भोपाल/इंदौर/ग्वालियर.प्रदेश
के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में रोजाना 54 युवा मुंह न खुलने की
बीमारी (ट्रिटमस) की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं। उनकी यह हालत लगातार गुटखा
खाने से हुई है। इनमें से 20 फीसदी को कैंसर पीड़ित घोषित कर दिया जाता
है। बाकी 80 फीसदी में से अधिकतर लोग भी तंबाकू न छोड़ पाने के कारण कैंसर
की चपेट में आ जाते हैं। ट्रिटमस पीड़ित लोगों में से दस फीसदी ही तंबाकू
छोड़ पाते हैं। ये आंकड़े ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे रिपोर्ट 2010 के हैं।
रिपोर्ट
के मुताबिक प्रदेश में 35 हजार लोग मुंह के कैंसर से ग्रसित हैं। इनमें से
18 हजार की उम्र 15 से 35 के बीच है। 36 से 50 के आयुवर्ग के कैंसर
पीड़ितों की संख्या 13,500 है, जो गुटखा और अन्य तंबाकू उत्पादों का सेवन
करने से इस हालात में पहुंचे हैं। प्रदेश में तीन करोड़ से अधिक लोग किसी न
किसी प्रकार से तंबाकू का सेवन करते हैं। इनमें भी 20 फीसदी यानी 60 हजार
लोगों ने तंबाकू का सेवन अपने स्कूल के दिनों से ही शुरू कर दिया था।
दिनेश
का ही उदाहरण लें। वह इंदौर के एक डॉक्टर के साथ काम कर रहा है। उसने अपने
दोस्तों के कहने पर महज 13 साल की उम्र में पहली बार गुटखे का स्वाद चखा
था। धीरे-धीरे वह इसका लती हो गया और 19 की उम्र में ही उसे मुंह का कैंसर
हो गया।
दिनेश की
तरह हजारों स्टूडेंट्स स्कूल जाने की उम्र में गुटखा खाने लगते हैं। इनमें
से अधिकांश बड़े होने पर आसानी से कैंसर की चपेट में आ जाते हैं। यह कम
चौंकाने वाली बात नहीं है कि प्रदेश के लंग कैंसर मरीजों में से एक तिहाई
15 से 35 की उम्र के हैं।
जवाहरलाल
नेहरू कैंसर हॉस्पिटल के रेडिएशन अंकोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. आरके पांडे
का मानना है कि प्रदेश में मुंह और गले के कैंसर के मरीजों की संख्या छह
साल में तीन गुना बढ़ी है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2006 में कैंसर मरीजों
में साढ़े आठ फीसदी युवा मुंह के कैंसर से पीड़ित थे।
इन
मरीजों की संख्या अब बढ़कर 29 फीसदी हो गई है। ऐसा प्रदेश और शहर के
युवाओं में तंबाखू से बने गुटखा खाने से हुआ है। टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल
मुंबई के हेड एंड नेक अंकोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ.पंकज चतुर्वेदी ने बताया
कि मध्यप्रदेश में 20 फीसदी बच्चे घर से स्कूल जाते वक्त गुटखा खाना सीखते
हैं।
नवोदय कैंसर
हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. श्याम अग्रवाल ने बताया कि तंबाखू गुटखा में
कार्सीनोजेंस होते हैं, जिनके कारण गुटखा और तंबाखू खाने से व्यक्ति के
मुंह के अंदर की सब म्यूकोजल फाइब्रोसिस में सिकुड़न होना शुरू हो जाती है।
इससे व्यक्ति का मुंह धीरे-धीरे खुलना बंद हो जाता है। इस स्थिति में मुंह
की सफाई नहीं हो पाती और गुटखा खाने से जीभ, गाल और तालू पर लाल छाले हो
जाते हैं। जो बाद में कैंसर में तब्दील हो जाते हैं। डॉ. अग्रवाल के
मुताबिक ट्रिटमस पीड़ित मरीजों में से 20 फीसदीको मुंह का कैंसर हो जाता
है।
इंदौर – केस एक
दांत का दर्द समझा .. मरीज का नाम – अर्जुन उम्र – 26 साल बीमारी – मुंह का कैंसर
कैसे हुआ कैंसर – काम की व्यस्तता में सीखा गुटखा खाना
