प्राय: केंद्रों में बड़ी संख्या में लोगो ने परीक्षा दिलाई। केंद्रों में परीक्षार्थी समय से पूर्व ही पहुंच गए थे। साक्षरों को परीक्षा दिलाने प्रेरित करने शिक्षकीय स्टाफ के साथ प्रेरक, अनुदेशक, ग्राम पंचायत पदाधिकारी और अन्य लोग भी जुटे हुए थे।
परीक्षा दिलाने हितग्राहियों को उनके परिजनों यहां तक की बच्चों ने भी अपने माता-पिता और दादी-दादी को प्रेरित किया। परीक्षा शुरू होने से पूर्व मां सरस्वती का पूजन कर उनकी वंदना की गई। परीक्षा में 60 वर्ष तक के लोगो ने परीक्षा दिलाई।
महापरीक्षा में शामिल उर्मिला ठाकुर ने कहा उसे पढ़ने के साथ परीक्षा में शामिल होने के लिए उसकी पढ़ी-लिखी बहू टिकेश्वरी ने प्रेरित किया। अनपढ़ होने से उसे हीनभावना महसूस होती थी। बहू की प्रेरणा से वह साक्षर बनकर परीक्षा में शामिल हो पाई है। उत्र्तीण होने पर वह आगे की पढ़ाई भी करेगी।
गांव की 60 वर्षीय राधा भास्कर, सावित्री बाई तारम 55 वर्ष ने कहा कि उनके माता पिता ने जागरूकता के अभाव के स्कूल नहीं भेजा था। अब जब पढ़ने का मौका मिला है तो छोड़ना नहीं चाहते। परीक्षा में शामिल होकर बहुत अच्छा महसूस हो रहा हैं। 30 वर्षीय शकुन नेताम ने कहा पहले गांवों में पालक जागरूकता के अभाव में बालिकाओं को पढ़ाने रूचि नहीं लेते थे जिसकी वजह से वह भी अपने 6 बहनों की तरह से अनपढ़ रह गई। अब शिक्षा का महत्व जाना है, इस कारण साक्षर बनने पढ़ाई की।
37 वर्षीय कंचन नेगी ने कहा मात्र दूसरी तक पढ़ाई की थी। आगे की पढ़ाई करने परीक्षा दिलाने बैठ रही है। गांव के युवक मंशाराम नेताम, शंकर कोर्राम, उमेश्वर, मिलन पोटाई ने कहा प्राथमिक स्तर की पढ़ाई उनकी अधूरी रह गई थी। जिसे पूरा करने आगे की परीक्षा दे रहे हैं। आगे की कक्षाओं की परीक्षा भी वे दिलाएंगे। ग्राम गढ़पिछवाडी की घसनीन बाई सलाम 60 वर्ष गोमती बाई मंडावी 55 वर्ष ने कहा पहले शिक्षा के प्रति बहुत ज्यादा जागरूकता नहीं थी। स्कूल का मुंह तक देखने का मौका नहीं मिला था। अब गांव के लोग और परिवार के द्वारा प्रेरित किए जाने के कारण पढ़ाई करके परीक्षा दिला रही है।
उनके पोते-पोतियों ने भी पढ़ने के लिए प्रेरित किया। गांव की रामबाई शोरी 54 वर्ष, अघनतीन भंडारी 38 वर्ष, रिशो मंडावी 35 वर्ष, रूपई पटेल 32 वर्ष ने कहा बाल्यकाल में पढ़ने के लिए मौका नहीं मिल पाया और अब परीक्षा दिलाते हुए बहुत अच्छा महसूस हो रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे उनका बाल्यकाल फिर से लौट आया है। साक्षर नहीं होने का गम हमेशा खलता था। ग्राम मनकेशरी की सुशीला गजभिये, कुमारी यादव, रामबती कोर्राम, सोमसाय कोर्राम ने कहा परीक्षा में सफलता के लिए खूब पढ़ाई की है।
150 अंक की परीक्षा : साक्षर भारत के तहत महापरीक्षा अभियान की परीक्षा के लिए 2 घंटे के समय अवधि मेंतीन खंड में 150 अंकों के प्रश्न पूछे गए थे। प्रत्येक खंड में 50 अंक के सवाल थे। पढ़ना, लिखना और गणित के जोड़ घटाव के प्रश्न पूछा गए थे। उत्र्तीण होने के लिए प्रत्येक खंड में 50 में से 20 अंक लाना जरूरी है।
महापरीक्षा एक सार्थक पहल
दुर्गूकोंदल त्न 15 से 50 वर्ष के महिला पुरूषों को साक्षर बनाने महापरीक्षा 18 मार्च को हुई। ब्लाक में इस परीक्षा में 127 परीक्षा केन्द्रों में लगभग 4 हजार परीक्षार्थी सम्मिलित हुए। परीक्षार्थी हेमिन देवांगन, लालजी दुग्गा ने बताया साक्षर भारत के तहत रात्रि में अध्ययन करते थे। आज परीक्षा में बैठे हैं। हम अपने बच्चों को पढ़ाई व परीक्षा के लिए दबाब डालते थे। आज खुद परीक्षा दे रहे हैं। शासन की यह अच्छा पहल है।
परीक्षार्थियों में दिखा उत्साह
साक्षर भारत महाभियान के तहत परीक्षा केंद्र प्राथमिक शाला दुधावा में कुल 43 परीक्षार्थी सम्मिलित हुए। परीक्षार्थियों में बहुत ज्यादा उत्सुकता तथा उत्साह दिखा। परीक्षा संचालन में नव साक्षर के अलावा स्कूल स्टाफ, प्रेरक एवं समस्त ग्रामवासियों का सहयोग रहा। केंद्राध्यक्ष प्रधानाध्यापक पवन चक्रधारी के नेतृत्व में पर्यवेक्षक भैयालाल कौशल, मूल्यांकनकर्ता महादेव भास्कर को बनाया गया था।