पटना : राजधानी में कई इलाके ऐसे हैं, जहां हमेशा मौत का साया (बिजली,
आग व पानी के कारण) मंडराता रहता है. नगर निगम के सर्वे के अनुसार यहां
करीब 112 स्लम बस्तियां हैं, जो आग, बिजली व पानी की दृष्टि से काफी अधिक
खतरनाक हैं.
इन इलाकों में करीब 15 हजार परिवार रहते हैं. आग की एक चिनगारी दर्जनों
जिंदगियों व फूस से बने घरों को बरबाद कर सकती है. बरसात में भी इनके घरों
में पानी घुस जाता है. स्लम बस्तियों में रहनेवाले लोगों के पास बिजली का
स्थायी कनेक्शन नहीं होता है. ये टोका फंसा कर काम चलाते हैं, जो काफी
खतरनाक होता है.
बिजली का तार झोंपड़ी पर गिरने या तारों के टकराने से चिनगारी निकलने से
हमेशा झोंपड़ियों के जलने की आशंका बनी रहती है. इनके पास न तो गैस का
कनेक्शन है और न ही बड़ा चूल्हा. ये मिट्टी के चूल्हे या छोटे गैस सिलिंडर
से काम चलाते हैं. छोटा सिलिंडर इतना खतरनाक है कि इसके फटने की आशंका
हमेशा बनी रहती है.
दो वर्ष पहले राजेंद्रनगर पुल के नीचे छोटा सिलिंडर फटने से और चितकोहरा
पुल के नीचे मिट्टी के चूल्हे से आग लग गयी थी. सोमवार को भी वेटनरी कॉलेज
के पास मिट्टी के चूल्हे से निकली चिनगारी से 100 झोंपड़ियां राख हो गयीं.
– राकेश रंजन –