स्टॉक
एक्सचेंज में काम कर रहे 26 साल के अर्जुन पांच साल से गुटखा व तंबाकू खा
रहे हैं। शेयर बाजार का काम करते-करते वे सुबह से शाम तक गुटखा खाते रहते
थे। शुरुआती दौर में उन्हें लगा कि दांत में तकलीफ है। फिर मुंह में छाला
भी हुआ। वे डेंटल सर्जन के पास पहुंचे। परीक्षण करने पर फाइब्रोसिस के
लक्षण दिखाई दिए। बायोप्सी करवाने पर पता लगा कि फाइब्रोसिस कैंसर की ओर
बढ़ने लगा है। डॉक्टर की समझाइश के बाद अब अर्जुन ने तंबाकू खाना छोड़ दिया
है।
भोपाल – केस दो
समझाइश मानता तो ? मरीज का नाम -संतोष सिंह उम्र – 32 साल बीमारी – जीभ का कैंसर कैसे लगी बीमारी – गुटखा का स्वाद जानना चाहा था।
जवाहरलाल
नेहरू कैंसर हॉस्पिटल के सर्जरी वार्ड में गुना निवासी बत्तीस वर्षीय
संतोष सिंह भर्ती हैं। उन्हें ट्रिटमस और जीभ का कैंसर है। संतोष बताते हैं
उन्हें 20 साल की उम्र में गुटखा खाने की लत लग गई थी। उस वक्त मां और
परिजनों ने गुटखा न खाने की समझाइश दी, कैंसर के नाम से डराया, पर सभी की
सलाह को अनसुना कर गुटखा खाता रहा। नतीजन ढाई साल पहले मुंह खुलना बंद हो
गया। डॉक्टरों से जब जांच कराई तो जीभ का कैंसर निकला। इसका इलाज पहले
जयपुर में कराया और अब भोपाल में करा रहा हूं।
ग्वालियर – केस तीन
तब 12 साल का था .. मरीज का नाम – राजू कुमार उम्र – 26 साल बीमारी – मुंह का कैंसर
कैसे लगी बीमारी – खेत में समय काटने के लिए खाया था गुटखा
महोबा
निवासी 26 वर्षीय राजू कुमार ग्वालियर के कैंसर हॉस्पिटल के ओरल सर्जरी
में बीते दो माह से भर्ती है। दरअसल उसे मुंह का कैंसर हुआ है। जो लगातार
14 साल तक गुटखा और तंबाखू खाने के कारण हुआ है। उसे गुटखा खाने की लत वर्ष
1998 में दोस्तों के साथ लगी थी, जब उसकी उम्र 12 साल थी। मजदूरी का काम
करने वाले राजू ने बताया कि गर्मियों में दोस्तों के साथ वह जानवरों को
चराने खेत पर जाता था। जहां दोपहर में समय काटने के लिए गुटखा खाना शुरू
किया, जो दो माह पहले मुंह का कैंसर होने पर बंद हुआ।
पहले ही दिन 18 जिलों में जब्त हुए 71 हजार पाउच
कहां
करें शिकायत – कमिश्नर फूड सेफ्टी कार्यालय भोपाल में एक कंट्रोल रूम
बनाया गया है। यहां 0755- 2660690, 2665385 नंबर पर फोन कर शिकायत कमिश्नर
और सीनियर फूड सेफ्टी ऑफिसर्स से शिकायत कर सकते हैं।
हर घंटे 90 लोगों को कैंसर!
48%
पुरुषों तथा 20%महिलाओं में तंबाकू-गुटखा की वजह से ओरल कैंसर होता है।
इनमें से 20 प्रतिशत लोग सिगरेट, 40% बीड़ी तथा शेष 40%पान मसाला, तंबाकू,
गुटखाकासेवन करते हैं। देश में 22 सौ लोग प्रतिदिन या 90 लोग प्रति घंटा
तंबाकू के सेवन के कारण कैंसर का शिकार हो रहे हैं।
-डॉ. बीआर श्रीवास्तव, डायरेक्टर, कैंसर चिकित्सालय एवं शोध संस्थान, ग्वालियर
पाउच की लुका-छिपी चलती रही
गुना : प्रशासन के पास आदेश आ गए हैं लेकिन पहले दिन कार्रवाई नहीं हुई।
विदिशा : रविवार की वजह से अधिकांश बाजार बंद रहा लेकिन छोटी दुकानों पर बिकते रहे।
सीहोर
: खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की इंस्पेक्टर बाजार में निगरानी करती
रहीं। उन्हें देखकर दुकानदार गुटखा पाउच छिपा लेते बाद में फिर वे उसी जगह
लटका दिए जाते।
राजगढ़ : दुकानों पर महंगे दामों में गुटखा बेचा जा रहा है। रायसेन : प्रशासन सोमवार से कार्रवाई शुरू करेगा।