कोरबा.
जल संसाधन विभाग के पाली सब डिवीजन में रतिजा एनीकट की मरम्मत के नाम पर
90.287 लाख रुपए खर्च कर दिए गए, जबकि एनीकट का निर्माण ही अभी शुरू नहीं
हुआ है। यह मामला सप्लाई आदेश के नाम पर 20 करोड़ रुपए से अधिक की गड़बड़ी
की जांच के दौरान सामने आया है।
पाली में लीलागर नदी पर एसबी पॉवर प्लांट के लिए जल संसाधन विभाग का रतिजा
एनीकट प्रस्तावित है। राज्य शासन ने 50 मेगावाट थर्मल पॉवर प्लांट को दो
मिलियन घनमीटर वार्षिक पानी देने के लिए नदी पर दो एनीकट बनाने की मंजूरी
दी है।
इसकी लागत 1208.28 लाख है। इसके बाद बाद पॉवर प्लांट कंपनी ने नियमों के
मुताबिक एक फरवरी 2011 को लागत राशि की 40 प्रतिशत राशि 483.31 लाख रुपए
विभाग के पास जमा कर दी। इसके बाद विभाग ने 9 मई 2011 को टेंडर जारी किया
था।
निविदा में सबसे कम दर 836.35 लाख पर ठेका मेसर्स पूरन चंद अग्रवाल को
मिला। बावजूद इसके अब तक इसका निर्माण शुरू नहीं हो पाया। वहीं तत्कालीन ईई
आरआर सारथी व एसडीओ शिव कुमार गुप्ता ने इसी एनीकट के की मरम्मत के नाम पर
90.287 लाख रुपए खर्च कर दिए। इनमें 25-25 हजार के सप्लाई आदेश जारी किए
गए हैं।
राशि खर्च करने नहीं ली अनुमति
विभाग के पास राशि खर्च करने अलग-अलग मद होते हैं। राशि मिलने में विलंब
होने पर अलग हेड की राशि अन्य कार्यो में खर्च कर सकते हैं, पर इसके लिए जल
संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता से अनुमति लेना जरूरी है। मुख्य अभियंता
उसी शर्त पर अनुमति देते हैं जब कोई कार्य रुक रहा हो या मंजूरी मिलने के
बाद फंड नहीं मिला हो। पर मरम्मत के लिए तो शासन से कोई आदेश ही नहीं आया
था। इसी वजह से अधिकारियों ने बिना अनुमति के ही राशि खर्च कर दी।
इन ठेकेदारों के नाम से सप्लाई आदेश
अधिकारियों ने एक नहीं बल्कि कई ठेकेदारों के नाम पर 25-25 हजार रुपए के
सप्लाई आदेश जारी किए हैं। इनमें जी श्रीनिवास सिंचाई कालोनी रामपुर, श्याम
यादव कोरबा, मेसर्स सूरज कंस्ट्रक्शन कंपनी अंबिकापुर, शिवकुमार शर्मा
बैगिनडभार रामपुर, राकेश मिश्रा रामपुर, सतीश अग्रवाल टीपी नगर एवं मेसर्स
डीए इंटरप्राइजेस जमनीपाली शामिल हैं।
डिपाजिट मदकी राशि अन्य मद में खर्च नहीं की जा सकती। रतिजा एनीकट के लिए
डिपाजिट मद में से 90 लाख रुपए खर्च करना बताया जा रहा है। यह एक तरह से
गड़बड़ी की गई है। इस संबंध में विभाग को सूचना दे दी गई है। कार्रवाई वहीं
से होगी। -राजेश धवनकर, ईई-जल संसाधन विभाग
रतिजा एनीकट की मरम्मत के नाम पर 90 लाख रुपए की गड़बड़ी की जांच करने
प्रमुख अभियंता ने कमेटी बनाई है। जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई की
जाएगी। -अनिल खरे, मुख्य अभियंता-जल संसाधन विभाग
पाली एसडीओ एसके गुप्ता से सीधी बात
सवाल: रतिजा एनीकट बना ही नहीं, फिर रिपेयर पर 90 लाख कहां खर्च हो गए?
जवाब: पुराने 15 जलाशयों की मरम्मत पर राशि खर्च की गई है। यह आवश्यक थी।
सवाल: डिपॉजिट मद की राशि सीई की अनुमति के बिना कैसे खर्च कर ली गई?
जवाब: यह कार्यपालन अभियंता का लुक आउट है, उनके आदेश पर ही काम हुआ है। राशि समायोजित कर दी जाएगी।
सवाल: शासन ने मरम्मत के लिए न आदेश दिया न राशि, तो रकम कहां से आएगी?
