जयपुरः सरकारी स्कूलों को नक्सल और हिंसा की फैक्ट्री बताने वाले
श्रीश्री रविशंकर के बयान के बाद बवाल मच गया है. आज श्रीश्री रविशंकर की
जुबान ऐसी फिसली कि देश के सभी सरकारी स्कूलों पर ही सवाल खड़े कर दिए. ना
कोई प्रमाण, ना कोई सर्वे, कोई कहने वाला नहीं, तो सरकारी स्कूलों की
व्यवस्था पर ही खड़े कर दिए सवाल.
आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर के अनुसार सरकारी स्कूलों में नक्सली
पैदा होते हैं इसलिए उनका निजीकरण कर देना चाहिए. उनका मानना है कि देश के
सभी स्कूलों को प्राइवेट कर देना चाहिए और सरकारों को इससे दूर रहना
चाहिए.
जयपुर में बुधवार को एक संस्था द्वारा आयोजित समारोह में द आर्ट ऑफ
लिविंग के फाउंडर रविशंकर ने कहा कि उनके अनुसार सरकारी स्कूलों के बच्चे
अंत में नक्सली बनते हैं, जबकि प्राइवेट स्कूलों के बच्चे नक्सली
गतिविधियों में कभी शामिल नहीं होते. उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में
आदर्श की कमी होती है इस वजह से वहां के बच्चे हिंसक और नक्सली प्रवृत्ति
के होते हैं.
आध्यात्मिक गुरू के इस बयान के बाद से जयपुर के सरकारी स्कूलों के
शिक्षकों में काफी नाराजगी है. राजस्थान स्कूल टीचर्स यूनियन के अध्यक्ष
आर पी अग्रवाल ने श्री श्री रविशंकर के मंशा और मानसिक स्थिति पर ही सवाल
उठाया है. उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से रविशंकर की मानसिक स्थिति ठीक
नहीं है, तभी उन्होंने ऐसा बयान दिया है. इस साल राजस्थान में करीब 17 लाख
बच्चे बोर्ड की परीक्षाओं में शामिल हो रहे हैं. अगर उनका बयान सही है तो
हर राज्य के प्रत्येक गांव में नक्सली मौजूद हैं.
अग्रवाल ने कहा कि उनका यूनियन इस बयान के संबंध में राष्ट्रपति और
राजस्थान के राज्यपाल से मुलाकात करेगा. उन्होंने कहा कि रविशंकर गरीबों को
मूलभूत शिक्षा से वंचित रखना चाहते हैं. सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले
बच्चों के अभिभावक सस्ती शिक्षा के अलावा अन्य चीजों पर खर्च करने की
स्थिति में नहीं होते हैं. ऐसा लगता है कि रविशंकर लाखों बच्चों को शिक्षा
से दूर रखना चाहते हैं.
इससे पहले 2009 में झारखंड यात्रा के दौरान श्री श्री रविशंकर ने कहा
था कि नक्सली मन से अच्छे होते हैं. वे भ्रष्टाचार और असमानता के खिलाफ
संघर्ष कर रहे हैं. उनको समाज के मुख्य धारा से जोड़ने की जरूरत है.