भोपाल। राजधानी
में स्वाइन फ्लू से एक मरीज की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग की चिंता इस
बात को लेकर बढ़ गई है कि मरीज पर दवा का असर नहीं हुआ है। यह केस सामने
आने के बाद राज्य सरकार द्वारा गुरुवार को डॉक्टर्स व आम लोगों के लिए जारी
एडवाइजरी में कहा गया है कि यदि परिवार के किसी सदस्य को सर्दी, खांसी और
बुखार है तो उसे सार्वजनिक स्थानों पर न जाने दें।
उसका इलाज कराएं। उसे स्वाइन फ्लू होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा
सकता। उधर, जेपी अस्पताल के अधीक्षक समेत सभी जिला अस्पताल प्रमुखों को
स्वाइन फ्लू ओपीडी चलाने के निर्देश दिए गए हैं। जेपी अस्पताल प्रबंधन ने
स्वाइन फ्लू के संदिग्ध और पॉजिटिव मरीजों का इलाज करने अलग से वार्ड बनाया
है।
संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवा (स्वाइन फ्लू नियंत्रण) डॉ. केके ठस्सू ने
बताया कि गुरुवार को स्वाइन फ्लू से मरने वाले अनिल होले के परिवार के सात
सदस्यों का स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया। जांच के दौरान किसी भी व्यक्ति
में फ्लू के लक्षण नहीं मिले हैं। एहतियातन सभी को टेमी फ्लू टैबलेट दी गई
है।
बढ़ गया था संक्रमण
सीएमएचओ डॉ. पंकज शुक्ला ने बताया कि स्वाइन फ्लू पॉजिटिव अनिल होले को
टेमी फ्लू का डबल डोज देने के बाद भी उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। उन्होंने
बताया कि श्री होले के फेफड़ों में स्वाइन फ्लू का संक्रमण काफी ज्यादा हो
गया था। इस कारण उनके ब्लड में ऑक्सीजन की सप्लाई का स्तर भी काफी घट गया
था। दवा देने के बाद भी मरीज के शरीर में संक्रमण बढ़ना वायरस पर दवा का
असर घटने की ओर संकेत कर रहा है। इसकी पुष्टि श्री होले के इलाज के
दस्तावेजों की पड़ताल के बाद होगी।
समय से आ जाती रिपोर्ट तो ..
स्वाइन फ्लू से मरने वाले अनिल होले के भाई सुनील मौत के लिए सरकारी
व्यवस्था को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि यदि रिपोर्ट 27 मार्च
को मिल जाती तो उन्हें और बेहतर इलाज मुहैया कराया जा सकता था। उन्होंने
राज्य सरकार से भोपाल में ही स्वाइन फ्लू के संदिग्ध मरीजों के नमूनों की
जांच के इंतजाम करने की मांग की है।
इलाज के लिए जारी गाइडलाइन
श्रेणी——लक्षण————–क्या करें
ए——-सर्दी, खांसी, जुकाम—-डॉक्टर को दिखाएं।
बी—–100 डिग्री अथवा उससे तेज बुखार–डॉक्टरी सलाह पर टेमी फ्लू लें।
——-उल्टी-दस्त गले में खराश, बदन दर्द—घर के सदस्यों से दूरी बनाकर रहें।
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ये रहें सतर्क
– 5 साल से कम उम्र के बच्चे और 65 साल से ज्यादा आयु वर्ग के वृद्ध।
– गर्भवती महिलाएं, फेफड़े, लीवर , किडनी, डायबिटीज, कैंसर, किडनी, एड्स और टीबी मरीज।
में स्वाइन फ्लू से एक मरीज की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग की चिंता इस
बात को लेकर बढ़ गई है कि मरीज पर दवा का असर नहीं हुआ है। यह केस सामने
आने के बाद राज्य सरकार द्वारा गुरुवार को डॉक्टर्स व आम लोगों के लिए जारी
एडवाइजरी में कहा गया है कि यदि परिवार के किसी सदस्य को सर्दी, खांसी और
बुखार है तो उसे सार्वजनिक स्थानों पर न जाने दें।
उसका इलाज कराएं। उसे स्वाइन फ्लू होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा
सकता। उधर, जेपी अस्पताल के अधीक्षक समेत सभी जिला अस्पताल प्रमुखों को
स्वाइन फ्लू ओपीडी चलाने के निर्देश दिए गए हैं। जेपी अस्पताल प्रबंधन ने
स्वाइन फ्लू के संदिग्ध और पॉजिटिव मरीजों का इलाज करने अलग से वार्ड बनाया
है।
संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवा (स्वाइन फ्लू नियंत्रण) डॉ. केके ठस्सू ने
बताया कि गुरुवार को स्वाइन फ्लू से मरने वाले अनिल होले के परिवार के सात
सदस्यों का स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया। जांच के दौरान किसी भी व्यक्ति
में फ्लू के लक्षण नहीं मिले हैं। एहतियातन सभी को टेमी फ्लू टैबलेट दी गई
है।
बढ़ गया था संक्रमण
सीएमएचओ डॉ. पंकज शुक्ला ने बताया कि स्वाइन फ्लू पॉजिटिव अनिल होले को
टेमी फ्लू का डबल डोज देने के बाद भी उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। उन्होंने
बताया कि श्री होले के फेफड़ों में स्वाइन फ्लू का संक्रमण काफी ज्यादा हो
गया था। इस कारण उनके ब्लड में ऑक्सीजन की सप्लाई का स्तर भी काफी घट गया
था। दवा देने के बाद भी मरीज के शरीर में संक्रमण बढ़ना वायरस पर दवा का
असर घटने की ओर संकेत कर रहा है। इसकी पुष्टि श्री होले के इलाज के
दस्तावेजों की पड़ताल के बाद होगी।
समय से आ जाती रिपोर्ट तो ..
स्वाइन फ्लू से मरने वाले अनिल होले के भाई सुनील मौत के लिए सरकारी
व्यवस्था को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि यदि रिपोर्ट 27 मार्च
को मिल जाती तो उन्हें और बेहतर इलाज मुहैया कराया जा सकता था। उन्होंने
राज्य सरकार से भोपाल में ही स्वाइन फ्लू के संदिग्ध मरीजों के नमूनों की
जांच के इंतजाम करने की मांग की है।
इलाज के लिए जारी गाइडलाइन
श्रेणी——लक्षण————–क्या करें
ए——-सर्दी, खांसी, जुकाम—-डॉक्टर को दिखाएं।
बी—–100 डिग्री अथवा उससे तेज बुखार–डॉक्टरी सलाह पर टेमी फ्लू लें।
——-उल्टी-दस्त गले में खराश, बदन दर्द—घर के सदस्यों से दूरी बनाकर रहें।
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ये रहें सतर्क
– 5 साल से कम उम्र के बच्चे और 65 साल से ज्यादा आयु वर्ग के वृद्ध।
– गर्भवती महिलाएं, फेफड़े, लीवर , किडनी, डायबिटीज, कैंसर, किडनी, एड्स और टीबी मरीज।