जवाब: अन्य मद की राशि से मरम्मत कराई जाती है। इसे समायोजित किया जाता है।
जल संसाधन विभाग के पाली सब डिवीजन में रतिजा एनीकट की मरम्मत के नाम पर
90.287 लाख रुपए खर्च कर दिए गए, जबकि एनीकट का निर्माण ही अभी शुरू नहीं
हुआ है। यह मामला सप्लाई आदेश के नाम पर 20 करोड़ रुपए से अधिक की गड़बड़ी
की जांच के दौरान सामने आया है।
पाली में लीलागर नदी पर एसबी पॉवर प्लांट के लिए जल संसाधन विभाग का रतिजा
एनीकट प्रस्तावित है। राज्य शासन ने 50 मेगावाट थर्मल पॉवर प्लांट को दो
मिलियन घनमीटर वार्षिक पानी देने के लिए नदी पर दो एनीकट बनाने की मंजूरी
दी है।
इसकी लागत 1208.28 लाख है। इसके बाद बाद पॉवर प्लांट कंपनी ने नियमों के
मुताबिक एक फरवरी 2011 को लागत राशि की 40 प्रतिशत राशि 483.31 लाख रुपए
विभाग के पास जमा कर दी। इसके बाद विभाग ने 9 मई 2011 को टेंडर जारी किया
था।
निविदा में सबसे कम दर 836.35 लाख पर ठेका मेसर्स पूरन चंद अग्रवाल को
मिला। बावजूद इसके अब तक इसका निर्माण शुरू नहीं हो पाया। वहीं तत्कालीन ईई
आरआर सारथी व एसडीओ शिव कुमार गुप्ता ने इसी एनीकट के की मरम्मत के नाम पर
90.287 लाख रुपए खर्च कर दिए। इनमें 25-25 हजार के सप्लाई आदेश जारी किए
गए हैं।
राशि खर्च करने नहीं ली अनुमति
विभाग के पास राशि खर्च करने अलग-अलग मद होते हैं। राशि मिलने में विलंब
होने पर अलग हेड की राशि अन्य कार्यो में खर्च कर सकते हैं, पर इसके लिए जल
संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता से अनुमति लेना जरूरी है। मुख्य अभियंता
उसी शर्त पर अनुमति देते हैं जब कोई कार्य रुक रहा हो या मंजूरी मिलने के
बाद फंड नहीं मिला हो। पर मरम्मत के लिए तो शासन से कोई आदेश ही नहीं आया
था। इसी वजह से अधिकारियों ने बिना अनुमति के ही राशि खर्च कर दी।
इन ठेकेदारों के नाम से सप्लाई आदेश
अधिकारियों ने एक नहीं बल्कि कई ठेकेदारों के नाम पर 25-25 हजार रुपए के
सप्लाई आदेश जारी किए हैं। इनमें जी श्रीनिवास सिंचाई कालोनी रामपुर, श्याम
यादव कोरबा, मेसर्स सूरज कंस्ट्रक्शन कंपनी अंबिकापुर, शिवकुमार शर्मा
बैगिनडभार रामपुर, राकेश मिश्रा रामपुर, सतीश अग्रवाल टीपी नगर एवं मेसर्स
डीए इंटरप्राइजेस जमनीपाली शामिल हैं।
डिपाजिट मदकी राशि अन्य मद में खर्च नहीं की जा सकती। रतिजा एनीकट के लिए
डिपाजिट मद में से 90 लाख रुपए खर्च करना बताया जा रहा है। यह एक तरह से
गड़बड़ी की गई है। इस संबंध में विभाग को सूचना दे दी गई है। कार्रवाई वहीं
से होगी। -राजेश धवनकर, ईई-जल संसाधन विभाग
रतिजा एनीकट की मरम्मत के नाम पर 90 लाख रुपए की गड़बड़ी की जांच करने
प्रमुख अभियंता ने कमेटी बनाई है। जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई की
जाएगी। -अनिल खरे, मुख्य अभियंता-जल संसाधन विभाग
पाली एसडीओ एसके गुप्ता से सीधी बात
सवाल: रतिजा एनीकट बना ही नहीं, फिर रिपेयर पर 90 लाख कहां खर्च हो गए?
जवाब: पुराने 15 जलाशयों की मरम्मत पर राशि खर्च की गई है। यह आवश्यक थी।
सवाल: डिपॉजिट मद की राशि सीई की अनुमति के बिना कैसे खर्च कर ली गई?
जवाब: यह कार्यपालन अभियंता का लुक आउट है, उनके आदेश पर ही काम हुआ है। राशि समायोजित कर दी जाएगी।
सवाल: शासन ने मरम्मत के लिए न आदेश दिया न राशि, तो रकम कहां से आएगी?
जवाब: अन्य मद की राशि से मरम्मत कराई जाती है। इसे समायोजित किया जाता है।