नई दिल्ली.
पिछले साल भारतीयों ने जमीन खरीदने-बेचने में लगभग 3,700 करोड़ रुपए (70
करोड़ डॉलर) की रिश्वत दी है। उन्हें मूलभूत सेवाएं पाने के लिए भी 50 से
950 रुपए तक घूस देनी पड़ी है।
यह दावा संयुक्त राष्ट्र के खाद्य व कृषि संगठन (एफएओ) और दुनिया में
भ्रष्टाचार पर निगाह रखने वाली संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के एक
अध्ययन में किया गया है। इसके मुताबिक वर्ष 2011 में भारतीयों ने राशन
कार्ड, स्वास्थ्य, शिक्षा, जल, और बिजली जैसी सुविधाएं पाने के लिए 471.8
करोड़ रुपए अधिकारियों की जेबें गरम करने में खर्च किए।
इस अध्ययन के तहत किए गए सर्वेक्षण में सबसे अधिक 64 प्रतिशत भारतीयों
ने पुलिस को रिश्वत देने की बात मानी। इसके बाद प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त,
उत्तराधिकार में मिली संपत्ति के नामांतरण, रजिस्ट्री और परमिट सेवाओं का
नंबर रह। यहां ६२ प्रतिशत ने घूस देना स्वीकार किया। करीब ५१ प्रतिशत से
कहा कि टैक्स बचाने के लिए उन्होंने अधिकारियों को रिश्वत दी।
किसने कहां दी रिश्वत
> ६४ -पुलिस को
> ६३ -प्रॉपर्टी खरीद-बेचने, किराये पर लेने-देने में
> ६२ -रजिस्ट्री और परमिट सेवाओं के लिए
> ५१ -टैक्स बचाने के लिए अधिकारियों को
> ४७ -पानी, टेलीफोन, बिजली सेवाओं के लिए
> ४१ -कस्टम ड्यूटी बचाने में
> २६ -मेडिकल सेवाओं के लिए
> २३ -शिक्षा के लिए
(आंकड़े प्रतिशत में)