फर्जीवाड़ा रोकने के लिए नया कदम, रसोई अलग तभी राशनकार्ड

शिमला.
प्रदेश में अब नया राशन कार्ड रसोई की जांच के बाद ही बनेगा। एक ही परिवार
में नया राशनकार्ड बनाने से पहले परिवार में अलग-अलग रसोई दिखानी होगी। 31
मार्च को पुराने बने राशन कार्ड की अवधि खत्म होने के बाद अप्रैल में 12
लाख से अधिक नए राशन कार्ड बनाए जाने हैं।










पंचायत सचिवों को राशन कार्ड जारी करने से पहले उपभोक्ताओं की रसोई की जांच
करनी होगी। इसके लिए सरकार ने पंचायत सचिवों की जबावदेही भी तय की है। यह
नियम शहरी निकायों पर भी लागू होंगे। मूल आबादी और राशनकार्ड आबादी में
भारी अंतर को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।










खाद्य आपूर्ति विभाग की ओर से फरवरी 2012 में जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक
कार्ड संख्या के आधार पर प्रदेश की आबादी 74,53,258 बनती है। जनगणना के
मुताबिक हिमाचल की आबादी 68,56,509 है। इस तरह प्रदेश की कार्ड आबादी आबादी
से 5,96,749 अधिक हैं। अंतर फर्जी राशन कार्ड बने होने का अंदेशा पैदा
करता है। खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग में संयुक्त
निदेशक का कार्यभार देख रहे सुरेंद्र पठानिया ने माना कि रसोई की जांच के
बाद ही उपभोक्ताओं को नए राशन कार्ड जारी किए जाएंगे। पंचायत स्तर पर यह
काम सचिवों का होगा। शहरी निकायों में राशनकार्ड बनाने के लिए अधिकृत
अधिकारी रसोई की जांच करेंगे।








पांच साल में दो लाख नए कार्ड


प्रदेश में पांच साल में 2,28,470 नए राशन कार्ड बने हैं। वर्ष 2007 में
खाद्य तेलों नमक और दालों में सब्सिडी जारी होने से पहले कार्ड धारकों की
संख्या 14,03,334 थी जबकि यह यह संख्या 16,31,804 है। इस तरह से प्रति माह
प्रदेश में 3807 नए राशन कार्ड बने हैं। अब परिवार की रसोई अलग होने पर ही
नया राशन कार्ड बनाया जाएगा।

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