कर रही है। शेष आबादी हैंडपंप और कुएं का पानी इस्तेमाल कर रही है।
67 फीसदी घरों में बिजली
प्रदेश के 67 प्रतिशत परिवार बिजली का इस्तेमाल कर रहे हैं। जबकि राज्य
सरकार ने अगले साल से पूरे प्रदेश को चौबीस घंटे बिजली देने की घोषणा की
है। आंकड़े बताते है कि रोशनी के लिए कैरोसिन उपयोग करने वाले परिवार 32
प्रतिशत हैं। खाना पकाने के लिए कैरोसिन का उपयोग करने वाले परिवारों की
संख्या मे भारी गिरावट दर्ज की गई है। मौजूदा समय में मात्र 1.3 प्रतिशत
परिवार ही कैरोसिन का उपयोग करते हैं।
फैक्ट
– 1,98,641 मकानों में चल रहे स्कूल-कॉलेज। जो पिछले दस साल की तुलना में 94.53 प्रतिशत अधिक है।
– 1,70,240 मकानों का उपयोग धार्मिक स्थलों के रूप में किया जा रहा है। जो पिछले दस साल की तुलना में 19.51 प्रतिशत अधिक है।
में 14.91 लाख परिवार ऐसे हैं जिसके पास अपना घर नहीं है। वे किराए के
मकान में रह रहे है। यह स्थिति तब है जब प्रदेश में बड़े पैमाने पर
कालोनियां विकसित हुई। सरकारी एजेंसियां हाउसिंग बोर्ड व विकास प्राधिकरण
भी लोगों को आशियाना उपलब्ध कराने मैदान में हैं। बावजूद इसके पिछले दस
सालों में नए मकानों का आंकड़ा पचास लाख से अभी बहुत दूर है। संयुक्त
परिवारों की संस्कृति भी खत्म होती जा रही है।
ये तथ्य जनगणना 2011 के तहत मकान सूचीकरण एवं मकानों की गणना के संबंध में
सोमवार को जारी रिपोर्ट से सामने आए। राज्य के जनगणना निदेशक सचिन सिन्हा
के मुताबिक रिपोर्ट में पिछले एक दशक की तुलना की गई है।
44 लाख से ज्यादा नए घर बने
– पिछले दस साल में 44 लाख 79 नए मकान बन गए। वृद्धि – 32 प्रतिशत
– 71.8 फीसदी दंपत्तियों के पास एक कमरे का मकान
– रहने योग्य मकानों की संख्या 43.6 प्रतिशत
-राज्य के 71.2 प्रतिशत घरों में टायलेट नहीं है।
23 प्रतिशत घरों में पहुंच रहा पानी
अग्रणी राज्यों की कतार में शामिल होने की हसरत रखने वाले मप्र में 23.3
प्रतिशत परिवारों को घर में नल के जरिए पानी मिल रहा। ये स्थिति तब है जब
राज्य और केंद्र सरकार घर-घर में पानी पहुंचाने की योजनाओं का क्रियान्वित
कर रही है। शेष आबादी हैंडपंप और कुएं का पानी इस्तेमाल कर रही है।
67 फीसदी घरों में बिजली
प्रदेश के 67 प्रतिशत परिवार बिजली का इस्तेमाल कर रहे हैं। जबकि राज्य
सरकार ने अगले साल से पूरे प्रदेश को चौबीस घंटे बिजली देने की घोषणा की
है। आंकड़े बताते है कि रोशनी के लिए कैरोसिन उपयोग करने वाले परिवार 32
प्रतिशत हैं। खाना पकाने के लिए कैरोसिन का उपयोग करने वाले परिवारों की
संख्या मे भारी गिरावट दर्ज की गई है। मौजूदा समय में मात्र 1.3 प्रतिशत
परिवार ही कैरोसिन का उपयोग करते हैं।
फैक्ट
– 1,98,641 मकानों में चल रहे स्कूल-कॉलेज। जो पिछले दस साल की तुलना में 94.53 प्रतिशत अधिक है।
– 1,70,240 मकानों का उपयोग धार्मिक स्थलों के रूप में किया जा रहा है। जो पिछले दस साल की तुलना में 19.51 प्रतिशत अधिक है।