कृषि के विकास में आड़े आ रहा बैंक ऋण

बेतिया, प्रतिनिधि : जहां एक तरफ सरकार किसानों की तमाम सुविधाओं से
परिपूर्ण कर उन्नत खेती करने के लिए लगातार कोशिश कर रही है, ताकि किसान
बेहतर से बेहतर खेती कर अपनी आर्थिक उन्नति कर सकें। लेकिन बैंकों द्वारा
किसानों को ऋण देने में नकारात्मक रवैया किसान ही नहीं सभी वर्ग के लोगों
के लिए एक अलग समस्या पैदा कर रही है। वित्तीय वर्ष 2011-12 के पिछले 11
माह के अंाकड़े पर ध्यान दिया जाए तो स्थिति अपने आप स्पष्ट हो जाती है। 11
माह में बैंकों ने लक्ष्य के विरुद्ध मात्र 54.41 प्रतिशत ही ऋण वितरित
किया है। कृषि क्षेत्र में जिले के 139 बैंकों की शाखाओं से 81499 लाख रुपए
कृषि ऋण के मद में लक्ष्य निर्धारित किया गया था। जिसके विरुद्ध मात्र
44349.46 लाख रुपए ऋण किसानों के बीच बैंकों ने वितरित किया। ऐसे में सहज
ही अंदाजा लगाया जा सकता है। कृषि में ऋण देने में बैंकों की भूमिका क्या
है? वरीय पदाधिकारियों द्वारा बैंकों को बार बार निर्देश भी दिया जाता है।
शिविर लगाकर किसानों को ऋण के लिए आवेदन लें। अगर बैंकों का रवैया ऐसा ही
रहा तो सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को जमीनी हकीकत देना स्वप्न मात्र
बनकर रह जाएगा। 11 माह के प्राप्त आकड़ों में कृषि क्षेत्र में ऋण देने के
मामलों में सेंट्रल बैंक सबसे आगे रहा है। अपने लक्ष्य के विरुद्ध 77
प्रतिशत ऋण वितरित किया गया है। वहीं सबसे खराब प्रदर्शन बैंक आफ इंडिया का
रहा है। यहां से अबतक 14.11 लाख ही ऋण वितरित कर पाया है।

बयान :-

सभी बैंकों को कृषि क्षेत्र में अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए निर्देश
दिया गया है। ताकि इस वित्तीय वर्ष का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके। किसानों
को सुलभ ऋण उपलब्ध कराने के लिए बैंकों को निर्देश भी दिया गया है। ऐसा
नहीं करनेवाली शाखाओं पर आगे की कार्रवाई के लिए लिखा जाएगा।

अरुण कुमार झा

मुख्य प्रबंधक सह अग्रणी जिला प्रबंधक, बेतिया

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